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पृथ्वी की सतह से अंतरिक्ष तक अपने उपग्रहों को पहुंचाने के लिए विभिन्न देशों द्वारा बहुद्देशीय यानों का निर्माण किया जाता है। ये यान वहन क्षमता, दूरी, आवश्यकता और आकृति के अनुसार अलग अलग होते हैं। बैलेस्टिक मिसाइल, साउंडिंग रॉकेट सहित अनेक अंतरिक्ष यानों का निर्माण अंतरिक्ष यात्रा के लिए किया गया। अब तक तैयार किये गये यानों में अधिकांश एक बार उपयोग के पश्चात समाप्त हो जाते हैं। अक्सर ये यान पांच चरणों में सफलतापूर्वक लॉन्च किये जातें हैं।
इसरो (Indian Space Research Organization- 15 अगस्त 1969) ने भारत का प्रचम विश्व में ही नहीं वरन् अंतरिक्ष में तक फैला दिया। आज भारत अंतरिक्ष में अपने अनेक कृत्रिम उपग्रह प्रक्षेपित कर चुका है। चलो जानें भारत का पहला सफल उपग्रह प्रक्षेपण यान SLV-3 (उपग्रह प्रमोचन यान-3) का सफर। 400 किमी दूरी तथा 40 किग्रा भार क्षमता वाले SLV-3 को एपीजे अब्दुल कलाम के नेतृत्व में पहली बार 1979 को लॉन्च किया गया, किंतु श्रीहरिकोटा में हुआ यह पहला परिक्षण असफल रहा। 18 जुलाई 1980 को अंततः यह रोहिणी उपग्रह-1 को अपनी कक्षा में प्रक्षेपित करने में सफल रहा। जिसने भारत को अंतरिक्ष पर कार्य करने वाले राष्ट्रों की सूची में छठवां स्थान प्रदान किया। इसकी सफलता ने भारत द्वारा लॉन्च किये गये अन्य यान संवर्धित उपग्रह प्रक्षेपण यान (ASLV), ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (PSLV), भूस्थिर उपग्रह प्रक्षेपण यान (GSLV) और भूस्थिर उपग्रह प्रक्षेपण यान एम.के. 3 (GSLV MK3) के लिए मार्ग प्रशस्त किया।
इसरो द्वारा अंतरिक्ष में लॉन्च किये गये उपग्रहों से, अंतरिक्ष की गतिविधियां, मौसम परिवर्तन तथा खगोलीय अध्ययन इत्यादि से संबंधित सूचनाओं को प्राप्त करने के लिए 12 भू केंद्रीय नेटवर्क स्थापित किये गये हैं। जिनमें से एक लखनऊ में स्थित है। इसरो ने भारतीय उद्योगों को आधुनिक प्रोद्योगिकी से जोड़ने का हर संभव प्रयास किया है जिसमें संचार, प्रसारण, मौसमवैज्ञानिक सेवाएं और भू-स्थानिक सूचना सेवाएं इत्यादि शामिल हैं। सर्वप्रथम टेक्नोलॉजी का स्थानांतरण (TT) के अंतर्गत दर जायरोस्कोप (एम.आर.जी.-74) बनाने की अनुमति, लखनऊ के HAL (Hindustan Aeronautics Limited) को 1975 में दी गयी, जिसने VSSC (Vikram Sarabhai Space Centre) के 200 से भी अधिक जायरोस्कोप का उत्पादन किया। इसरो ने अनेक कंपनियों को इस प्रकार के उत्पाद बनाने के लाइसेंस प्रदान कर उनके विकास में सहायता की। प्रौद्यागिकी का उपयोग मानवता के लिए किया जाए ना कि मानव का प्रौद्यागिकी के लिए।
1.https://www.isro.gov.in/launchers/slv
2.https://www.indiatimes.com/news/india/on-this-day-30-years-ago-isro-launched-the-first-experimental-flight-of-slv-3_-327537.html
3.https://www.isro.gov.in/isro-telemetry-tracking-and-command-network-istrac-supports-astrosat-mission
4.https://www.isro.gov.in/space-applications-centre-sac-ahmedabad-executed-100th-technology-transfer-agreement