सौर ऊर्जा की खोज सातवीं सदी ईसापूर्व में हुई थी| उस समय आवर्धक लेंस (Magnifying Glass) द्वारा आग लगाई जाती थी , घरों को दक्षिण दिशा की ओर बनाया जाता था ताकि घर सर्दी के दिनों में सूर्य की ओर देखे और इससे घरों में वातावरण भी गर्म हो जाता था| 18 वीं सदी के मध्य में स्विट्ज़रलैंड के एक वैज्ञानिक होरेस डे सौस्सुरे (Horace De Saussure) ने एक गर्म डब्बा बनाया| इस डब्बे में सूर्य की किरणें फँस जाती थीं और इस डब्बे के अन्दर का तापमान 87.5 डिग्री सेल्सिउस तक पहुँच जाता था| बाद में इस डब्बे का इस्तेमाल ब्रिटेन के एक खगोल विज्ञानी सर जॉन हेर्शेल (Sir John Herschel) ने किया, उन्होंने इस डब्बे की मदद से 1830 में उत्तरी अफ्रीका में जा कर खाना पकाया| 19 वीं सदी तक काफ़ी महत्वपूर्ण शोध हुए जिसने सौर कुकर को तकनीकी रूप से और मज़बूत बना दिया| 1891 में बाल्टिमोर के आविष्कारक क्लारेंस केम्प ने पहला सौर वॉटर हीटर को पेटेंट करवाया| मगर उस वक़्त यह पता लगाना काफ़ी मुश्किल था कि गर्मी की ऊर्जा को बिजली में कैसे बदलें और उस ऊर्जा को जमा कैसे करें| दूसरे विश्व-युद्ध के पहले बहुत सी पवन चक्कियाँ लगवाई गईं| इससे लोगों ने अक्षय संसाधनों का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया| युद्ध के बाद ऊर्जा की काफ़ी ज़रुरत पड़ी और इससे अर्थव्यवस्था पर भी काफ़ी प्रभाव पड़ा, लेकिन अंततः लोगों के घरों तक ऊर्जा पहुँच गई|
उस दौर में हुए आविष्कारों से यह पता चला कि सही औजारों और साधन के होते हुए कुछ भी बनाना असंभव नहीं है | एक सौर उत्साही डेरिल चेपिन (Daryl Chapin) ने सेलेनियम को कंडक्टर के रूप में लेकर आविष्कार करना शुरू कर दिया था, उनको थोड़ी सी जीत मिली और इस कारण उन्होंने 0.5 प्रतिशत सौर ऊर्जा को बिजली में बदला| रुख में बदलाव तो तब आया जब गेराल्ड पारसों और कैल्विन फुलर ने सिलिकॉन पर काम करना शुरू किया| उन्होंने यह ढूंढा की सिलिकॉन को अवर कंडक्टर (Conductor) से बेहतर कैसे बनाया जाए| उन्होंने सिलिकॉन को गैलियम (Gallium) और लिथियम (Lithium) के साथ जोड़ा और उसपर एक लैंप की रौशनी डाली, उन्होंने एक महत्वपूर्ण बिजली की धारा को पाया, और इस तरह उन्होंने 6 प्रतिशत सौर ऊर्जा को बिजली में बदला| 1954 के अप्रैल में बेल ने सौर बैटरी बनाई और उससे उन्होंने रेडियो चलाया| पिछले कुछ दशकों में इस क्षेत्र में काफ़ी बढ़ोतरी हुई है परन्तु आम तौर पर बिकने वाले सौर पैनल की क्षमता 14 से 20 प्रतिशत तक ही बढ़ पाई है| इससे अधिक क्षमता वाले सौर पैनल भी बनाये जा चुके हैं पर वे अधिक महंगे हैं| भारत में सौर ऊर्जा का प्रयोग वर्तमान में बड़े पैमाने पर किया जा रहा है, यहां की सरकारें भी इनका इस्तेमाल करने के लिए लोगों को प्रोत्साहित कर रही हैं| कई रेल्वे स्टेशन भी पूर्ण रूप से सौर ऊर्जा से चालित हैं|
1. मास प्रोडक्शन- फ़ायडॉन प्रेस
© - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.