हमारे दैनिक जीवन में, मिठास घोलने वाली चीनी, एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। चीनी का उपयोग विभिन्न संस्कृतियों और अर्थव्यवस्थाओं में सैकड़ों वर्षों से किया जाता रहा है और इसका उत्पादन ज़्यादातर गन्ने और चुकंदर से किया जाता है। चीनी का उपयोग, भोजन को संरक्षित करने के लिए भी किया जाता है। भोजन के अलावा, चीनी का उपयोग दवा और सौंदर्य प्रसाधन जैसे अन्य उद्योगों में भी किया जाता है, जो दर्शाता है कि चीनी कई मायनों में कितनी उपयोगी है। लेकिन, एक निश्चित मात्रा में चीनी आपके सेहत के लिए ठीक हो सकती है, लेकिन इसकी अधिक मात्रा से कई गंभीर चिकित्सीय स्थितियों का खतरा बढ़ सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि चीनी का सेवन मोटापे और कई पुरानी बीमारियों, जैसे टाइप 2 मधुमेह का एक प्रमुख कारण है। तो आइए, आज चीनी के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले हानिकारक प्रभावों के बारे में जानते हैं। इसके साथ ही, हम भारत में चीनी उत्पादन और खपत के आंकड़ों के बारे में समझते हुए, दुनिया के शीर्ष पांच चीनी उत्पादक देशों के बारे में बात करेंगे। अंत में, हम यह जानेंगे कि वास्तव में चीनी क्या है।
अधिक मात्रा में चीनी के सेवन के दुष्प्रभाव:
- शोधों से पता चलता है कि बहुत अधिक चीनी का सेवन, विशेष रूप से चीनी युक्त पेय पदार्थों के कारण, आपका वजन बढ़ने का खतरा बढ़ जाता है और आंत में वसा जमा हो सकता है।
- अतिरिक्त चीनी के सेवन से मोटापा और उच्च रक्तचाप के साथ, हृदय रोग के जोखिम कारक बढ़ जाते हैं। 25,877 से अधिक वयस्कों पर किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि जो व्यक्ति अधिक चीनी का सेवन करते थे, उनमें हृदय रोग और कोरोनरी जटिलताओं के विकसित होने का जोखिम कम चीनी का सेवन करने वाले व्यक्तियों की तुलना में अधिक था।
- उच्च चीनी वाले आहार, एण्ड्रोजन (androgen) के स्राव को बढ़ा सकते हैं, जिससे शरीर में अधिक तेल उत्पादन और सूजन जैसी समस्याएं होती हैं। ये सभी आपके मुँहासे विकसित होने के जोखिम को बढ़ा सकते हैं।
- उच्च चीनी वाले आहार से मोटापा और इंसुलिन प्रतिरोध हो सकता है, ये दोनों टाइप 2 मधुमेह (Type 2 diabetes) के जोखिम कारक हैं। 4 साल से अधिक समय तक शर्करा युक्त पेय पदार्थ पीने वाले व्यक्तियों पर किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि शीतल पेय और 100% फलों के रस सहित शर्करा युक्त पेय पदार्थों का अधिक सेवन करने से टाइप 2 मधुमेह के उच्च जोखिम बढ़ जाते हैं।
- 9 वर्षों तक 22,720 से अधिक पुरुषों पर किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि मीठे पेय पदार्थों के अधिक सेवन से प्रोस्टेट कैंसर का जोखिम बढ़ जाता है। एक अन्य अध्ययन में, ग्रसिका नली के कैंसर को सुक्रोज़, या टेबल शुगर, और मीठे डेसर्ट और पेय पदार्थों के अधिक सेवन से जोड़ा गया। हालाँकि, अतिरिक्त चीनी के सेवन और कैंसर के बीच संबंध पर शोध जारी है, और इस जटिल संबंध को पूरी तरह से समझने के लिए और अधिक अध्ययन की आवश्यकता है।
- अतिरिक्त चीनी और अति-प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों से भरपूर आहार, पुरुषों और महिलाओं दोनों में, अवसाद के खतरे को बढ़ा सकता है। शोधकर्ताओं का मानना है कि पुरानी प्रणालीगत सूजन, इंसुलिन प्रतिरोध और बाधित डोपामिनर्जिक सिग्नलिंग प्रणाली (disrupted dopaminergic signaling system) - ये सभी चीनी की बढ़ती खपत के कारण हो सकते हैं - मानसिक स्वास्थ्य पर चीनी के हानिकारक प्रभाव में योगदान कर सकते हैं।
- चीनीयुक्त खाद्य पदार्थ आपके शरीर में एडवांस्ड ग्लाइकेशन एंड प्रोडक्ट्स (Advanced glycation end products (AGEs)) के उत्पादन को बढ़ा सकते हैं, जिससे त्वचा की उम्र बढ़ने और झुर्रियों के निर्माण में तेज़ी आ सकती है।
- बहुत अधिक चीनी खाने से अंत्यांश कोशिकाओं (telomeres) का छोटा होना, तेज़ हो सकता है, जिससे कोशिकाओं की उम्र बढ़ने लगती है।
- बहुत अधिक चीनी खाने से नॉनअल्कोहलिक फ़ैटी लीवर रोग (non-alcoholic fatty liver disease (NAFLD)) हो सकता है, एक ऐसी स्थिति जिसमें लीवर में अत्यधिक वसा जमा हो जाती है।
भारत में चीनी उत्पादन और खपत-'भारतीय चीनी मिल संघ' (Indian Sugar Mills Association (ISMA)) ने सैटेलाइट इमेजरी , अपेक्षित पैदावार पर फ़ील्ड रिपोर्ट, चीनी रिकवरी दर, निकासी प्रतिशत, गत और इस वर्ष की वर्षा का प्रभाव, जलाशयों में पानी की उपलब्धता और दक्षिण पश्चिम मानसून 2024 के दौरान, अनुमानित वर्षा के व्यापक विश्लेषण के बाद, 2024-25 विपणन वर्ष (अक्टूबर-सितंबर) के लिए चीनी उत्पादन का प्रारंभिक अनुमान जारी किया है। इस अनुमान के अनुसार, अक्टूबर से शुरू होने वाले विपणन वर्ष 2024-25 में, भारत का सकल चीनी उत्पादन 2 प्रतिशत घटकर 33.3 मिलियन टन होने का अनुमान है।
अपने पूर्वानुमान में, एसोसिएशन ने 2024-25 के लिए देश का सकल चीनी उत्पादन 33.310 मिलियन टन होने का अनुमान लगाया है, जो चालू विपणन वर्ष 2023-24 में अनुमानित 33.995 मिलियन टन है। चालू विपणन वर्ष के लिए शुद्ध चीनी उत्पादन 31.965 मिलियन टन होने का अनुमान है। इस्मा ने 1 अक्टूबर, 2024 तक, 9.05 मिलियन टन के शुरुआती स्टॉक का अनुमान लगाया है। इस प्रकार, 2024-25 में, कुल 42.35 मिलियन टन चीनी उपलब्ध हो सकती है। हालाँकि, अगले विपणन वर्ष में घरेलू खपत, 29 मिलियन टन होने की संभावना है, जिससे 30 सितंबर, 2025 तक, अंतिम स्टॉक 13.35 मिलियन टन हो सकता है।
सबसे ज्यादा चीनी उत्पादित करने वाले 5 देश-
विश्व की लगभग 80% चीनी का उत्पादन उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय जलवायु में उगाए गए गन्ने से होता है। शेष 20% चुकंदर से होता है, जिसमें से ज़्यादातर उत्तरी गोलार्ध के समशीतोष्ण क्षेत्रों में उगाया जाता है। मौसम की स्थिति से लेकर भूराजनीतिक घटनाओं और स्थानीय राजनीति तक कई कारक प्रभाव डालते हैं, जो चीनी उत्पादन को प्रभावित करते हैं।
ब्राज़ील, भारत, थाईलैंड, चीन और अमेरिका दुनिया के सबसे बड़े चीनी उत्पादक देश हैं।
1. ब्राज़ील
आंशिक रूप से अनुकूल मौसम के कारण, दुनिया की चीनी आपूर्ति में ब्राजील का पहले से ही बड़ा योगदान है, जो 2023-2024 फसल वर्ष के दौरान चार मिलियन मेट्रिक टन तक बढ़ने की उम्मीद है। इससे ब्राज़ील का चीनी उत्पादन रिकॉर्ड ऊंचाई के करीब पहुंच गया है। ऊंची कीमतें, इथेनॉल और नवीकरणीय ईंधन के लिए गन्ने की मांग ब्राज़ील के बाजार में एक महत्वपूर्ण कारक बनी हुई है। स्थिर खपत और बढ़ती आपूर्ति के पूर्वानुमान के साथ, ब्राज़ील में चीनी निर्यात में वृद्धि जारी रह सकती है।
2. भारत
चीनी उत्पादन में भारत ब्राज़ील से पीछे नहीं है। हाल ही में, 2021-2022 तक, तो भारत चीनी उत्पादन में शीर्ष स्थान पर था। 2023-2024 फ़सल वर्ष में भारत का उत्पादन चार मिलियन मेट्रिक टन बढ़कर 36 मिलियन मेट्रिक टन तक पहुंचने की उम्मीद है। शीर्ष चीनी उत्पादक होने के साथ-साथ, भारत दुनिया का अग्रणी चीनी उपभोक्ता भी है। पूर्वानुमानों के अनुसार, थोक खरीदारों और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों के निर्माताओं की मज़बूत मांग के आधार पर भारत में चीनी की घरेलू खपत में भी निरंतर वृद्धि हो रही है।
3. थाईलैंड
गन्ना, थाईलैंड की सबसे महत्वपूर्ण फसलों में से एक है। 2023 से 2024 में थाईलैंड में चीनी उत्पादन 11.2 मिलियन मेट्रिक टन तक पहुंचने की उम्मीद है।
4. चीन
2023-2024 फ़सल वर्ष में चीन का चीनी उत्पादन एक मिलियन मीट्रिक टन से बढ़कर 10 मिलियन मेट्रिक टन होने का अनुमान है, साथ ही देश में अच्छे मौसम के चलते भी इसके उत्पादन में वृद्धि देखी जा रही है। हालाँकि, चीन दुनिया के सबसे बड़े चीनी उत्पादकों में से एक है, लेकिन यह शुद्ध चीनी आयातक है।
5. संयुक्त राज्य अमेरिका
अमेरिका अब विश्व स्तर पर पांचवां सबसे बड़ा चीनी उत्पादक है, जिसका सकल उत्पादन 2023 से 2024 में 8.4 मिलियन मीट्रिक टन तक पहुंचने की उम्मीद है।अधिकांश अन्य देशों के विपरीत, अमेरिका गन्ना और चुकंदर से बनने वाली दोनों तरह की चीनी का एक प्रमुख उत्पादक है। यहां कुल चीनी उत्पादन में गन्ने का हिस्सा लगभग 45% है और चुकंदर का हिस्सा लगभग 55% है।
चीनी क्या है:
चीनी का उत्पादन, गन्ने और चुकंदर के पौधों में प्राकृतिक रूप से मौजूद शर्करा को निकालने और शुद्ध करने से होता है। चीनी का वैज्ञानिक नाम सुक्रोज़ (sucrose) है। सुक्रोज़ एक डाइसैकेराइड है, जो दो सरल इकाइयों (मोनोसैकेराइड), ग्लूकोज़ (glucose) और फ़्रक्टोज़ (fructose) से बनी होती है। चीनी केवल गन्ने और चुकंदर के पौधों में ही नहीं पाई जाती है, बल्कि फलों, और मेवों सहित सभी पौधों में प्राकृतिक रूप से होती है। गन्ने और चुकंदर के पौधों को प्राकृतिक रूप से उच्च चीनी सामग्री के कारण चीनी उत्पादन के लिए चुना जाता है।
संदर्भ
https://tinyurl.com/3kc2ek67
https://tinyurl.com/y6ndsuns
https://tinyurl.com/yymvdevs
https://tinyurl.com/mr3pdvjk
चित्र संदर्भ
1. चाय के कप में पड़ रही चीनी को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. चीनी को पिघलाने की प्रक्रिया को संदर्भित करता एक चित्रण (flickr)
3. एक चम्मच में ली जा रही चीनी को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. चीनी के विविध प्रकारों को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)