देश के कोने-कोने में अब कुछ महीनों से प्लास्टिक हटाने की बात को और गंभीरता से लिया जा रहा है। ऐसा नहीं है कि हमारे पास विकल्प नहीं हैं, बल्कि भारत एक ऐसा देश है जहां जैविक उपकरणों की कभी कमी नहीं होती। परन्तु अर्थव्यवस्था की नज़र से कई बदलाव फिर अनिवार्य हो जाते हैं।
प्लास्टिक हमारे दिनचर्या के हर पल में संघटित है, इतना ज्यादा कि हमें याद भी नहीं रहता। जैसा कि हमारा स्मार्ट फ़ोन (Smart Phone), जो रोज़ नए किफायती दामों में रूप ले रहा है। खाद्य पदार्थ जो पैक होकर आते हैं, उन सब का उद्योग प्लास्टिक पर निर्भर है। इलेक्ट्रॉनिक सामान के अलावा घरेलु उपकरण, दवाई की पैकिंग, एवं छोटी से छोटी चीज़ जैसे कलम और टूथब्रश जिनके बिना हमारा काम रुक जाए, सब में प्लास्टिक का योगदान है।
यदि बेजंग इस्पात व लकड़ी के वस्तु को प्लास्टिक की वस्तु की जगह लेनी हो तो और पेड़ काटे जायेंगे और ज़मीन के भीतर से लोहा इत्यादि को निकालने के वातावरण पर हानि होगी और हर तरह से यह भारी पड़ेगा। कृषि अपशिष्ट से बनाए वस्तु साल के कुछ ही महीने में बनाये जा सकते हैं।
परन्तु कुछ क्षेत्र में प्लास्टिक हटाने के फायदे भी हैं। प्लास्टिक के कारण आज मछली और गाय का दम घुटता है, और प्लास्टिक नहीं रहेगा तो मछुआरे और ग्वाले के पेशे में उन्नती भी आएगी।
लखनऊ की बात करें तो यहाँ भोजन की परंपरा नवाबों के समय से ही चली आ रही है। यहाँ पर सड़कों पर विभिन्न पकवानों के ठेले आराम से देखे जाते हैं जिनपर कई शौक़ीन खाने का लुत्फ़ उठाते हुए दिखाई देते हैं। खाने के दौरान यह भी देखा जाता है कि जिस बर्तन में लोग खाना खाते हैं वास्तव में वह प्लास्टिक एक बार प्रयोग के बाद फेंक दी जाने वाली होती है; यह बर्तन वातावरण के लिए किसी अभिशाप से कम नहीं है। यदि वातावरण दूषित रहेगा तो हमारा स्वास्थ्य भी बीमार ही रहेगा। हाल ही में हैदराबाद की एक कंपनी ने ऐसे चम्मच-काँटों का निर्माण किया जिन्हें भोजन के बाद खाया जा सकता है, परन्तु इसकी कीमत भी प्लास्टिक के बर्तन से कई गुना है।
भले ही जैविक पदार्थ अच्छे विकल्प हैं, परन्तु दुनिया की जनसँख्या को देखकर लगता है कि प्लास्टिक के स्थान पर यदि और संसाधन के वस्तु लाई जायें तो मानव जाति को बड़े पैमाने पर बहुत चिंतन करना होगा, ताकि वह वही प्लास्टिक इस्तेमाल करें जिसकी पुनरावृत्ति हो सके। प्लास्टिक को जिम्मेदार तरीके से निपटाएं, ताकि इससे किसी और जीव जंतु को हानि न पहुंचे।
संदर्भ:
1. https://www.quora.com/How-does-the-ban-on-plastic-affect-the-Indian-economy
2. https://www.thebetterindia.com/138316/plastic-banned-handmade-good-expensive-alternatives/
3. https://www.thebetterindia.com/30465/edible-cutlery-in-india/
4. http://www.bakeys.com/product-category/products/
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