वर्तमान समय में लखनऊ से लेकर अन्य महानगरों तक तथा बड़े शहरों से लेकर छोटे गांवों तक मोबाइल फोन हम सब की ज़िदंगी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है। पिछले कुछ सालों में उत्तर प्रदेश में लैंडलाइन उपयोगकर्ताओं की संख्या में कमी आयी है, परंतु मोबाइल फोन के उपयोग में उत्तर प्रदेश अग्रणी रहा है।
लखनऊ के हजरतगंज, अमिनाबाद और लालबाग से लेकर अन्य छोटे बाजारों में मोबाइल फोन की कई दुकानें हमें आसानी से दिखाई दे जाती हैं। ओप्पो, सैमसंग, माइक्रोमैक्स इत्यादि जैसी कंपनियों ने मोबाइल को लुभावने फीचर्स के साथ इतना सस्ता बना दिया है कि वर्तमान समय में आम आदमी भी इसे आसानी से अपने बजट (Budget) के अनुसार खरीद सकता है। आज दुनिया मोबाइल फोन पर निर्भर है। वास्तव में, मोबाइल फोन एक तकनीकी उपकरण से एक सामाजिक उपकरण में बदल गया है। यह अब किशोरावस्था के दैनिक जीवन का एक अभिन्न अंग है और इलेक्ट्रॉनिक संचार का सबसे लोकप्रिय माध्यम बन गया है। मोबाइल में हम संचार के साथ-साथ इंटरनेट, फिल्में देखना, सोशल मीडिया जैसी अन्य सुविधाओं का भी उपयोग कर सकते हैं।
इसी साल सी.एम.आर या साईबरमीडिया रिसर्च (Cyber Media Research) की एक रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश भारत में मोबाइल उपयोग करने वाले ग्राहकों की संख्या के मामले में अग्रणी राज्य के रूप में उभरा है। इसके अलावा, भारत के कुल हैंडसेट का 15% उत्तर प्रदेश में उपयोग किया जाता है। रिपोर्ट में यह बताया गया है कि भारत में इस्तेमाल होने वाले 12% स्मार्टफोन (Smartphone) यूपी में हैं, जबकि फीचर फोन (Feature Phone) में यह 17% तक है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि राज्य में 3 में से 1 उपयोगकर्ता स्मार्टफोन का उपयोग करता है।
युवाओं पर मोबाइल फोन का बुरा प्रभाव:
जैसा की हम सब जानते हैं कि वर्तमान समय में टेक्नोलॉजी के कुछ अपने फायदे और नुकसान भी हैं, इसका सबसे बड़ा प्रभाव युवाओं पर देखा जा सकता है। एक तरफ युवा अपने सोशल नेटवर्क को व्यवस्थित बनाए रखने के लिए तथा शिक्षा संबंधी जानकारी हेतु सकारात्मक तरीकों से मोबाइल फोन का उपयोग करते हैं वहीं दूसरी ओर इसका नकारात्मक प्रभाव उनके पारिवारिक रिश्तों, स्कूल, कार्य और शिक्षा पर भी पड़ता है।
मोबाइल फोन युवाओं के लिए एक नाम और हैसियत का प्रतीक बन गया है। इसे एक फैशन के रूप में भी देखा जा सकता है जो मोबाइल वॉलपेपर, रिंग टोन, फोन कवर, कैरी बैग और अन्य सहायक उपकरण में विकल्प लेकर व्यक्तिगतकरण की आवश्यकता को पूरा करता है। आज के सयम में लोग मोबाइल फ़ोन के इतने आदी हो चुके हैं कि वे बिना मोबाइल के अपने जीवन यापन के बारे में कल्पना भी नहीं कर सकते हैं। इसका सबसे बड़ा दुष्परिणाम छात्रों में देखा गया है। हाल के समय में परीक्षा में नकल करने के लिए मोबाइल फोन का उपयोग अधिक बढ़ गया है -- इस माध्यम से की गयी गतिविधियों को पहचानना भी मुश्किल है। इसका सीधा असर छात्रों के विचारों और मानसिकता पर पड़ा है। वर्तमान समय में प्रतिस्पर्धा इतनी बढ़ गयी है कि प्रत्येक व्यक्ति के लिए रोजगार पाना संभव नहीं है।
कैसे कहें मोबाइल को ना:
हम स्मार्टफोन के नशे की लत से भली भांति अवगत हैं। जागने के बाद तथा सोने से पहले तक हम मोबाइल का उपयोग करते ही रहते हैं, हम खुद पर नियंत्रण करना चाहते हैं परन्तु एक नोटिफिकेशन (Notification) के आते ही हम अपने आप को रोक नहीं पाते और फिर से मोबाइल में सोशल मीडिया से जुड़ी गतिविधियों को पढ़ने बैठ जाते हैं।
बेशक आप अपने स्मार्टफोन के आदी हों, किंतु आप जब चाहें इसे रोक सकते हैं। स्मार्टफोन के उपयोग को कम करने के कई उपाय हैं। दिन के कुछ ऐसे समय होते हैं जब हमें फ़ोन की असल में जरूरत नहीं पड़ती, भोजन के दौरान मोबाइल को हाथ ना लगाएं। प्रलोभन से बचने के लिए सोने से पहले पढ़ने के लिए एक किताब या पत्रिका अपने पास रखें। आप कोशिश करें कि आप मोबाइल का ज्यादा से ज्यादा सदुपयोग समाचार पत्रों को पढ़ने में, अपनी शिक्षा से संबंधित जानकारी प्राप्त करने में इस्तेमाल करें ना कि सोशल मीडिया और युट्यूब (YouTube) में अपना मूल्यवान समय व्यतीत करने में।
जब नोटिफिकेशन की जरुरत न हो तो उसे बंद रखें। सोशल मीडिया पर बहुत लोग हमारे वास्तविक मित्र नहीं होते, उन्हें अनफ़ॉलो (Unfollow) करें, इससे आपकी हर किसी की टाइमलाइन/गतिविधियों (Timeline) को पढ़ने की आदत कम हो सकती है।
हमारे उन लोगों के लिए जिन्हें स्मार्टफोन उपयोग करने की अत्याधिक लत है, कुछ हद तक कुछ ऐप (App) (जैसे ब्रेकफ्री, ऑफटाइम तथा मोमेंट) की मदद से यह लत कम कर सकते हैं। यह आपको ध्यान केंद्रित करने में मदद के लिए दिन के निर्दिष्ट समय के दौरान फेसबुक और गेम जैसे विचलित ऐप्स को अवरुद्ध करता है, और आपने स्मार्टफ़ोन में कितना समय व्यतीत किया है, इस विषय में जानकारी प्रदान करता है ताकि आप अपने सुधारों का अवलोकन कर सकें। वर्तमान स्थिति को देखा जाए तो मोबाइल प्रौद्योगिकी एक अभिशाप भी है और वरदान भी, ये हम पर निर्भर करता है कि हम इसका उपयोग किस प्रकार करते हैं।
संदर्भ:
1.https://timesofindia.indiatimes.com/city/lucknow/up-has-highest-migration-rate-in-country-assocham/articleshow/59043938.cms
2.https://www.researchgate.net/publication/27465354_The_impact_of_the_mobile_phone_on_young_people's_social_life
3.https://www.theguardian.com/technology/2018/jan/27/mobile-phone-addiction-apps-break-the-habit-take-back-control
4.https://www.asurion.com/connect/tech-tips/helpful-ways-to-keep-smartphone-addiction-under-control/
5.https://telecom.economictimes.indiatimes.com/news/up-leads-in-mobile-subscribers-15-of-handsets-in-india-being-used-in-the-state-cmr/62998186
6.https://www.statista.com/statistics/467163/forecast-of-smartphone-users-in-india/
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