गर्मियां आते ही बर्फ को एक सहारे के रूप में देखा जाने लगता है। भारत में ठंड के ख़त्म होते ही अपरमपार गर्मी पड़ने लगती है जिस कारण यहाँ पर ठन्डे पानी की अत्यंत आवश्यकता होती है। देशी उपाय अर्थात मटकों के आलावा लोग फ्रिज का भी प्रयोग करते हैं। फ्रिज में बर्फ की एक थाली भी होती है जिसमें कई छोटे खाने बने होते हैं। ये खाने पानी से भर कर रख दिए जाते हैं तथा कुछ ही समय में फ्रिज में इनमें बर्फ तैयार हो जाती है जिसका सेवन गर्मी से बचने के लिए किया जाता है। बर्फ की इस थाली के निर्माण की कहानी अत्यंत रोचक है।
बर्फ़ की थाली का इस्तेमाल दूसरे विश्व युद्ध के दौरान हुआ था, कारण यह था कि ज़रूरी सामानों को ठंडा और ताज़ा रखने में कठिनाई आ रही थी। जनरल मोटर (General Motors) के अंतर्देशीय विनिर्माण प्रभाग ने अमेरिका को जंग के लिए एक नया हथियार दे दिया था। जब जंग ख़त्म हुई तब अंतर्देश में सामानों का उत्पाद हो रहा था, और उसी वक़्त एक अंतर्देशीय इंजीनियर आर्थर फ़्राय (Arthur Frei) ने 1931 से अपना पद वापिस ले लिया। बर्फ़ की थाली में एक कंटेनर पैन और ग्रिड होता है जिससे की बर्फ़ को जमा किया जा सके और यंत्रवत निकाला जा सके। 1950 तक फ़्राय ने बर्फ़ की थाली को पेटेंट (Patent) करवा लिया और सभी घरों में इसका इस्तेमाल होने लगा। फ़्राय की आसान सी डिज़ाइन लोगों को काफ़ी भायी और फ़्राय की थाली पर बर्फ़ जमाना काफ़ी आसान भी था। पहला फ्रिज 1914 में बनाया गया था और उसमें बर्फ़ की थाली भी मौजूद थी। इसको घरेलू उपयोग के लिए बनाया गया था और इसका उद्देश्य भोजन को ताज़ा रखना था। छोटे-छोटे बर्फ़ के टुकड़े ड्रिंक्स को ठंडा रखते थे। फ़्राय ने 23 पेटेंट कियें और सब ही बर्फ़ की थाली पर थे। डेटन के शहर में अंतर्देशी उत्पाद हुआ जिसने बर्फ़ की थाली को अमर बना दिया।
1. मास प्रोडक्शन- फ़ायडॉन प्रेस
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