विदेशी आक्रमणों के बाद भारत में शासन की स्थिति अत्यंत उतार चढ़ाव के साथ गिरने उठने लगी और इसी दौरान यहाँ पर सल्तनत काल की शुरुवात हुयी। सल्तनत काल भी अलग-अलग स्थानों पर बंटा हुआ था जैसे हम देख सकते हैं कि दिल्ली सल्तनत, जौनपुर सल्तनत, मांडू आदि। सल्तनत काल में भारत भर में कई निर्माण के कार्य हुए। क़ुतुब मीनार उसी का एक जीता जागता उदाहरण है। सल्तनत काल में भी यदि देखा जाए तो कोई एक ऐसा वंश या राज्य ना आया जो कि भारत भर के एक बड़े भूखंड पर आधिपत्य स्थापित कर सके। मुगलों के उदय के बाद भारत में एक बड़े भूखंड पर उनका अधिकार हो गया और यह शासन 16वीं शताब्दी से प्रारंभ होकर 19वीं शताब्दी में जब भारत पूर्ण रूप से अंग्रेजों के कब्जे में चले गया था तब तक चला।
रामपुर की स्थापना वैसे तो 1775 ईसवी में हुयी थी, तभी से यह स्थान प्रकाश में आया। अब यह जानने की आवश्यकता है कि रामपुर की स्थापना के पहले यह स्थान क्या था? रामपुर दिल्ली के मुग़ल साम्राज्य का हिस्सा था तथा यह दो विभिन्न हिस्सों में विभाजित था - 1. संभल, 2. बदायूं। उस काल में रामपुर किसी अन्य नाम का एक छोटा सा गाँव हुआ करता था। यह क्षेत्र कठेर के नाम से प्रसिद्ध था। कठेर नाम 10वीं शताब्दी के आस-पास पड़ा था। अभी तक किसी भी प्रकार के पुरातात्विक अन्वेषण या उत्खनन इस जिले में नहीं हुए हैं। यहाँ पर लेकिन कुछ गाँव हैं जहाँ पर हमें पुरातात्विक सामग्रियां मिलती हैं जैसे कि अंजन खेड़ा, बैरखेड़ा, ईसाखेड़ा आदि।
कठेर में पहला इस्लामिक आक्रमण 1194 में शहाबुद्दीन गौरी द्वारा किया गया था। क़ुतुबुद्दीन ऐबक की बदायूं विजय के बाद यह क्षेत्र सल्तनत के प्रभाव में आ गया था। 1203 ईसवी में यह इल्तुत्मिश के काल में पूरा कठेर सल्तनत का भाग बन गया था। सल्तनत काल से लेकर पठान और मुग़ल काल तक इस क्षेत्र का मालिकाना हक कठेरियों के ही हाथ में था। इस प्रकार से कठेर एक महत्वपूर्ण स्थान के रूप में रहा जब तक इस पर अवध का आक्रमण ना हुआ। अवध के आक्रमण के बाद ही कठेर का पतन हुआ और रामपुर की स्थापना हुयी। इस प्रकार से हम देख सकते हैं कि प्रारंभिक मध्यकाल में रामपुर कठेर का भाग था।
1. http://shodhganga.inflibnet.ac.in/bitstream/10603/167913/5/05_chapter%201.pdf
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