15 अगस्त एक ऐसी तारिख है जो हर भारतीय के मन में एक ख़ास स्थान रखती है और जिसे सुनकर हर भारतीय के दिल में एक ही भावना आती है, ‘आज़ादी’। यदि यह दिन आज तक हमारे लिए इतना महत्त्व रखता है तो सोचिये कि 1947 में इस दिन का क्या महत्त्व रहा होगा।
14 अगस्त 1947 की रात में आधी रात को प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू ने सभी देशवासियों को संबोधित करते हुए एक भाषण दिया था जिसे आज ‘ट्रिस्ट विद डेस्टिनी’ (Tryst With Destiny) के नाम से याद किया जाता है। इसी से मिलता जुलता एक भाषण सन 1936 में फ्रेंक्लिन रूज़वेल्ट द्वारा लोकतान्त्रिक राष्ट्रीय सम्मलेन में दिया गया था जिसका नाम था ‘रोंडेवू विद डेस्टिनी’ (Rendezvous with destiny)। हो सकता है पंडित नेहरू का भाषण भी इसी भाषण से प्रेरित हो।
पंडित नेहरू के भाषण को आप ऊपर दी गयी वीडियो में सून सकते हैं। नेहरू अपने भाषण में कहते हैं, “बहुत सालों पहले हमने भाग्य के साथ प्रयास किया, और अब वह समय आता है जब हम पूरी तरह या अधूरी तरह से नहीं, बल्कि मूलतः हमारी प्रतिज्ञा का विमोचन करें। आज मध्यरात्रि पर, जब दुनिया सोती है, भारत जीवन और आज़ादी के लिए जाग जाएगा। एक पल आता है, जो इतिहास में शायद ही कभी आता है, जब हम बूढ़े से नए हो जाते हैं, जब एक उम्र समाप्त होती है, और जब एक राष्ट्र की लंबे समय तक दबी हुई आत्मा को उच्चारण मिल जाता है। इस गंभीर क्षण में यही सही है कि हम भारत और उसके लोगों की सेवा तथा मानवता के लिए समर्पण की प्रतिज्ञा लें।
1. https://www.mapsofindia.com/personalities/nehru/message-to-nation.html
2. https://www.youtube.com/watch?v=AzdVKGdZUpQ
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