तीव्रता से बढ़ते प्रदूषण को रोकने के लिए सम्पूर्ण विश्व में विभिन्न स्वच्छता मुहिम चलाई जा रही हैं। जिनमें से एक है विश्व को खुले में शौच मुक्त (Open Defecation Free) करना। प्राचीन संस्कृति और पारंपरिक मान्यताओं के कारण कई लोग घर में शौचालय बनाना अशुभ मानते हैं या बनाते ही नहीं हैं तथा शौच के लिए घर से दूर खुले स्थान जैसे खेतों, झाड़ियों, जंगलों, नालियों, सड़कों, नहरों आदि का उपयोग करते हैं। 2016 में लगभग 892 मिलियन जनसंख्या (विश्व की 12% जनसंख्या) खुले में शौच करती थी, जिनमें से लगभग 678 मिलियन (76%) लोग मात्र सात देशों में रहते हैं।
यह प्रक्रिया आज से नहीं वरन् बहुत प्राचीन काल से चली आ रही है। किंतु जनसंख्या वृद्धि के कारण यह तीव्रता से पर्यावरण तथा स्वास्थ्य पर विपरित प्रभाव डालने लगी। इस समस्या ने विश्व स्वास्थ्य संगठन और युनिसेफ (UNICEF) का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया। तथा इनके द्वारा सम्पूर्ण विश्व को इसके प्रति जागरूक किया गया।
वर्ष 2018 में विश्व के विभिन्न देशों में खुले में शौच करने वाले लोगों का पूर्ण जनसंख्या में से यह प्रतिशत था:
स्वच्छ भारत मिशन के शुभारंभ के बाद, सभी राज्यों में स्वच्छता का कार्य तेजी से बढ़ रहा है। साथ ही, परिणामों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए, दो चीजों पर जोर दिया गया है। एक लोगों के व्यवहार में परिर्वतन और दूसरा लोगों के स्वास्थ्य लाभ हेतु शौचालयों का निर्माण।
भारतीय पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय ने 2015 में ODF के अंतर्गत शौच के निस्तारण को निम्न रूप में परिभाषित किया:
1. कहीं भी खुले में किसी प्रकार का शौच ना दिखे।
2. हर घर और सावर्जनिक क्षेत्र में शौचालय का प्रयोग हो।
वहीं कई ग्राम पंचायत और गांव अब ओ.डी.ऍफ़. बनने लगे हैं। 2015-16 में, राज्यों ने अपनी वार्षिक निवेश योजना के अनुसार, 42828 ग्राम पंचायत ओ.डी.ऍफ़. बनाने की योजना बनाई। एम.आई.एस. (Management Information System) पर, ग्राम पंचायत और गांवों को मांपने की योजना बनाई गयी, जहाँ 100% शौचालय का उपयोग होने लगा है। यह संख्या, 1 जुलाई, 2015 को 12,216 थी। और यदि वर्तमान की बात करें तो स्वच्छ भारत मिशन की वेबसाइट के अनुसार आज देश में 5,08,786 ओ.डी.ऍफ़. गाँव, 2,29,079 ओ.डी.ऍफ़. ग्राम पंचायत, 5,115 ओ.डी.ऍफ़. ब्लॉक और 529 ओ.डी.ऍफ़. जिले हैं।
राज्य स्तर पर यदि देखें तो हर राज्य की ओ.डी.ऍफ़. स्थिति कुछ इस प्रकार है:
रामपुर द्वारा ODF हेतु किये गये अथक प्रयासों से, आज इसे ODF जिला घोषित कर दिया गया है। जो इस क्षेत्र के लिए अत्यंत गर्व की बात है।
भारत भले ही 2019 तक अपने ODF मिशन को पूरा करने में सफल हो जाए पर क्या वास्तव में भारत स्वच्छ देश की श्रेणि में आ जाऐगा? शायद नहीं। क्योंकि यह स्वच्छ भारत मिशन को पूरा करने का पहला कदम है। घरों में शौचालय तो बनाए जा रहे हैं परन्तु यह सारा शौच आखिर जा कहाँ रहा है। क्या उसका सही तरीके से निपटान किया जा रहा है?
करीब 60 करोड़ नागरिकों की इस पीढ़ी पुरानी आदत को बदलना आसान नहीं होगा। 14.4 करोड़ गृहस्थियों में रह रहे 72 करोड़ लोगों द्वारा पैदा किये गए 1 लाख टन शौच को ढोने के लिए करीब 5200 ट्रक लगेंगे। यदि ये बिना किसी उपचार के सीधे धरती में जाता है तो इससे घरों के आस-पास स्थित भू-जल के दूषित होने की संभावना बढ़ जाती है।
शौचालय तो बनाए जा रहे हैं किंतु लोग उनका उपयोग ही नहीं कर रहे हैं। शौचालय की संख्या बढ़ाने से स्वच्छता नहीं आएगी, इसके लिए उनका उपयोग भी आवश्यक है। अतः आवश्यकता है आम जनता के बीच जागरूकता बढ़ाने की तथा सही तरीके से शौच का निपटान करने की।
संदर्भ:
1.https://en.wikipedia.org/wiki/Open_defecation
2.https://www.livehindustan.com/uttar-pradesh/rampur/story-now-rampur-is-odf-education-and-helth-2201455.html
3.http://swachhbharatmission.gov.in/sbmcms/writereaddata/images/pdf/Guidelines/Guidelines-ODF-Verification.pdf
4.http://sbm.gov.in/sbmdashboard/ODF.aspx
5.https://economictimes.indiatimes.com/news/politics-and-nation/india-wont-get-odf-status-by-february-2019-cse/articleshow/66031685.cms
6.https://www.cseindia.org/india-will-get-odf-status-by-february-2019-but-will-it-be-a-cleaner-country-new-cse-assessment-9042
© - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.