अवध की मछली और जलपरियाँ

लखनऊ

 19-05-2018 01:29 PM
द्रिश्य 3 कला व सौन्दर्य

अवध के सिक्कों को मध्य भारतीय सिक्कों की श्रेणी में रखा जाता हैं। अवध के सिक्के मोहम्मद अली शाह की हुकूमत (1837-1842) के दौरान बनाए गए थे। यह सिक्के 2 इंच मोटे हैं और इनका व्यास 23 इंच का है। ऐसा विशाल सिक्का काफ़ी दुर्लभ है। इस सिक्के का एक अजीब सा मूल भाव है; अगर इस सिक्के पर गौर से देखें तो एक मछली और उसके ऊपर मुकुट का चित्र गढ़ा हुआ देख सकेंगे। इस चित्र के साथ-साथ दो व्यक्तियों के चित्र भी गढ़े हैं, सिक्के पर कारीगरी साफ़-साफ़ देखी जा सकती है ।

18 वीं सदी में अवध के नवाब को ईस्ट इंडिया कंपनी का साथ मिल गया था, कंपनी ने नवाब को राजा घोषित कर दिया और तोहफ़े में बहुत सी मुद्राओं से नवाज़ा। 2 मछली के चित्र, एक कटार और उनके ऊपर मुकुट वाले प्रतीक को शाही प्रतीक माना गया। इन चित्रों में कभी-कभी बाघ के चित्र भी गढ़े जाते थे मगर बाद में उन्हें जलपरी और मछली के प्रतीक से बदल दिया गया। ‘मछली’ अवध की सत्ता को दर्शाती है और नवाब अपने आप को ‘माहि मुरातिब’ कहते थे। यह प्रतीक साहस, ताकत और शक्ति को दर्शाता था और इसकी ख़ोज अस्ल में फ़ारस के राजा ने की थी, बाद में इसे मुग़लों और नवाबों ने अपनाया। आज भी 2 मछली का चित्र उत्तर प्रदेश राज्य सरकार का प्रतीक है। आज यह दोनों मछलियों का चित्र अलग कर दिया गया है और यह गंगा और यमुना को दर्शाता है।

इन दो मछलियों की प्रतिमा का जलपरी में बदलाव –
लखनऊ शहर में बहुत सी अद्भुत इमारतें हैं। कुछ इमारतों पर बेहद खूबसूरत कारीगरी है तो कुछ के दरवाज़े काफ़ी विशाल हैं। लखनऊ की ही एक ईमारत के दरवाज़े के ऊपर की गई कारीगरी ने राहगीरों का दिल जीत लिया है। यह कारीगरी दो जलपरियों की है और इसे अवध के वास्तु और प्रकार में बनाया गया है। इन्हें माहि-मरातिब कहते हैं। कहानी के अनुसार जब नवाब सआदत अली खान गंगा नदी पार कर रहे थे, तब उनके गोद में एक दो मुँह वाली मछली आ गिरी और उन्होंने इसे एक शकुन माना; मछली के गोद में गिरने के बाद नवाब की ज़िन्दगी का स्वर्ण काल शुरू हो गया। कुछ सालों बाद इस दो मुखी मछली को जलपरी में बदल दिया गया, सजावट के लिए इसे दरवाज़ों के ऊपर गढ़ना शुरू हो गया। यह माना जाता है कि यह जलपरियाँ घर में ख़ुशी के सन्देश लाती हैं। यह कला जापान, चाइना और ईरान (फ़ारस) में भी काफ़ी प्रसिद्ध है। प्रतीक के सबसे परिष्कृत अनुकूलन में से एक माही-पुष्ट नामक पैटर्न में देखा जा सकता है जिसे घरारा, शारारा और दुपट्टे में भी इस्तेमाल किया जाता है। इस डिज़ाइन में प्रतीक की व्याख्या का एक अच्छा उदहारण है।

1. https://scribblesofsoul.com/rendezvous-avadh-coin/
2. http://coinindia.com/galleries-awadh.html
3. http://lucknowobserver.com/lucknow-ki-machhliyan/



RECENT POST

  • विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र व प्रादेशिक जल, देशों के विकास में होते हैं महत्वपूर्ण
    समुद्र

     23-11-2024 09:29 AM


  • क्या शादियों की रौनक बढ़ाने के लिए, हाथियों या घोड़ों का उपयोग सही है ?
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     22-11-2024 09:25 AM


  • होबिनहियन संस्कृति: प्रागैतिहासिक शिकारी-संग्राहकों की अद्भुत जीवनी
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:30 AM


  • अद्वैत आश्रम: स्वामी विवेकानंद की शिक्षाओं का आध्यात्मिक एवं प्रसार केंद्र
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:32 AM


  • जानें, ताज महल की अद्भुत वास्तुकला में क्यों दिखती है स्वर्ग की छवि
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     19-11-2024 09:25 AM


  • सांस्कृतिक विरासत और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध अमेठी ज़िले की करें यथार्थ सैर
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:34 AM


  • इस अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस पर जानें, केम्ब्रिज और कोलंबिया विश्वविद्यालयों के बारे में
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:33 AM


  • क्या आप जानते हैं, मायोटोनिक बकरियाँ और अन्य जानवर, कैसे करते हैं तनाव का सामना ?
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:20 AM


  • आधुनिक समय में भी प्रासंगिक हैं, गुरु नानक द्वारा दी गईं शिक्षाएं
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:32 AM


  • भारत के सबसे बड़े व्यावसायिक क्षेत्रों में से एक बन गया है स्वास्थ्य देखभाल उद्योग
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     14-11-2024 09:22 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id