गर्मी का समय, उस पर ज्येष्ठ का महिना, फिर चिलचिलाती धूप और टप-टप टपकता पसीना और कहीं ऐसे में उत्तर प्रदेश के लखनऊ जैसे शहर में बिजली चली जाये, तो क्या कहना। लखनऊ शहर का महासागरों और पहाड़ी क्षेत्रों से दूर होने के कारण हम मनाली, कश्मीर, गोवा, लेह-लदाख आदि ऐसे पर्वतीय और सागरीय क्षेत्रों की मात्र कल्पना ही कर सकते हैं। हर व्यक्ति गर्मी के मौसम में गर्मी से बचकर ठण्डक का ऐहसास लेना चाहता है। ऐसे में शहर का वातानुकूलित सिनेमा हॉल एक उचित विकल्प हो सकता है कुछ क्षण गर्मी से बचने का। हम हमारी कल्पना में समायी पहाड़ी और समुद्री क्षेत्रों में बनी गयी फिल्मों का चैन के साथ लुप्त उठा सकते हैं और गर्मी को कुछ समय के लिए धूल चटा सकते हैं।
आज हम ऐसी ही कुछ बॉलीवुड फिल्मों को आपके लिए लेकर आये हैं और वो वहाँ क्यों शूट हुई यह भी जानेंगे। साथ ही साथ यह भी जानेंगे कि जहां अधिकांश भारतीयों के लिए गर्मी से बचने का मतलब पहाड़ों की ओर रूख करना है, वहीं दूसरी ओर यूरोपीय और अमेरिकी लोग गर्मियों में सूर्य का ताप लेने के लिए समुद्र तट पर काया को चर्म रोग मुक्त करने के लिए जाना पसंद करते हैं। त्वचा का रंग और इसकी पिग्मेंटेशन (Pigmentation) हमारे विकल्पों को प्रभावित करती है और यह सिर्फ एक सांस्कृतिक भेद का विषय नहीं है।
गोवा- ग्रीष्मकाल में युवाओं की पहली पसन्द है। गोवा की समुद्र की लहरों में गोता लगाने के लिए युवा, प्रेमी और हनीमूनर हमेशा तत्पर रहते हैं। 2001 में गोवा में बनी बॉलीवुड फिल्म ‘दिल चाहता है’ के ब्लॉकबस्टर हिट होने के कारण यह जगह लोगों के मध्य और भी लोकप्रिय बन गयी। यह फिल्म तीन दोस्तों की गोवा यात्रा कहानी को बताती है। फिल्म में उनका मजेदार व्यवहार आज भी प्रेरणादायक है। 2001 से गोवा फिल्म शूटिंग का प्रमुख और पसंदीदा स्थल बन गया है। गोवा में छोटे-बड़े सुंदर और रमणीय 40 तट हैं। अपने हल्के और सुखद एहसास के कारण यह शांतिप्रिय लोगों की पहली पसन्द है।
कश्मीर- ‘गर फिरदौस बर रूये ज़मी, अस्त-हमी अस्तो-हमी अस्तो-हमी अस्तो।’ अगर धरती पर कहीं स्वर्ग है, तो यहीं है, यहीं हैं, यहीं है। कश्मीर गर्मियों में घूमने के लिए सबसे सुंदर, ठण्डी और अच्छी जगह है। कश्मीर शुरू से ही भारी बर्फबारी के लिए सुर्खियों का केन्द्र रहता है। बस हम कल्पना कर सकते हैं कि कश्मीर गर्मियों में कैसे इतना ठण्डा है। यह न केवल भारत का ताज है, बल्कि ग्रीष्मकाल में यह देश का स्वर्ग भी है। बर्फ से ढके हुए पहाड़ों के मध्य स्थित, इसका उत्तरी क्षेत्र नरम और मुस्कुराते सूरज तक जाता है, जबकि देश के अन्य हिस्सों में गर्मी से नाराजगी है। कश्मीर में सूर्य की किरणें जब जमीन पर गिरकर बर्फ की सतह को चमकाती हैं, मानो ऐसा लगता है जैसे कि सफेद सोने की चादर बिछायी हो और वातावरण सुखमय बन जाता है, बजाए तपन महसूस कराने के। ऐसे में आप यश चोपड़ा की निर्देशित फिल्म ‘जब तक है जान’ के संगीत एलबम में ‘जिया रे, जिया रे’ गीत का विडियो देख आंनदित हो सकते हैं। साथ ही इस गर्मी के एहसास से दूर ले जाने वाली कुछ अन्य फ़िल्में हैं - ‘ये जवानी है दिवानी’, ‘जंगली’, ‘काश्मीर की कली’ जिनका लुत्फ़ उठाते हुए आप इस गर्मी की मार को भुला सकते हैं।
वहीँ दूसरी ओर यदि बात करें विदेशी गर्मियों की तो लोग उसमें ऐसी फ़िल्में देखना पसंद करते हैं जो किसी समुद्र तट या धूप वाले स्थान को प्रदर्शित करे। उदाहरण के तौर पर कुछ फ़िल्में जैसे ‘दि टैलेंटेड मिस्टर रिपली’, ‘डू दी राईट थिंग’, ‘टॉमबॉय’, ‘समर विद मोनिका’, ‘पौलीन एट दी बीच’ आदि गर्मियों में मौसम में अमेरिका और यूरोप के लोग देखना पसंद करते हैं।
1. https://www.indianeagle.com/travelbeats/indian-summer-destinations-in-bollywood-movies/
2. https://www.theguardian.com/film/2017/jun/24/25-greatest-summer-films
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