ज्यादातर भारतियों के घर में पूजा घर या एक यज्ञ घर होता है जहाँ हर दिन भगवान की पूजा अर्चना व दीप प्रज्वलन किया जाता है। पूजा के आलावा जप, ध्यान, पारायण, पूजा और आरतियाँ भी उसी कमरे में की जाती हैं। जन्मदिन, सालगिरह, त्यौहारों आदि के मौकों पर विशिष्ट पूजा भी यहीं पर की जाती है। यहाँ कुटुंब का हर सदस्य अपना माथा झुकाता है।
भगवान ही सब का निर्माता है अतः वो ही घर का प्रमुख मालिक है। इसके अलावा भगवान हमारे घर में एक विशिष्ट अतिथि के रूप में आते हैं जिनके सम्मान व सेवा के लिए इन पूजा घरों का निर्माण किया जाता है। यह घर हमेशा साफ़ व स्वच्छ रखा जाता है तथा इसको अच्छे तरीके से अलंकृत भी किया जाता है।
पूजा कक्ष होने से ये भी पता चलता है कि ईश्वर हमारे साथ हमारे घर में रहते हैं। बिना भगवान के आशीर्वाद के कोई भी काम सफलता पूर्वक पूर्ण नहीं हो सकता है। हम प्रत्येक दिन उनसे मिलते हैं और उनकी प्रार्थना करते हैं।
घर का प्रत्येक कमरा किसी एक काम के लिए निश्चित होता है जैसे सोने का कक्ष आराम करने के लिए, मेहमानों के लिए अलग कमरा, रसोई घर खाना बनाने के लिए आदि। हर कमरे की साज सज्जा उसके लिए निर्धारित कार्य के अनुसार की जाती है। तो इसी प्रकार से पूजा करने के लिए पूजा कक्ष का निर्माण किया जाता है।
धार्मिक सोच और वातावरण, दिमाग को एक सकारात्मक तरंग प्रदान करता है। पूजा घर में बैठ ध्यान लगाने से व पूजा पाठ करने से दिमाग संतुलित रहता है और मानव स्वस्थ भी रहता है।
1. इन इंडियन कल्चर व्हाई डू वी... – स्वामिनी विमलानान्दा, राधिका कृष्णकुमार
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