सर्दियाँ शुरू हो गई हैं और साल के इस समय, लखनऊ में, वायरल संक्रमण (viral infection) के कई मामले देखने को मिलते हैं। वायरल संक्रमण, उन बिमारियों को कहा जाता है, जो वायरस के कारण फैलती हैं। यह संक्रमण तब शुरू होता है, जब कोई वायरस हमारे शरीर में प्रवेश करता है और हमारी कोशिकाओं पर हमला करने लगता है। अधिकतर वायरल संक्रमण गंभीर नहीं होते और कुछ दिनों में अपने आप ठीक हो जाते हैं। लेकिन, ये बहुत संक्रामक होते हैं और बहुत ही तेज़ी के साथ एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल सकते हैं।
सर्दी, फ्लू, हेपेटाइटिस ए और बी (Hepatitis A and B) , और एन्सेफ़लाइटिस (encephalitis), सबसे आम संक्रमणों में शामिल हैं। आज, के इस लेख में हम इन संक्रमणों और उनके लक्षणों के बारे में जानेंगे। इसके बाद, हम विभिन्न प्रकार के वायरल संक्रमणों पर चर्चा करेंगे। इसके बाद हम यह समझेंगे कि ये संक्रमण किन कारणों से फैलते हैं। अंत में, हम जानेंगे कि वायरल संक्रमण और जीवाणु संक्रमण में क्या अंतर होता है।
वायरल संक्रमण क्या है?
वायरल संक्रमण एक ऐसी बीमारी है, जो वायरस नामक छोटे से रोगाणु से फैलती है। ये वायरस अपनी संख्या बढ़ाने के लिए हमारे शरीर की कोशिकाओं का इस्तेमाल करते हैं। अक्सर लोग मानते हैं कि वायरल संक्रमण सिर्फ श्वसन या पाचन तंत्र को प्रभावित करता है। लेकिन, वास्तव में यह शरीर के किसी भी हिस्से को संक्रमित कर सकता है।
संक्रमण हमारे शरीर में कितने समय रहेगा, यह वायरस के प्रकार और बीमारी की गंभीरता पर निर्भर करता है। कुछ लोग बिना किसी लक्षण के भी वायरस के वाहक बन सकते हैं। फिर भी, वे दूसरों को संक्रमित कर सकते हैं।
वायरल संक्रमण के लक्षण उस जगह पर निर्भर करते हैं, जहाँ पर संक्रमण हुआ है। वायरल संक्रमण के कुछ आम लक्षण इस प्रकार हैं:
- जैसे लक्षण: बुखार, सिरदर्द और थकान।
- पाचन संबंधी समस्याएँ: मतली, उल्टी और दस्त।
- त्वचा के लक्षण: चकत्ते, घाव, छाले या मस्से।
- ऊपरी श्वसन संबंधी लक्षण: गले में खराश, खाँसी, थकान, हल्का सिरदर्द और छींक।
यह लक्षण संक्रमण के प्रकार और शरीर पर उसके प्रभाव के अनुसार बदल सकते हैं।
वायरल संक्रमण के प्रमुख प्रकार निम्नवत दिए गए हैं:
वायरल संक्रमण का प्रकार |
यह किस अंग को प्रभावित करता है? |
उदाहरण |
श्वसन संक्रमण |
फेफड़े, श्वासनली (विंडपाइप), ब्रोन्कियल ट्यूब, साइनस, गला और मुँह |
सामान्य सर्दी, इन्फ्लूएंजा (फ्लू), कोविड-19 |
पाचन तंत्र के संक्रमण |
पेट और आंतें |
नोरोवायरस, रोटावायरस, गैस्ट्रोएंटेराइटिस |
लिवर संक्रमण |
लिवर |
हेपेटाइटिस ए, बी, सी, डी, और ई |
वायरल रक्तस्रावी बुखार |
रक्त और रक्त वाहिकाएँ |
इबोला, पीला बुखार, डेंगू बुखार |
यौन संचारित संक्रमण (एसटीआई) |
मुंह, जननांग और गुदा |
एचआईवी/एड्स, एचपीवी, हर्पीज, सिफलिस |
एक्सेंथेमेटस संक्रमण |
त्वचा |
चिकनपॉक्स, दाद, खसरा, रूबेला |
न्यूरोलॉजिकल संक्रमण |
मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी |
एन्सेफलाइटिस, मेनिन्जाइटिस, रेबीज, पोलियो |
वायरल संक्रमण किन कारणों से होता है?
वायरल संक्रमण कई अलग-अलग कारणों से हो सकता है। हमारे बीच कई प्रकार के वायरस मौजूद हैं, लेकिन इनमें से कुछ ही इंसानों को संक्रमित करते हैं। ये वायरस शरीर में अलग-अलग माध्यमों से प्रवेश करते हैं। वे हमारी नाक, मुँह, आँखों, गुदा या जननांगों के माध्यम से हमारे शरीर में प्रवेश कर सकते हैं। इसके अलावा, अगर त्वचा पर घाव हो, तो वायरस वहाँ से भी शरीर के भीतर प्रवेश कर सकता है। एक बार शरीर के अंदर जाने के बाद, वायरस कोशिकाओं पर हमला करते हैं। वे इन कोशिकाओं का इस्तेमाल करके अपनी संख्या को बढ़ाते हैं।
वायरल संक्रमण कैसे होता है?
वायरल संक्रमण, आमतौर पर निम्नलिखित तरीकों से होता है:
दूसरे व्यक्ति से: जब कोई संक्रमित व्यक्ति खाँसता या छींकता है, तो उसके संपर्क में आने से वायरस फैल सकता है।
सतहों से: जिन को संक्रमित व्यक्ति ने छुआ हो, जैसे दरवाज़े का हैंडल या फ़ोन, उन्हें छूने से भी वायरस फैल सकता है।
यौन संपर्क के माध्यम से: योनि, मुख या गुदा मैथुन के दौरान, वायरस फैल सकता है।
जानवरों के काटने से: संक्रमित जानवर, मच्छर या टिक के काटने से भी संक्रमण हो सकता है।
खाने या पानी से: दूषित भोजन या पानी का सेवन करने से भी वायरस शरीर में प्रवेश कर सकता है।
कई बार, लोग वायरल और बैक्टीरियल संक्रमण (bacterial infection) को एक ही समझ बैठते हैं, लेकिन इन दोनों में कुछ मूलभूत अंतर होते हैं! इन अंतरों में शामिल है:
वायरस और बैक्टीरिया में, सबसे बड़ा अंतर उनके जीवित रहने के तरीके में छिपा है। बैक्टीरिया, बिना किसी मानव होस्ट के भी जीवित रह सकते हैं। वे सतहों पर भी लंबे समय तक जीवित रहते हैं। दूसरी ओर, वायरस को जीवित रहने के लिए मानव होस्ट की ज़रूरत होती है। आमतौर पर हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली वायरल संक्रमण को बैक्टीरियल संक्रमण की तुलना में जल्दी ठीक कर सकती है। वायरल संक्रमण अक्सर कम गंभीर होता है। इसके कारण बुखार भी बैक्टीरियल संक्रमण की तुलना में हल्का होता है।
अगर बैक्टीरियल संक्रमण हो जाए, तो एंटीबायोटिक्स (antibiotics) लेना ज़रूरी होता है। ये बैक्टीरिया को बढ़ने से रोकते हैं और गंभीर समस्याओं को टालते हैं। लेकिन वायरल संक्रमण हो जाने पर, एंटीबायोटिक्स कोई असर नहीं करते। बार-बार एंटीबायोटिक्स लेने से अच्छे बैक्टीरिया को हानि पहुँच सकती है। इससे डायरिया और अन्य पाचन समस्याएँ हो सकती हैं। ये एंटीबायोटिक, प्रतिरोध का कारण भी बन सकते हैं।
कभी-कभी वायरल संक्रमण के बाद बैक्टीरियल संक्रमण हो सकता है। उदाहरण के लिए, लंबे समय तक जमा बलगम अन्य समस्याएँ पैदा कर सकता है। छोटे बच्चों में कोविड-19 के बाद बलगम बनने से कान का संक्रमण हो सकता है। अगर वायरल संक्रमण बैक्टीरियल संक्रमण में बदल जाए, तो एंटीबायोटिक्स लेना आवश्यक होता है।
संदर्भ
https://tinyurl.com/273adlnv
https://tinyurl.com/2pmc6cs9
https://tinyurl.com/25xre86g
https://tinyurl.com/26ayuyk8
चित्र संदर्भ
1. लॉकडाउन में कैद महिला को संदर्भित करता एक चित्रण (pexels)
2. माइक्रोस्कोप से देखे गए एक वायरस के दृश्य को संदर्भित करता एक चित्रण (pexels)
3. एक बीमार युवती को संदर्भित करता एक चित्रण (pexels)
4. बैक्टीरिया के कोलाज को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)