सभ्यताओं की शुरुआत से पहले मानव एक यायावर जीवन जीता था जिसमें वह समय और मौसम के अनुसार अपने घर को बदलते रहता था। यदि मानव इतिहास को देखा जाए तो इसका एक महत्वपूर्ण हिस्सा है पाषाण काल। इस काल में मानव पर्वतों के कंदराओं में निवास करता था तथा वह शिकार पर मुख्य रूप से आश्रित हुआ करता था। पाषाणकाल को निम्नलिखित रूप से जाना जाता है- निम्न पुरापाषाणकाल, मध्य पुरापाषाणकाल, उच्च पुरापाषाणकाल, नव पाषाणकाल आदि। इन सभी कालों का विभाजन उस वक़्त के मानव के रहन-सहन और औजार बनाने की परंपरा के आधार पर बांटा गया है।
सबसे पहला काल निम्न पुरापाषाणकाल है जिसमें मानव अत्यंत ही शुरुवाती प्रकार के पत्थर के औजारों का प्रयोग किया करता था। ये औजार देखने में अत्यंत ही सामान्य और कम धारदार हुआ करते थे तथा आकार में भी ये काफी बड़े होते थे। निम्न पुरापाषाणकाल के उपरांत मध्य पुरापाषाणकाल का आगमन होता है। इस काल में मानव हथियारों में अधिक भिन्नताएं लाता है तथा इस काल के पत्थर के हथियार अधिक धारदार होते थे जो कि शिकार को आसान कर देते थे। उच्च पुरापाषाणकाल में हथियारों का आकार छोटा और सटीक हो गया। इस काल के दौरान औज़ार अधिक धारदार हुआ करते थे तथा हथियारों के प्रकारों में भी कई विभिन्नताएं आयीं। नव पाषाणकाल अपने नाम के अनुरूप था। इस काल में दरांती, छोटे पत्थर के औज़ार आदि का जन्म हुआ। इस प्रकार से मानव के पाषाण काल को विभाजित किया गया है।
मानव पाषाणकाल के दौरान ही चित्रकारी भी बड़े पैमाने पर किया करता था। इन चित्रकारियों में वह आस-पास उपस्थित वस्तुओं, जीवों व खुद की जिंदगी से जुड़ी अन्य चीजों का अंकन किया करता था। ये सभी चित्र मानव के इतिहास को और बेहतर तरीके से समझने में मददगार सिद्ध होते हैं। पूरे भारत भर में हम इन चित्रों को देख सकते हैं जो कि विभिन्न स्थानों पर गुफाओं या पहाड़ों की दीवारों पर उकेरे गए हैं। भारत का सबसे बड़ा चित्रित पुरास्थल भीमबेटका है जो कि भोपाल, मध्यप्रदेश में स्थित है। रामपुर में अभी तक किये गए तमाम अन्वेषणों में एक से भी पाषाणकालीन साक्ष्य हमें नहीं प्राप्त हुए हैं परन्तु रामपुर के आस-पास के क्षेत्रों में जैसे कि उत्तराखंड, बुंदेलखंड आदि की पर्वत श्रृंखलाओं में अनेकों पुरास्थल उपस्थित हैं जो कि अनेकों चित्रों का संग्रहण किये हुए हैं। उत्तराखंड के अल्मोड़ा का लाखुडियार, मिर्ज़ापुर का लेखानियादरी, बुंदेलखंड के चित्र प्रागैतिहासिक काल के विभिन्न आयामों को प्रस्तुत करते हैं।
यह जानना भी अत्यंत आवश्यक है कि करीब 10,000 ईसा पूर्व में कितने मानव पृथ्वी पर निवास किया करते थे? क्यूंकि यह आंकड़ा हमें मानव के विकास और आबादी का विषद विवरण प्रस्तुत करता है। 10,000 ईसा पूर्व में पृथ्वी पर कुल करीब 40,00,000 लोग निवास किया करते थे। अब आज के विवरणों का सहारा लिया जाए तो यह पता चलता है कि आज विश्व की आबादी 7 अरब है जो कि पाषाणकाल की आबादी से कई गुना ज्यादा है। अकेले भारत की आबादी 1.2 अरब है जिसमें से उत्तर प्रदेश की आबादी 20 करोड़ के करीब है तथा इसमें रामपुर की आबादी लगभग 24 लाख है। इससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि रामपुर की वर्तमान की आबादी 10,000 ईसा पूर्व में आधे से ज्यादा विश्व की आबादी के बराबर थी।
1. प्रेहिस्टोरिक ह्यूमन कॉलोनाईजेशन ऑफ़ इंडिया, वी. एन. मिश्र
2. प्री एंड प्रोटोहिस्ट्री ऑफ़ इंडिया, वी के जैन"
3. http://www.worldhistorysite.com/population.html
© - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.