आजकल हम जब रास्ते पर निकलते हैं तो सड़क पर काफी गाड़ियों, दोपहिया या चारपहिया, उसपर पवन पुत्र हनुमान का यह चित्र अंकित दिखता है। इसमें केसरी रंग में बनाए हुए हनुमानजी जिनका आधे चेहरे पर काली छाया है एकदम से रौद्र रूप में दिखाए हैं जिसमें उनका गुस्सा उनकी ऑंखें के ज़रिये दिखता है। उत्तर भारत में ख़ास कर दिल्ली और आस-पास के प्रदेशों में यह बहुत प्रसिद्ध हो गया है। इस चित्र के पीछे की कहानी बड़ी रंजक और सोचने पर मजबूर करने वाली है।
केरला में स्थित कुम्बाला गाँव के 25 वर्षीय युवा, करण आचार्य नाम के ग्राफ़िक कल्पनाकार (Graphic Designer) ने तक्रिबान तीन साल पहले यह ‘क्रोधित’ हनुमान का विज्ञापन पत्र बनाया था। यह चित्र उसने अपने दोस्त के आर्यन नामक दल के लिए सन 2015 में बनाया था। उन्हें अपने झंडे के लिए कुछ अलग चाहिए था और यह क्रोधित हनुमान का चित्र उन्हें भा गया जिसमें कलाकार ने हनुमान के चित्रण को अलग रवैय्ये का नजरिया ध्यान में रखते हुए बनाया। लेकिन चित्र की एक कमजोरी कहें या ताकत, हर इंसान का उसे पढ़ने का नजरिया अलग होता है। यह क्रोधित हनुमान धीरे-धीरे देश के नए प्रतीक में बदल गया। इसकी शुरुआत बंगलोर में सन 2017 में हुई और फिर वहाँ से उत्तर भारत में जाकर इस चिह्न की लोकप्रियता बढ़ गयी। आज कुछ राजनितिक दलों ने इसे हिंदुत्व का रंग चढ़ाते हुए धार्मिक कट्टरता का प्रतीक बना दिया है लेकिन कुछ लोगों ने इसे सकारात्मक तरीके से सहेजा जिसमें उनके लिए यह हनुमानजी क्रोधित हुए हैं देश में बढ़ते अत्याचार, शोषण, गरीबी और खाने की कमी को लेकर। कुछ परिवार इस सकारात्मक सोच के तहत गरीब और भूखे लोगों की मदद कर रहे हैं। कुछ लोगों के हिसाब से यह हनुमान भारतीय सांस्कृतिक प्रतीकों का पाश्चिमात्यकरण है जिसमें यह हनुमान जी शांत पवनपुत्र से ज्यादा कोई यूनानी अथवा रोमन देवता की तरह हैं जो तामसिक न्याय में यकीन रखते हैं।
यह सब विचार उनकी आँखों में प्रतीत भावनाओं के इर्द-गिर्द रचे हुए हैं लेकिन यदि दिए गए चित्र को आप गौर से देखें तो यह ऑंखें ‘नो फियर’ (No Fear) नामक ब्रांड के बहुत प्रसिद्ध प्रतीक चिह्न पर आधारित लगती हैं। अगर आप हनुमानजी के चित्र की आँखों की इस नो फियर के प्रतीक से तुलना करेंगे तो आप इनमें जो समानता है वो देख सकते हैं। यह न्यू जर्सी, अमेरिका में स्थित मार्क ‘बूगालू’ बागू नाम के कलाकार ने तैयार किया था। यह चिह्न टी शर्ट्स पर ज्यादा इस्तेमाल होता था लेकिन भारत में इसे बाइक्स और गाड़ी के ऊपर भी बनाया जाता था। पहले यह चिह्न ‘नो फियर’ (No Fear) ज्यादातर रोमांचक खेल-कूद की सामग्री बनाने वाले संगठन का प्रतीक चिह्न था जो उनके सभी सामान पर बना होता था।
इस प्रतिक के हुए उपयोग के तरीकों को देखा जाए तो हमें उसमें एक जुड़ी हुई कड़ी दिखती है, एक सुसंबंध दिखता है, दोनों में कुछ हासिल करने की इच्छा प्रतीत होती है।
1.https://www.news18.com/news/buzz/how-a-kerala-artists-angry-hanuman-became-a-rage-on-indias-roads-1711807.html
2.http://drlorraine.net/lifes-a-beach-tips-no-fear-bad-boy-club-artist/
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