हम में से अधिकांश लोगों को डॉक्टरों द्वारा लिखे गए पर्चे को पढ़ने में बहुत कठिनाई होती है। कभी-कभी हम ये भी सोच लेते हैं कि हो सकता है ये डॉक्टर की स्पेशल लिखावट होती है ताकि कोई मरीज इसे पढ़ न पाए या फिर यह इनकी मेडिकल प्रैक्टिस का एक हिस्सा होता है। उनके हस्तलेखों पर काफी मज़ाक भी उड़ाया जाता है, लेकिन अब यह सिर्फ एक मज़ाक नहीं रहा है। डॉक्टरों के हस्तलेखों की वजह से मरीजों को काफी हानि का सामना करना पड़ रहा है, यहाँ तक कि उन्हें जान से भी हाथ धोना पड़ सकता है।
इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिसिन (Institute of Medicine) के अनुसार दुनिया भर में प्रति वर्ष 7 हज़ार लोगों की डॉक्टर द्वारा लिखे गये प्रिस्क्रिप्शन (Prescription) को ना समझ पाने के कारण मृत्यु हो जाती है। वहीं जुलाई 2006 में इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिसिन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, दवा त्रुटियां हर साल 1.5 मिलियन अमेरिकियों को अस्पतालों में प्रभावित करती हैं। वहीं 2013 में तेलंगाना राज्य के नलगोंडा जिले के एक फार्मासिस्ट (Pharmacist) सी. परमात्मा ने स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय को इस विषय में याचिका भेजी। वहां से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिलने पर, उन्होंने आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय में एक पी.आई.एल. (Public Interest Litigation) दायर की, जिसमें उन्होंने अनुरोध किया कि डॉक्टर केवल बड़े अक्षरों में प्रिस्क्रिप्शन लिखें। क्योंकि कुछ दवाओं की स्पेलिंग (Spelling) में मात्र कुछ शब्दों का अंतर होता है, जिस वजह से कभी-कभी फार्मासिस्ट गलत दवा दे देते हैं। इसके लिए उन्होंने तेलंगाना में हुई घटना (जहां फार्मासिस्ट ने गलती से MISOPROST 200 के बदले MICROGEST 200 दे दिया। MISOPROST गर्भावस्था में महिलाओं की मदद करने के लिए होती है, और MICROGEST गर्भपात के लिए होती है) को आधार बनाया।
चिकित्सा त्रुटियां
कुछ दवाएं जिनमें सूक्ष्म स्पेलिंग अंतर होते हैं।
• Arkamine (रक्तचाप के लिए) और Artamine (रूमेटोइड गठिया के लिए)
• Isoprine (रक्तचाप बढ़ाने के लिए दिया जाता है) और Isoptine (रक्तचाप को कम करने के लिए दिया जाता है)
• Digene (अम्लत्वनाशक(Antacid)) और Digoxin (संक्रामक दिल की विफलता के लिए)
• Magna (श्वसन पथ संक्रमण के लिए) और Magfa (अवसाद और चिंता के लिए)
• Fludac (अवसाद के लिए) और Flunac (एंटी-फंगल के लिए)
• Anxit (चिंता के लिए) और Axhit (मलेरिया के लिए)
यदि डॉक्टर अधुनिक प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करें तो वे स्वास्थ्य देखभाल वितरण में सुधार ला सकते हैं। इस से कंप्यूटर खुद ही स्पेलिंग सही कर लेता है, और समझने के लिए भी आसान रहता है। और साथ ही 2014 के अंत तक, सरकार ने लोकसभा को सूचित किया कि प्रासंगिक नियमों में संशोधन की मंजूरी दे दी गई। लगभग 2 वर्षों के बाद, 2016 में, सरकार ने ‘भारतीय चिकित्सा परिषद (व्यावसायिक आचरण, शिष्टाचार और नैतिकता) विनियम 2002’ में, डॉक्टरों के लिए प्रिस्क्रिप्शन बड़े अक्षरों में लिखना अनिवार्य कर दिया।
कुछ बातों का ध्यान रखें कि दवाई लेने के बाद डॉक्टर को ज़रूर दिखाएं। किसी भी गैर फार्मासिस्ट से दवाई ना लें और बिना प्रिस्क्रिप्शन के भी दवा ना लें।
संदर्भ:
1.https://www.thehindu.com/news/national/andhra-pradesh/Court%E2%80%99s-prescription-for-doctors/article11181100.ece
2.https://timesofindia.indiatimes.com/city/delhi/Why-your-doctors-handwriting-needs-cure/articleshow/2952346.cms
3.https://factly.in/doctor-prescription-now-legible-preferably-capital-letters/
4.https://www.emirates247.com/news/emirates/death-by-prescription-doctors-handwriting-causes-7-000-deaths-a-year-2012-11-04-1.481418
5.http://content.time.com/time/health/article/0,8599,1578074,00.html
6.https://timesofindia.indiatimes.com/city/lucknow/high-court-miffed-with-doctors-bad-handwriting/articleshow/62082121.cms
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