लखनऊ भारत के सबसे ज्यादा आबादी वाले प्रदेश उत्तर प्रदेश की राजधानी है। प्रदेश की राजधानी होने के कारण यहाँ पर लाखों की संख्या में लोग रहते हैं तथा तमाम कल कारखाने यहाँ पर बनाये गएँ हैं। इन कल कारखानों से बड़ी मात्रा में दूषित जल नालियों के सहारे नदियों में भेजा जाता है। ये नालियाँ ही यहाँ के जल जमाव से निजात दिलाती हैं। नालियों से ही रोजाना प्रयोग में लाया जाने वाला जल और विभिन्न अन्य प्रकार के जलों जैसे वर्षा का जल, कल कारखानों का जल आदि नदियों में भेजा जाता है और इन नदियों के सहारे ही ये जल समुद्र में मिल जाता है। ये नदियाँ प्राकृतिक जल निकासी व्यवस्था के अंतर्गत आती हैं। लखनऊ में गोमती नदी के किनारे बसा हुआ है, गोमती नदी गोमत ताल से निकलती है और अपने राह में यह कई नदियों से मिलती है जिससे इसकी धारा में बढाव आता है।
भारत में जल निकासी के प्रमुख साधनों में ये प्राकृतिक नदियाँ ही हैं जो की जल को शहरों आदि से निकाल कर समुद्र तक पहुचाती हैं। भारत की कुछ विशालकाय प्रमुख नदियाँ हैं जो की प्राकृतिक जल निकासी के साधनों की उपलब्धि करवाती हैं। इन नदियों में गंगा, यमुना, नर्मदा, चम्बल, आदि हैं जो की कई नदियों से मिलती हैं। गोमती गंगा की सहायक नदी है जो की गंगा में बनारस के पास मिलती है। यह नदी लखनऊ के जल निकासी की प्रमुख साधन है।
वर्तमान काल में लखनऊ की आबादी बेतरतीब तरीके से बढ़ रही है और प्राकृतिक जल निकासी अर्थात नाले आदि के अतिक्रमण से जल जमाव की स्थिति उत्पन्न हो जाती है और मानव निर्मित जल निकासी का समुचित प्रबंध ना किये जाने के कारण यहाँ के कई इलाकों में जल जमाव की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। ऐसे में यह महत्वपूर्ण है की नगरीकरण के तमाम बिन्दुओं को ध्यान में रखकर जल के शुद्धिकरण और जल जमाव की समस्या से जूझना जरूरी है।
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