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लखनऊ शहर का इतिहास अत्यंत ही मिश्रित है। यहाँ पर कहीं पर हम अंग्रेजों से सम्बंधित वस्तुएं पाते हैं तो कहीं से हमें पता चलता है कि लखनऊ का ईरान से सम्बन्ध था। इन्ही संबंधों में से एक सम्बन्ध अत्यंत महत्वपूर्ण है और वह है फ़्रांस के साथ लखनऊ का सम्बन्ध। लखनऊ में स्थित ला मार्टिनियर कॉलेज जो कि फ़्रांसिसी वास्तुकला का अद्भुत नमूना है, लखनऊ और फ़्रांस के मध्य के तालुकात को दर्शाने में जरा सा भी पीछे नहीं हटता।
2010 में बर्लिन में एक प्रदर्शनी के दौरान अवध का एक चित्र दिखाया गया था जिसमें एक व्यक्ति को नवाबी लिबास पहने दिखाया गया था और उसके सामने दो सुंदरियाँ नृत्य कर रही थीं। वास्तविकता में नृत्य देखने वाला व्यक्ति एक फ़्रांसिसी था जिसका नाम एंटोनी लुइस हेनरी डे पोलिएर था जो कि नवाब सुजा उद दौला के अन्वेषण विभाग में कार्यरत था। 1770 के दौरान यह व्यक्ति भारत से सम्बंधित सभी समाचार लन्दन भेजा करता था। पोलिएर ने कई भारतीय भाषाओँ का ज्ञान प्राप्त कर लिया था और वह कई भाषाओँ को बोला करता था। वह फारसी और संस्कृत में ख़त लिखा करता था। चित्र में जोहान ज़ोफ्फनी द्वारा चित्रित पेंटिंग दिखाई गयी है जिसमें पोलिएर, क्लौड मार्टिन, जॉन वोम्ब्वेल्ल और खुद जोहान ज़ोफ्फनी को भारतीय सेवकों द्वारा सेवा करवाते दर्शाया गया है। पोलिएर के आलावा लखनऊ में जीन बैप्टिस्ट जेंटिल का भी नाम था जिसने सुजा उद दौला के अंतर्गत 1774-1786 तक कार्य किया था। जीन भी एक फ़्रांसिसी ही था तथा वह नवाब का अत्यंत प्रिय था, इसी करण उसे फारसी में कई उपाधियाँ दी गयी थी।
उपरोक्त संबंधों के अलावा भी एक सम्बन्ध लखनऊ और फ़्रांस का ऐसा है जिसे बहुत कम लोग ही जानते हैं। यह सम्बन्ध फ़्रांस में स्थित एक महिला की कब्र से है जिसे भारतीय इतिहास या लखनऊ के इतिहास से करीब भुला ही दिया गया है, वह महिला करीब 1858 से यहीं पर दफ्न है। यह महिला अवध की आखिरी रानी है जो पेरिस में दफ्न है। कुछ लोग उन्हे मल्लिका किश्वर के नाम से जानते हैं, तो कुछ अन्य उन्हें जानबू-ए अलियाह, नाम से जानते हैं। ये अवध के शासक वाजीद अली शाह की माँ थी। प्रारंग द्वारा मल्लिका किश्वर की इस कहानी को पहले भी प्रस्तुत किया गया है। यदि आप यह पूरी कहानी पढ़ना चाहें तो नीचे दिए संदर्भ में आप इसका लिंक पा सकते हैं (तीसरा लिंक)।
इस प्रकार से हम देख सकते हैं कि लखनऊ का फ़्रांस से कितना गहरा रिश्ता है।