'सुन तो सही जहाँ में है तेरा फ़साना क्या, कहती है तुझ को ख़ल्क़-ए-ख़ुदा ग़ाएबाना क्या'
इस पंक्ति को यदि सरल शब्दों में समझा जाये तो इसका अर्थ है ‘ज़रूर सुनो कि ज़माना तुम्हारे बारे में क्या बातें बना रहा है, किन-किन नामों से तुम्हें तुम्हारी पीठ पीछे पुकारा जा रहा है’। प्रस्तुत चित्र भारत के पहले कार्टून छापने वाले अखबार ‘अवध पंच’ में सन 1891 में प्रकाशित हुआ था। चित्र में गरीबी से पीड़ित भारतवासी सरकार से राहत के लिए अनुरोध कर रहे हैं। बाईं ओर खड़ा व्यक्ति ब्रिटिश उपनिवेशवाद को दर्शाता है और उसे नाम दिया गया है ‘इंग्लैंड’। एक औरत जिसको नाम दिया गया है ‘हिन्द’, उस अंग्रेज़ का ध्यान एक पीड़ित बच्चे की ओर आकर्षित करने की कोशिश करती है। चित्रकार ये दिखाने में समर्थ रहे हैं कि उस औरत की पुकार से अंग्रेज़ को कोई फर्क नहीं पड़ रहा है। साथ ही इन भिन्न भारतीय किरदारों की पोशाक भी बड़ी दिलचस्प है। ऊपर दी गयी उर्दू पंक्ति मशहूर कवि इंशा द्वारा लिखित है।
1. विट एंड ह्यूमर इन कोलोनियल नॉर्थ इंडिया – मुशीरुल हसन
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