यदि यह कहा जाए कि कई शहरों में बाह्य वातावरण में कसरत या व्यायाम करना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक साबित हो सकता है तो कई लोग इस बात को मजाक में समझ सकते हैं। यह बात कटु है पर सत्य है। किसी भी शहर का वातावरण उसके निवासियों के स्वास्थ्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होता है और यही कारण है कि विश्व भर के मशहूर शहरीकरण वैज्ञानिक शहर में पेड़ पौधों की अधिकता पर जोर देते हैं। भारत में कई ऐसे शहर हैं जो कि वायु प्रदूषण और अन्य प्राकृतिक प्रदूषणों से जूझ रहे हैं। उन्ही शहरों में से एक शहर लखनऊ भी है जहाँ की वायु अत्यंत दूषित है और यहाँ पर सांस लेने वाला आदमी बड़ी मात्रा में प्रदूषण अपने शरीर में खींचता है। वायु प्रदूषण के माप पी.एम. 2.5 के स्तर पर देखा जाए तो लखनऊ वायु प्रदूषण के सबसे ख़राब स्तर के शहरों में 18वें पायदान पर है। यह सोचने वाली बात है कि इलाहाबाद सबसे ख़राब हवा के स्तर पर विश्व में तीसरे पायदान पर है। यदि इलाहबाद और लखनऊ में प्रदूषण के एक महत्वपूर्ण बिंदु को देखा जाये तो अत्यंत चौकाने वाला आंकड़ा आता है। जैसा कि साइकिल का प्रयोग शुरुआत में एक संचार के साधन में किया जाता था, आज भी इसका इस्तेमाल कई लोगों द्वारा संचार के साधन के रूप में ही किया जाता है। लेकिन साइकिल के प्रयोग के साथ एक महत्वपूर्ण बदलाव पिछले कुछ दशकों में आया है और वह बदलाव है साइकिल का इस्तेमाल व्यायाम के तौर पर करना।
अब यदि साइकिल को चलाने को लेकर अध्ययन किया जाए तो यह महत्वपूर्ण विषय हो जाता है कि क्या पी.एम. 2.5 के खतरनाक स्तर वाले शहरों में भी इसको चलाया जाना सही है? जवाब है ना क्यूंकि साइकिल चलाते वक़्त व्यक्ति तेज़ी से सांस लेता है और ऐसे में उसके शरीर में प्रदूषित वायु तेज़ी के साथ प्रवेश करती है। ऐसी स्थिति में मनुष्य के शरीर को जो फायदा होना चाहिए वो बल्कि नुक्सान में तब्दील हो जाता है। अब यह बिंदु भी महत्वपूर्ण है कि इलाहाबाद में और लखनऊ में कितना मिनट साइकिल चलाने पर शरीर को ज्यादा हानि होती है? उत्तर है इलाहाबाद में यदि मनुष्य 30 मिनट से ज्यादा साइकिल चलाता है तो उसके शरीर को नुकसान का सामना करना पड़ सकता है और वहीँ यदि लखनऊ में व्यक्ति 75 मिनट से ज्यादा साइकिल चलाता है तो शरीर को विभिन्न समस्याएं हो सकती हैं।
साइकिल के अलावा व्यक्ति को जिम व व्यायाम करने पर भी विभिन्न समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। इस खतरनाक वायु के प्रदूषण से बचने का एक ही विकल्प है और वह है पर्यावरण का संरक्षण। सही वायु ही सही स्वास्थ्य और शहर के लिए उत्तम है और इनके स्वस्थ रहने पर ही प्रगति की सीढ़ियों को चढ़ा जा सकता है।
1.https://www.theguardian.com/cities/2017/feb/13/tipping-point-cities-exercise-more-harm-than-good
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