लखनऊ में कुछ सबसे लोकप्रिय उच्च शिक्षण संस्थान हैं इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ इन्फ़ॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (IIIT Lucknow), बाबू बनारसी दास यूनिवर्सिटी (BBDU), और किंग जॉर्ज’स मेडिकल यूनिवर्सिटी। अगर शिक्षा की बात करें, तो भारत हर साल 11 नवम्बर को मौलाना अबुल कलाम आज़ाद की जयंती पर राष्ट्रीय शिक्षा दिवस मनाता है ताकि शिक्षा के क्षेत्र में उनके योगदान को सम्मानित किया जा सके।
तो आइए, आज हम इस दिन के इतिहास और इसके महत्व के बारे में विस्तार से जानते हैं। इसके बाद, हम मौलाना अबुल कलाम आज़ाद और भारत में शिक्षा के क्षेत्र में उनके योगदान पर चर्चा करेंगे। फिर हम यह भी समझेंगे कि क्यों विदेशी छात्रों को विश्वविद्यालयों में घरेलू छात्रों की तुलना में अधिक ट्यूशन फ़ीस देनी पड़ती है। अंत में, हम यह जानेंगे कि क्यों इतनी महंगी पढ़ाई होने के बावजूद, भारतीय छात्रों के लिए विदेशी यूनिवर्सिटीज़ का आकर्षण बना रहता है।
भारत में राष्ट्रीय शिक्षा दिवस का इतिहास और इसका महत्व
मौलाना अबुल कलाम आज़ाद, स्वतंत्र भारत के पहले शिक्षा मंत्री थे, और 1947 से 1958 तक इस पद पर रहे। उन्होंने हमारी शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने और सभी के लिए इसे सुलभ बनाने में अहम योगदान दिया, जिसे आज भी आदरपूर्वक याद किया जाता है।
राष्ट्रीय शिक्षा दिवस मनाने का मकसद लोगों को शिक्षा के महत्व और इसके देश की तरक्की व भलाई पर सकारात्मक प्रभाव के बारे में जागरूक करना है। यह दिन, हमें सीखने की भावना और शिक्षा की अहमियत को समझने का मौका देता है।
चूँकि शिक्षा ही सफलता की बुनियाद है, इस दिन का उद्देश्य, हम सबको इस अधिकार की अहमियत और इसे संजोकर रखने की ज़रूरत का एहसास दिलाना है।
मौलाना अबुल कलाम आज़ाद का भारतीय शिक्षा में योगदान
मौलाना अबुल कलाम आज़ाद ने भारत की शिक्षा व्यवस्था को आकार देने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वे शिक्षा का अधिकार के प्रबल समर्थक थे और 14 वर्ष तक के बच्चों के लिए मुफ़्त और अनिवार्य शिक्षा का समर्थन करते थे। उन्हीं की पहल पर शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 की नींव रखी गई, जिससे 6-14 वर्ष के हर बच्चे को शिक्षा का अधिकार मिल सका।
मौलाना आज़ाद का लक्ष्य, उच्च शिक्षा के प्रमुख संस्थानों की स्थापना तक फैला हुआ था। उन्होंने, 1951 में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IITs), इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ साइंस (IISc) बैंगलोर, और दिल्ली विश्वविद्यालय के फ़ैकल्टी ऑफ़ टेक्नोलॉजी की स्थापना में योगदान दिया।
इसके अतिरिक्त, उन्होंने सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ़ एजुकेशन, दिल्ली की स्थापना की, जो बाद में दिल्ली विश्वविद्यालय का शिक्षा विभाग बन गया। 1953 में, भारत के उच्च शिक्षा नियामक विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) की स्थापना में भी उनकी अहम भूमिका थी। मौलाना आज़ाद, जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी के सह-संस्थापक भी थे। इन संस्थानों ने शिक्षा और विज्ञान के क्षेत्र में भारत को वैश्विक स्तर पर एक मज़बूत पहचान दिलाई है।
अंतरराष्ट्रीय छात्रों को घरेलू छात्रों से अधिक ट्यूशन क्यों चुकानी पड़ती है?
अंतरराष्ट्रीय छात्रों को घरेलू छात्रों की तुलना में अधिक ट्यूशन फ़ीस चुकाने के कई कारण हैं:
सरकारी सहायता की कमी: जैसे कि ब्रिटेन में यूके और यूरोपीय छात्रों के लिए सरकारी वित्तपोषण या सीमा की कमी है।
ट्यूशन फीस का स्रोत: अंतरराष्ट्रीय ट्यूशन फ़ीस, सरकार और विदेशी विश्वविद्यालयों के लिए आय का एक प्रमुख स्रोत है।
शिक्षा में महंगाई: शिक्षा की लागत हर साल बढ़ती है, जिसे शिक्षा महंगाई कहा जाता है। महंगाई शिक्षा की लागत पर सीधे असर डालती है और इसने न केवल विदेशों के प्रमुख विश्वविद्यालयों में, बल्कि भारत के सरकारी विश्वविद्यालयों में भी वार्षिक ट्यूशन फ़ीस में वृद्धि का कारण बना है।
विश्वविद्यालयों के खर्च: विश्वविद्यालय नियोक्ता होते हैं और शोध के केंद्र होते हैं। इसका मतलब है कि उन्हें अपने वार्षिक खर्चों जैसे कि शोध, वेतन भुगतान और बुनियादी ढांचे को बनाए रखने के लिए आय की आवश्यकता होती है। इन खर्चों के लिए राजस्व मुख्यतः ट्यूशन फ़ीस से आता है, यही वजह है कि अंतरराष्ट्रीय छात्रों को अधिक भुगतान करना पड़ता है।
उदाहरण के लिए – चलिए किंग्स कॉलेज लंदन, यू.के. का उदाहरण लेते हैं। अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए बी.ए. इंग्लिश पढ़ने की वर्तमान ट्यूशन फ़ीस (2023-24) £23,160 प्रति वर्ष है, जबकि घरेलू छात्रों के लिए यह £9,250 प्रति वर्ष है। भारतीय रुपये में, अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए सालाना खर्च लगभग 21 लाख रुपये और घरेलू छात्रों के लिए लगभग 8.34 लाख रुपये होता है।
बड़े खर्च के बावजूद भारतीय छात्रों के लिए विदेशी विश्वविद्यालय इतने आकर्षक क्यों हैं?
1.) अनुकूल शिक्षा प्रणाली – सोचिए, अगर आपको दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में पढ़ने का मौका मिले, जहाँ की शिक्षा प्रणाली, नए दौर की मांग और तकनीकी बदलावों के साथ कदम से कदम मिलाती है। यही वजह है कि कई भारतीय छात्र विदेश में पढ़ाई का सपना देखते हैं। विदेशी विश्वविद्यालयों में पढ़ाई का तरीका काफ़ी लचीला होता है, जहाँ आप एक साथ कई विषयों की पढ़ाई कर सकते हैं। यहाँ पाठ्यक्रम, आपके करियर को ध्यान में रखते हुए तैयार किए जाते हैं, जिससे आपके पास कामयाबी के नए रास्ते खुलते हैं और आप अपने भविष्य को लेकर अधिक आत्मविश्वासी महसूस करते हैं।
2.) उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा – विदेश में पढ़ाई का एक बड़ा कारण वहाँ की उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा है। भारतीय छात्रों के लिए यह इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यहाँ प्रैक्टिकल शिक्षा को थ्योरी से अधिक महत्व दिया जाता है। इससे छात्र, न केवल कौशल विकसित करते हैं, बल्कि रोज़गार के लिहाज़ से भी मज़बूत बनते हैं। भारत में कई छात्र, खेल या संगीत जैसे क्षेत्रों में करियर बनाना चाहते हैं, लेकिन संसाधनों और प्रशिक्षकों की कमी एक बड़ी बाधा बनती है। विदेशी विश्वविद्यालयों में इन क्षेत्रों के लिए बुनियादी ढाँचे की कोई कमी नहीं होती, और ये कोर्स, अकादमिक स्तर पर संतुलित रूप से पढ़ाए जाते हैं, ताकि छात्रों का हर क्षेत्र में विकास हो।
3.) स्कॉलरशिप और वित्तीय सहायता – एक और महत्वपूर्ण पहलू है वहाँ का छात्र अनुभव, जो आवास से लेकर स्वास्थ्य सुविधाओं तक को ध्यान में रखकर दिया जाता है। हाँ, वहाँ रहना महंगा है, लेकिन स्कॉलरशिप और वित्तीय सहायता की वजह से यह काफ़ी हद तक कम हो सकता है। अधिकांश विदेशी विश्वविद्यालय, भारतीय छात्रों के लिए बड़े पैमाने पर स्कॉलरशिप देते हैं, जिससे पढ़ाई सस्ती और सुलभ बन जाती है। इससे अधिक से अधिक छात्र अपनी शिक्षा का सपना साकार कर पाते हैं।
4.) बेहतर रोज़गार अवसर – सोचिए, कैसा हो, अगर आपको विदेश में पढ़ाई के बाद वहां काम करने का मौका भी मिले ? विदेशी शिक्षा सिर्फ़ पढ़ाई तक ही सीमित नहीं है; यह आपको अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रोज़गार के नए अवसर भी देती है। भारत में भी ऐसे छात्रों को प्राथमिकता दी जाती है, जिनके पास विदेशी योग्यता होती है, क्योंकि वे अधिक कौशलयुक्त और व्यावहारिक रूप से मज़बूत होते हैं। इसका सीधा असर, उनके करियर में तेज़ी से तरक्की पाने पर पड़ता है, जो कि हर किसी का सपना होता है!
तो, चाहे शिक्षा प्रणाली की लचीलापन हो, गुणवत्ता, स्कॉलरशिप, या रोज़गार के सुनहरे अवसर – यही वो कारण हैं जिनसे भारतीय छात्रों के लिए विदेशी विश्वविद्यालय इतने आकर्षक साबित होते हैं।
संदर्भ
https://tinyurl.com/bdf2znc3
https://tinyurl.com/25uumvck
https://tinyurl.com/2rv2y9eu
https://tinyurl.com/4pes8hjv
चित्र संदर्भ
1. प्रोजेक्ट-आधारित शिक्षा को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. स्कूल में पढ़ती एक छात्रा को संदर्भित करता एक चित्रण (flickr)
3. 19 जुलाई 1951 को, दिल्ली के पालम हवाई अड्डे पर अबुल कलाम आज़ाद, अहमद सईद और जवाहरलाल नेहरू को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. तकनीकी कार्य सीखते नन्हे बच्चे को संदर्भित करता एक चित्रण (Pexels)
5. स्टैमफोर्ड स्ट्रीट में स्थित, किंग्स कॉलेज लंदन के वाटरलू कैम्पस की फ्रैंकलिन-विल्किन्स बिल्डिंग को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)