उंगलियों पर चित्र की भाँती एक चिकना डंडा रख लें और उंगलियों को एक दुसरे की ओर खिसकाएँ। जब वे आपस में सट जाएंगी, एक विचित्र बात देखने को मिलेगी – उंगलियों की इस अंतिम स्थिति में डंडा गिरता नहीं है, अपना संतुलन कायम रखता है। आप इस प्रयोग को कई बार दोहरा सकते हैं; उंगलियों की प्रारंभिक स्थिति जो भी रही हो, अंतिम परिणाम हमेशा यही होगा,: डंडा संतुलित हो जाया करेगा। डंडे की जगह आप कोई भी छड़ी जैसी चीज ले सकते हैं, आपको यही विशेषता नज़र आएगी।
इसका रहस्य क्या है? एक बात तो स्पष्ट है : यदि सटी उंगलियों पर डंडा संतुलित हो जाता है, तो इसका मतलब है कि उंगलियाँ डंडे के गुरुत्व-केंद्र के नीचे हैं। जब उंगलियाँ परस्पर दूर होती हैं, तो अधिक बोझ उस ऊँगली पर पड़ेगा, जो डंडे के गुरुत्व केंद्र के निकट होगी। दाब के साथ-साथ घर्षण भी बढ़ता है। गुरुत्व- केंद्र के निकट वाली उंगली अपेक्षाकृत अधिक घर्षण महसूस करती है और इसीलिए डंडे के नीचे आसानी से नहीं फिसलती; जो उंगली गुरुत्व-केंद्र से दूर होती है, वही खिसकती है। पर ज्यों ही वह दूसरी की अपेक्षा गुरुत्व-केंद्र से अधिक निकट हो जाती है, उंगलियों की भूमिकाएं बदल जाती हैं : अब दूसरी उंगली खिसकने लगती है और पहली स्थिर रहती है। भूमिकाओं की अदला-बदली तब तक होती रहती है, जब तक कि दोनों आपस में सट नहीं जातीं। और चूंकि हर बार सिर्फ वह उंगली खिसकती है, जो गुरुत्व-केंद्र से दूर होती है, स्वाभाविक है कि दोनों उंगलियाँ अंत में गुरुत्व-केंद्र के ठीक नीचे आकर सटती हैं।
अंत में यह प्रयोग फर्श साफ़ करने वाले ब्रश के साथ दोहराएँ और निम्न प्रश्न का उत्तर सोचें : यदि ब्रश को ठीक उस स्थान से काट दिया जाये, जहाँ से वह उंगलियों पर संतुलित हो जाता है और दोनों टुकड़ों को तराजू के अलग-अलग पलड़ों पर रखा जाये, तो कौन सा पलड़ा भारी होगा- डंडे वाला या ब्रश वाला? आप कहीं ये तो नहीं सोच रहे कि यदि ब्रश के दोनों दुकड़े एक दूसरे को संतुलित कर सकते हैं, तो तराजू के पलड़ों पर भी वे एक दूसरे को संतुलित रखेंगे? जी नहीं, ब्रश वाला पलड़ा भारी निकलेगा। कारण समझना कठिन नहीं है, यदि इस बात को ध्यान में रखें कि पहले दोनों टुकड़ों के भार-बल उंगलियों से भिन्न दूरियों पर क्रियाशील थे। पलड़े पर इन टुकड़ों को रखने से ये ही बल टेक बिंदु से समान दूरियों पर क्रियाशील होते हैं। अर्थात गुरुत्व-केंद्र के यह अर्थ नहीं है कि उसके दोनों तरफ का वज़न बराबर होगा। इस प्रकार घर पर ये छोटा सा प्रयोग कर गुरुत्व-केंद्र को आसानी से समझा जा सकता है।
1. मनोरंजक भौतिकी, या. इ. पेरेलमान
© - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.