लखनऊ में अक्सर हमें बन्दर दिखाई दे जाते हैं जो कि इधर-उधर इमारतों आदि पर उछल-कूद करते रहते हैं। कभी किसी ठेले पर से फल उठा लेते हैं तो कभी हाथ से खाने की चीजें। जब हम बंदरों को देखते हैं तो उनमें कई मानवीय लक्षण दिखाई देते हैं। भारत में पाया जाने वाला आम बन्दर का मनुष्यों से अत्यंत करीबी रिश्ता है। आइये आज जानते हैं कि मानव और इन बंदरों में क्या समानताएं हैं। अब सबसे पहले आपको यह बता दें कि भारत में कुल कम से कम 13 प्रकार के बन्दर की प्रजातियाँ पायी जाती हैं। इन सभी 13 प्रकारों में एक सबसे आम बन्दर है जिसका वैज्ञानिक नाम है ‘रीसस मैकाक’ (Rhesus Macaque)। रीसस बंदर प्राचीन विश्व के बंदरों की सबसे प्रसिद्ध प्रजातियों में से एक है और यह देश भर में बड़ी आबादी में पाया जाता है। यह बन्दर एशिया का मूल निवासी है। यह बड़ी आसानी से अपने आपको भौगोलिक स्थिति के अनुसार ढाल लेता है। यही कारण है कि विश्व के अन्य कुछ देशों में भी यह पाया जाता है।
रीसस मैकाक का मानवों के रक्त से एक गहरा सम्बन्ध है। इसका रक्त मानवों के रक्त से मेल खाता है जो कि एक अनोखी बात है। इसका रक्त मानव के भिन्न प्रकार के रक्त पहचानने में एक मील का पत्थर साबित हुआ है और यह मानव के विकास से जुड़ी कई जानकारियाँ प्रस्तुत करता है। इस छोटे बंदर ने अंतरिक्ष यात्रा, क्लोनिंग और मानव व्यवहार में अंतर्दृष्टि भी प्रदान की है। ये बन्दर आमतौर पर जड़, फल, बीज, छाल, कीड़े और छोटे जानवर आदि खाते हैं। ये झुण्ड में रहना पसंद करते हैं तथा इनके झुण्ड की संख्या 200 तक की हो सकती है। इस प्रकार से हम देख सकते हैं कि इन बंदरों में गुणों की भी समानता दिखाई देती है।
संदर्भ:
1. http://www.abc.net.au/science/articles/2010/04/07/2866275.htm
2. https://www.nationalgeographic.com/animals/mammals/r/rhesus-macaque/
3. http://www.walkthroughindia.com/wildlife/13-species-of-monkeys-found-in-the-indian-subcontinent/
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