लखनऊ की ज़मीन काफ़ी रोचक और अद्भुत है यहाँ तरह-तरह के जानवर और पेड़-पौधे पाए जाते हैं, यहाँ लुप्तप्राय पौधे भी देखे जा सकते हैं। उत्तरप्रदेश राज्य पेड़ों के घने आबादी के लिए जाने जाते हैं और लखनऊ में पौधों के साथ एक बड़ा इतिहास जुड़ा हुआ है। लखनऊ अवध की राजधानी है और भारत की आज़ादी के पूर्व लखनऊ में नवाबों का राज था , नवाबों और अंग्रेजों द्वारा रोपे गए दुर्लभ और विचित्र पेड़-पौधे यहाँ आज भी पाए जाते हैं (यह पेड़-पौधे ऑस्ट्रेलिया और वेस्ट-इंडीज से भी लाए गए थें)। कुछ उदहारण निम्नलिखित हैं :-
1- असली दशहरी (Original Dussheri)- यह आम का पेड़ नवाबों के परिवार के लिया लगाया गया था और इसी पेड़ से ताज़े दशहरी आम पाए जाते थें।
2- गणेश की अनोगेइस्सुस (Ganesha's Anogeissus)- यह पेड़ राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान के मैदान में है , इस पेड़ में सबसे विचित्र बात यह है की इस पेड़ के मूल पर एक अजीब सा विकास पाया गया है जो कि हु-ब-हु गणेश देवता से मिलता है।
3- मांझी के विशालकाय बरगद के पेड़- यह विशाल बरगद का पेड़ लखनऊ के नज़दीक आम के बाग में छिपा हुआ है। इस पेड़ के नीचे जहाँ तक इसके जड़ जाते हैं वहां हँसे बाबा (Hanse Baba) का मकबरा है। यह बरगद का पेड़ अपने आप में ही एक विचित्र जंगल है।
4- शिव का चेहरा (The Face Of Shiva)- राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान में एक ऐसा बरगद का पेड़ हैं जिसपर हम एक धूसर उभरा हुआ चेहरा देख सकते हैं , लोगों ने इस चेहरे को शिव का चेहरा माना है । यह या तो प्रकृति का कमाल है या तो इंसानों द्वारा बनाई गई है।
5- कासुअरिना का दरवाज़ा (Casuarina Gate)- लखनऊ के नवाब के महल के बाग में दो कासुअरिना को छांट कर दरवाज़े की तरह लगाया गया है , यह पौधे( Casuarina) भारत में नहीं पाए जाते बल्कि यह पौधे ऑस्ट्रेलिया और वेस्ट-इंडीज से भारत लाए जाते हैं।
6- मार्टिनिएर जैगरी (Martiniere Jaggery) - फ्रांस के साहसी मेजर जनरल क्लौडे (Maj. Gen. Claude Martin) ने लखनऊ की सरहद पर एक विशाल बंगला बनवाया था, इस बंगले के सामने उन्होंने दुर्लभ ताड़ के पेड़ लगवाए थें जोकि आज भी देखे जा सकते हैं ।
7- सहनी का डैडोक्सीलिन (Sahni's Dadoxylin)- बीरबल साहनी पुरा वानस्पतिक संस्थान (लखनऊ) भारत की इकलौती संस्थान है जहाँ पर जीवाशम पौधे और उसके जानकार पाए जाते हैं। इस संस्थान के मुख्यद्वार पर डैडोक्सीलिन के तने हैं जो हमें यह बतलाते हैं की इस जगह पर एक पेड़ हुआ करता था जो बहुत साल पहले खत्म हो चुका है।
गंगा मैदान होने के कारण लखनऊ में वानस्पतिक विविधता अपने चरम पर है, मात्र वर्तमान काल में ही नहीं अपितु आदि काल से ही।
1. www.bgci.org
2. सी. डैप लखनऊ
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