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विश्व में पाई जाने वाली अनेक वनस्पतियाँ (कुछ ज्ञात और कुछ अज्ञात) औषधियों का भण्डार हैं। जब हम इनके मध्य संबंध साधते हैं, तो हमारे मस्तिष्क में सबसे पहले अयुर्वेद का नाम आता है, किंतु अन्य देशों (जैसे यूरोप, अमेरिका आदि) में इस संदर्भ में प्रयोग किया जाने वाला प्राचीन रोमन शब्द है ‘मटेरिया मेडिका’ (औषधि विवरणिका)। विश्व के सर्वाधिक औषधीय पौधों की प्रजाति भारत में पाई जाती है। इन्हीं आयुर्वेदिक पौधों में जानें बहुमुखी औषधीय गुणों के धनी चंपा (पुष्प) के बारे में:
"चम्पा तुझमें तीन गुण- रंग, रूप और वास, अवगुण तुझमें एक ही भँवर न आयें पास।
रूप तेज तो राधिके, अरु भँवर कृष्ण को दास, इस मर्यादा के लिये भँवर न आयें पास।।"
प्राकृतिक सौंदर्य और रंग बिरंगे पुष्पों से भरपूर चंपा के पौधे का उपयोग अनेक स्वास्थ्यवर्धक पारंपरिक औषधि के रूप में भी किया जाता है। आर्द्र जलवायु में उगने वाला यह पौधा, वैसे तो वनों को हरा भरा रखने और घर की साज सज्जा बढ़ाने के लिए उगाया जाता है। किंतु इसके विभिन्न भागों अर्थात छाल, पत्ती, जड़ें, पुष्प आदि का उपयोग, अनेक बिमारियों की दवा के रूप में भी किया जाता है। जो इस प्रकार हैं:
1. मरहम : चंपा के पुष्प को सूखाकर उसमें उपस्थित तेल से मरहम (औषधीय उपयोग हेतु) तैयार किया जाता है।
2. सूजन घटाने हेतु : शरिर के किसी भी भाग से सूजन कम करने के लिए इसकी नरम छाल को पानी के साथ गरम करके उस पानी को सूजन वाले हिस्से में लगाकर सूजन कम की जा सकती है।
3. एंटीबायोटिक (Antibiotic) के रूप में : इस पौधे में उपस्थित यौगिक भिन्न औषधीय गुणों वाले होते हैं जैसे एंटीपायरेटिक (Antipyretic, बुखार को कम करने वाला), एंटीइनफ्लारनाटिफ (Antiinflarnatif, जलन पर काबू पाने वाला), और एनाल्जेसिक (Analgesic, दर्द से राहत देने वाला)।
4. दांत दर्द से राहत हेतु : पौधे की कुछ बूंदे रुई के माध्यम से दांत के दर्द वाले स्थान पर रखें, यह प्रक्रिया दिन में 1-2 बार ही करें। यह दर्द से अस्थायी राहत दिलाने में सहायक सिद्ध होता है।
5. अल्सर (फोड़े) से राहत : चंपा के पुष्प को आग में सुखाकर (सिकुड़ने तक) जैतून के तेल के साथ मिश्रण तैयार करें तथा उसे अल्सर वाले स्थान पर लगाएं।
6. मधुमेह को कम करने में सहायक : चंपा के पौधे की 1 जड़ को धोकर उसे 2 कप पानी में तब तक उबालें जब तक वह एक कप ना हो जाए। इस पानी का सेवन मधुमेह के रागियों के लिए लाभदायक होता है।
*ऊपर दिए गए सभी उपचार शैक्षिक उद्देश्य के लिए हैं ना कि आज़माने लायक सिद्ध उपचार हैं। गलत खुराक इलाज के बजाय, आपको दुष्प्रभाव और नुकसान पहुंचा सकती है। इसलिए कोई भी उपचार अपनाने से पहले योग्य और प्रशिक्षित आयुर्वेदिक और एलोपैथिक डॉक्टरों से सलाह ज़रूर करें।
अन्य नाम :
मराठी – खैर चम्पा
तेलुगु – नुरू वरहालू
कन्नड़ – देवा गनिगिले
बंगाली – दालान फूल
उड़िया – गोलोची
असमिया – गुलांची
संस्कृत – खीरा चंपा
संताली – चंपा पुनगर
गुजराती – रहाड़ा चंपो
मलयालम – अरली
संदर्भ :
1. अंग्रेज़ी पुस्तक: Kurian, J. C. (1995) Plants that Heal, Oriental Watchman Publishing House
2. http://plantsandbenefits.blogspot.com/2014/08/frangipani-flower-benefits-as-antibiotic.html
3. http://2beingfit.com/temple-flower-or-frangipani-proven-benefits-uses/#
4. http://sandipnaik.blogspot.com/2013/04/blog-post_13.html
5. https://en.wikipedia.org/wiki/Materia_medica
6. http://www.medicinehunter.com/about-plant-medicines