कपड़े टांगने वाली क्लिप का प्रयोग आज के ज़माने में बड़ी संख्या में किया जाता है। ये क्लिप कई प्रकार की होती हैं, कुछ कपड़े आदि लटकाने के काम में लायी जाती हैं, तो वहीँ कुछ कपड़े आदि को सीधा करने में, किताबों आदि को समेटने में प्रयोग की जाती हैं। इनका उपयोग इतना व्यापक रूप से होता है कि आज हम बिना किसी सर्वेक्षण के कह सकते हैं कि रामपुर के अधिकतम घरों में इसका इस्तेमाल होता है। इस प्रकार के आविष्कार भले ही देखने में बौने लगते हों परन्तु इनका प्रयोग वर्तमान में सम्पूर्ण विश्व द्वारा किया जाता है।
हमारे कुछ सबसे उपयोगी उत्पाद अधिक व्यवस्थित रूप से विकसित हुए हैं। मूल कपड़े को टांगने के लिए किये गए आविष्कार का श्रेय अक्सर शेकर्स को जाता है, यह एक धार्मिक संप्रदाय था जिसकी स्थापना सन 1780 में ऐन ली द्वारा अमेरिका में की गयी थी। यह समुदाय ब्रह्मचर्य के अपने अनुशासन के लिए उल्लेखनीय थे तथा उन्होंने फर्नीचर कलाकृति की एक विरासत भी छोड़ी। उनका मानना था कि यह उनके विश्वास की त्रि-आयामी अभिव्यक्ति थी। उनके द्वारा बनाये गए सभी उत्पाद बड़ी सफाई से तराशे हुए होते थे। वास्तविक शैली में उनके उत्पाद में कपड़ों को लटकाने के लिए बस एक लकड़ी का टुकड़ा था जिसके बीच एक दरार होती थी ताकि कपड़े को तार से लटकाया जा सके। लेकिन कोई भी वास्तव में इस उत्पाद की कलाकृति को बनाने का दावा नहीं कर सकता है। दरअसल 1852 और 1887 के बीच, अमेरिकी पेटेंट कार्यालय ने 146 अलग-अलग क्लिप की कलाकृति पर आधारित पेटेंट दिए, हालांकि ऐसा लगता है कि उनमें से अधिकतर शेकर के कपड़े को लटकने वाली क्लिप की कलाकृति के समान आधार पर आधारित थे।
1853 में स्प्रिंगफील्ड, वर्मोंट के डी.एम. स्मिथ द्वारा स्टील के प्रयोग से दो लकड़ी के पिन बनाए गए थे जो एक दूसरे से दृढ़ता के साथ चिपकते थे। वर्तमान काल में ऐसे पिन हमें आसानी से मिल जाते हैं। समकालीन कपड़े का पिन जैसा कि हम आज जानते हैं 1944 में बनाया गया था जब मारियो मैकाफेरी ने इसका सर्वप्रथम उत्पादन किया था। यह एक ठोस परिधान को संभालने वाला प्लास्टिक का बनाया गया था। कपड़े के पिन को कलाकार क्लेस ओल्डनबर्ग द्वारा 1976 में एक आइकन के रूप में दृढ़ता से तय किया गया था, जिसने फिलाडेल्फिया के सेंटर स्क्वायर प्लाज़ा में क्लोद्सपिन नामक एक विशाल मॉडल को स्थापित किया, जो ऊंचाई में 13.7 मीटर (45 फीट) ऊंचाई माप का था। आज यह इसी आधार पर कार्य करता है और हम इसी रूप में इसका प्रयोग भी करते हैं।
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