लखनऊ का नाम आते ही एक ऐसे फल का नाम जुबान पर आता है जिसे फलों का राजा भी कहा जाता है और यह फल है आम। आम एक खाद्य फल है जो कि पेड़ों पर उगते हैं। इनके छिलके चिकने होते हैं और इनके रंग कई तरह के हो सकते हैं; यह रंग हरे से पीले, पीले से नारंगी और नारंगी से लाल पाए जाते हैं। पके हुए आम की महक काफ़ी मीठी होती है। भारत में आम गर्मी के मौसम में पाए जाते हैं और इनके बहुत से प्रकार होते हैं जैसे – अलफांसो, चौंसा, दशहरी, लंगड़ा आदि।
इन आमों की सबसे बड़ी उपप्रजाति उत्तर प्रदेश में उगाई जाती है। उत्तर प्रदेश में दशहरी और लंगड़ा आम उगते हैं। लखनऊ का दशहरी आम पूरे विश्व में अपने स्वाद व महक के लिये जाना जाता है। यहाँ से बड़े पैमाने पर आम विदेशों में भी भेजा जाता है। जिस प्रकार से अलफांसो आम के लिये महाराष्ट्र व कर्नाटक मशहूर हैं उसी प्रकार से दशहरी आमों के लिये लखनऊ को जाना जाता है। दशहरी आम से यहाँ पर बड़ी मात्रा में रोजगार की व्यवस्था होती है। लखनऊ शहर में आम मलीहाबाद क्षेत्र से लाया जाता है। मलीहाबाद में दशहरी आम कहाँ से आया तथा यह यहाँ पर किसकी सम्पत्ती थी इससे यहाँ पर कई कहानियाँ जुड़ी हुई हैं। लखनऊ के नवाबों के पसंदीदा आमों में दशहरी आम प्रमुख था। विश्व के कई देशों में दशहरी लखनऊ व इसके आस-पास के क्षेत्रों से ही भेजे जाते हैं। मलीहाबाद के मशहूर शायर भारत छोड़ने से पहले लिखते हैं कि- आम के बागों में जब बरसात होगी पुरखरोश मेरी फुरकत में लहू रोएगी, चश्मे मय फरामोश रस की बूदें जब उड़ा देंगी गुलिस्तानों के होश, कुंज-ए-रंगी में पुकारेंगी हवांए जोश-जोश, सुन के मेरा नाम मौसम गमज़दा हो जाएगा, एक महशर सा महफिल में गुलिस्तांये बयां हो जाएगा, ए मलीहाबाद के रंगीं गुलिस्तां अलविदा।
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2. द ग्रेट मैंगो बुक, ऐलेन सुज़ेर
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