उत्तरप्रदेश का महत्व ब्रिटिश काल में अत्यंत ज्यादा था जिसका कारण है यहाँ पर होने वाला उत्पाद। उत्तरप्रदेश में अनेकों नेक नदियाँ बहती हैं जिनके किनारे कई शहरों की स्थापना ब्रिटिश काल में ही हुयी है। इन्हीं शहरों में से कुछ 5 को ‘कवल’ (KAVAL) नाम से जाना जाता है। ये शहर उत्तरप्रदेश की महत्ता को प्रदर्शित करते हैं। KAVAL शहर (कानपुर, आगरा, वाराणसी, अलाहाबाद और लखनऊ), उत्तर प्रदेश के 5 सबसे बड़े शहर हैं, इन शहरों को मिलाकर इनकी आबादी प्रदेश की शहरी आबादी का 25% है। यह सारे शहर गंगा और उसकी सहायक नदियाँ, यमुना और गोमती के किनारे बसे हैं। ऐसा शायद इसीलिए हुआ क्योंकि नदी के द्वारा आवागमन करने में काफ़ी सुविधा थी, और इस वजह से लोगों ने नदी किनारे शहर बसाना शुरू कर दिया।
ऐतिहासिक स्तर पर भी देखा जाए तो पूरे विश्व भर में विभिन्न संस्कृतियाँ व शहर नदियों के किनारे ही उपस्थित हैं। शहर के विकसित होने में संस्कृति का भी अहम हिस्सा था। नदी किनारे बड़े-बड़े किलों आदि के बनने के कारण शहर की जनसंख्या में भी बढ़ोतरी होने लगी। लोगों का शहरों की तरफ आने का एक प्रमुख कारण था रोजगार की उपलब्धता। आज के काल में इन शहरों में उद्योग और रेल का इलाका शहर का केंद्र बिंदु बन गया है। KAVAL शहर एक से बढ़कर एक हैं तथा इन शहरों की अर्थव्यवस्था उत्तर प्रदेश के अन्य शहरों से मज़बूत है। वहीं अगर देखा जाए तो प्रदेश स्तर पर इन शहरों में अपराध दर कम है। उत्तरप्रदेश में कोई शहर ज़्यादा विकसित है तो कोई विकास के ‘व’ से भी वंचित है जिसका कारण यही है कि लोगों का पूरा ध्यान इन्हीं प्रमुख शहरों पर रहा है। इन शहरों के बारे में यदि हम देखें तो मुख्यतया ये शहर उपनिवेशिक काल के दौरान बनाय गए थे।
कानपुर-
कानपुर का इतिहास वैसे तो कॉपर होर्ड सभ्यता तक जाता है परन्तु इस शहर का औद्योगिकीकरण उपनिवेशिक शासकों द्वारा किया गया था।यह शहर 1773 की संधि के बाद से अंग्रेजों के कार्यकाल में आया था। जैसा कि गंगा के किनारे बसा होने के कारण यहाँ पर अधिक मात्रा में यातायात की सुगमता थी तो अंग्रेजों ने इस नगर को औद्योगिक नगर बनाने की कवायद की और सर्वप्रथम सन 1778 में यहाँ पर कानपुर छावनी का निर्माण किया गया। ईस्ट इंडिया कंपनी ने यहाँ पर नील का व्यवसाय शुरू किया था। कालांतर में यह शहर इलाहबाद, लखनऊ आदि शहरों से थल मार्ग से जोड़ दिया गया जिस कारण यहाँ पर उद्योग और तीव्रता के साथ फलना-फूलना शुरू हुआ। कानपुर को चमड़े के कार्य के लिए भी जाना जाता है। आज यह शहर कई उद्योगों की नगरी है तथा यहाँ पर बड़े पैमाने पर व्यापार किया जाता है।
आगरा-
आगरा शहर मुगलों के अति प्रिय स्थानों में से एक था। यही कारण है कि यहाँ पर अनेकों मकबरे, किले आदि का निर्माण कराया गया था। मुगलों ने अपनी राजधानी दिल्ली से बदल कर आगरा कर दी थी जो कि इसकी महत्ता को प्रदर्शित करता है। 1835 ईस्वी में आगरा प्रेसिडेन्सी का निर्माण ब्रिटिश राज द्वारा किया गया था। आगरा यमुना नदी के किनारे बसा हुआ है तथा ब्रिटिश काल में इस शहर का निर्माण बड़े पैमाने पर हुआ था। यह शहर ब्रिटिश काल में प्रेसिडेंसी की राजधानी बना था। यह शहर औद्योगिक नजरिये से भी तैयार किया गया था जिसे हम आज देख सकते हैं।
बनारस-
बनारस विश्व के प्राचीनतम जीवित शहर के रूप में जाना जाता है। यहाँ पर राजघाट, सारनाथ आदि स्थानों की खुदाई व घाट आदि से इसकी प्राचीनता के अवशेष प्राप्त हो जाते हैं। बनारस शब्द यहाँ की दो नदियों के कारण बना है जिसे वरुणा और असी नाम से जाना जाता है। यह शहर कई परतों में विकसित हुआ है। आज यह प्रदेश की धार्मिक नगरी के रूप में जानी जाती है।
इलाहबाद-
इलाहाबाद को कुम्भ की नगरी के रूप में जाना जाता है। इस नगर की प्राचीनता नव पाषाण काल तक जाती है जिसका प्रमाण यहाँ पर स्थित झूंसी नामक पुरास्थल से मिला है। इलाहाबाद को प्रयाग के नाम से भी जाना जाता है जिसका अर्थ है विशेष यज्ञ। इलाहबाद शहर कई वंशों के अधीन रहा और अंत में यह अंग्रेजों के अधीन आया। उसी काल में यहाँ पर उच्च न्यायलय, सिविल लाइन आदि की स्थापना की गयी थी। यह शहर प्रेसिडेंसी की राजधानी के रूप में भी कार्यरत था।
लखनऊ-
लखनऊ शहर की स्थापना अवध के नवाबों द्वारा 18वीं शताब्दी में कराई गयी थी। यह शहर संस्कृति के प्रमुख केंद्र के रूप में उभर कर सामने आया था तथा खाद्य से लेकर इमारतों में यहाँ पर विशिष्टता आई। लखनऊ शहर अंग्रेजों के हाथ में मध्य 19वीं शताब्दी में आया तथा यहाँ पर अंग्रेजों ने रेसीडेंसी की स्थापना की। यह शहर अपनी चिकनकारी और अन्य व्यवसायों के लिए जाना जाता है। 1857 की क्रांति में लखनऊ की अहम भागेदारी देखने को मिली थी। वर्तमान काल में यह शहर उत्तर प्रदेश की राजधानी के रूप में कार्यरत है।
आइए इन शहरों की एक दूसरे से तुलना करें-
इन पाँच शहरों में से कानपुर शहर सड़क दुर्घटना के मामले में काफ़ी सुरक्षित है, एन.सी.आर.बी. की रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर में सड़क दुर्घटना से मरने वाले लोगों की संख्या काफ़ी कम है। वर्ष 2012 में कानपुर में कुल 177 लोगों की सड़क दुर्घटना से मौत हुई थी। अन्य KAVAL शहरों में यह संख्या बेहद ज़्यादा है। यदि इन शहरों की जनसँख्या और साक्षरता पर नजर डालें तो निम्नलिखित बिंदु निकल कर सामने आते हैं।
नाम | जनसँख्या (2011) | पुरुष | महिला | जनसँख्या (5 वर्ष से कम आयु) | साक्षरता दर |
कानपुर | 32,42,184 | 14,84,967 | 14,74,100 | 2,66,336 | 88.98 |
लखनऊ | 32,01,474 | 16,18,951 | 15,82,523 | 2,89,375 | 84.72 |
आगरा | 21,46,467 | 10,42,441 | 9,63,402 | 2,10,036 | 64.61 |
वाराणसी | 17,35,113 | 9,61,060 | 8,74,053 | 1,57,482 | 80.31 |
इलाहबाद | 13,16,719 | 7,55,734 | 6,60,985 | 1,12,023 | 86.06 |
1.https://books.google.co.in/books?id=hePcGyaBUg4C&pg=PA101&Ipg=PA101&dg=kaval+towns+of+uttar+pradesh&sources=bl&ots+mLX7v284qG&sig+D2jLFc5Ruq7LIF086uAAiP#v=onepage&q=kaval%20towns%20of%20pradesh&f=false
2.www.wikipedia.com/uttar_pradesh
3.चित्र में दर्शाए गए ग्राफ की स्रोत पुस्तक- अल्लाहाबाद अ स्टडी इन अर्बन जियोग्राफी, उजागिर सिंह
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