लखनऊ में हुआ उर्दू उपन्यास का जन्म

लखनऊ

 04-07-2018 02:12 PM
ध्वनि 2- भाषायें

उपन्यास एक समय क्रांति के रूप में समाज में फैले थे। अंग्रेजी साहित्य के पुनर्जागरण काल ने उपन्यास लिखने की प्रथा को एक अतुलनीय उंचाई पर पहुँचाया था और यही समय था जब जॉन मिल्टन की पैराडाइज लॉस्ट, चार्ल्स डिकेंस आदि के उपन्यासों ने उपन्यास लेखन में एक नयी अलख सी जगा दी। उपन्यास पूरे विश्व भर में प्रचलित हुए और वहीं अगर भारत की बात की जाए तो भारत में उपन्यास लेखन का प्रचलन 19वीं शताब्दी के दूसरे दशक में हुआ और यही दौर था जब भारत में उपन्यास अत्यंत प्रचलित हुआ।

आधुनिक हिंदी में जनक भारतेंदु हरिश्चंद्र (1850-1885) ने हिंदी उपन्यास और साहित्य जगत को एक नया जीवन प्रदान किया जो कि तुलसीदास और रसखान के बाद मानो सुप्तावस्था में चला गया था। भारतेंदु के अलावा रतन नाथ सरशार (1842-1902) और बंगाली उपन्यासकार बंकिम चन्द्र चटर्जी (1838-1894) आदि भी इसी काल में हुए जिन्होंने उपन्यास लेखन के ज़रिये एक नयी प्रथा को जन्म दिया। आज भी इनके लेखों को लोगों द्वारा पढ़ा जाता है तथा यहीं से भारतीय उपन्यास मुख्यतया हिंदी, उर्दू और बंगाली की प्रमुख धारा का प्रचलन हुआ। लखनऊ का महत्व उर्दू साहित्य में अत्यंत महत्वपूर्ण है। भारतीय उर्दू साहित्य में प्रेमचंद्र द्वारा लिखित रचनायें कालजयी हैं। उर्दू साहित्य के उम्दा लेखकों में रतन नाथ सरशार का नाम सबसे ऊपर आता है। इनकी रचना फ़सान-ए-आजाद सबसे उम्दा लेखों में से एक माना जाता है तथा यही कारण है कि इनके इस लेख का उर्दू से हिंदी रूपांतरण मुंशी प्रेमचंद्र ने किया।

फ़सान-ए-आजाद में आकर्षक और मजेदार कहानियों का मिश्रण करने के लिए सरशार ने स्पैनिश डॉन क्विज़ोटे से प्रेरणा ली थे। रतन नाथ सरशार का जन्म लखनऊ में ही सन 1842 में हुआ था। इनके पिता जी एक कश्मीरी पंडित थे जो कि लखनऊ में आकर बस गए थे। इनके दो अन्य उपन्यास जाम-ए-सरशार और शायर-ए-कोहसर भी काफी मशहूर हैं जो कि क्रमश: 1887 और 1890 में प्रकाशित हुए थे। यह उपन्यास उमराव जान अदा के उपन्यास से नौ साल पहले प्रकाशित हुआ था जबकि गलत तरीके से माना जाता है कि उमराव जान अदा पहली उर्दू की उपन्यास थी। इस प्रकार से हम देख सकते हैं कि लखनऊ का उर्दू और हिंदी उपन्यास में कितना अहम् योगदान है। आज भी पकिस्तान में सरशार का लेख बड़े पैमाने पर पढ़ा जाता है लेकिन लखनऊ में लोग उनकी कहानियों को भूल बैठे हैं।

1. https://nation.com.pk/23-Aug-2011/ratan-nath-sarshar
2. http://www.panunkashmir.org/kashmirsentinel/mar2003/8.html
3. https://goo.gl/w15nfJ



RECENT POST

  • मकर संक्रांति के जैसे ही, दशहरा और शरद नवरात्रि का भी है एक गहरा संबंध, कृषि से
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     14-01-2025 09:28 AM


  • भारत में पशुपालन, असंख्य किसानों व लोगों को देता है, रोज़गार व विविध सुविधाएं
    स्तनधारी

     13-01-2025 09:29 AM


  • आइए, आज देखें, कैसे मनाया जाता है, कुंभ मेला
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     12-01-2025 09:32 AM


  • आइए समझते हैं, तलाक के बढ़ते दरों के पीछे छिपे कारणों को
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     11-01-2025 09:28 AM


  • आइए हम, इस विश्व हिंदी दिवस पर अवगत होते हैं, हिंदी के अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसार से
    ध्वनि 2- भाषायें

     10-01-2025 09:34 AM


  • आइए जानें, कैसे निर्धारित होती है किसी क्रिप्टोकरेंसी की कीमत
    सिद्धान्त I-अवधारणा माप उपकरण (कागज/घड़ी)

     09-01-2025 09:38 AM


  • आइए जानें, भारत में सबसे अधिक लंबित अदालती मामले, उत्तर प्रदेश के क्यों हैं
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     08-01-2025 09:29 AM


  • ज़मीन के नीचे पाए जाने वाले ईंधन तेल का अंतर्राष्ट्रीय व्यापार कैसे होता है?
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     07-01-2025 09:46 AM


  • परमाणु ऊर्जा संयंत्रों में बिजली कैसे बनती है ?
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     06-01-2025 09:32 AM


  • आइए, आज देखें, अब तक के कुछ बेहतरीन बॉलीवुड गीतों के चलचित्र
    ध्वनि 1- स्पन्दन से ध्वनि

     05-01-2025 09:27 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id