हमारा शहर लखनऊ अक्सर अख़बारों की सुर्खियों में अपने समृद्ध इतिहास और आधुनिक विकास को प्रदर्शित करता है। नवाबों के शहर के रूप में प्रसिद्ध हमारा शहर , अपनी सांस्कृतिक विरासत, ऐतिहासिक स्मारकों और जीवंत कलाओं के लिए जाना जाता है। एक तरफ़ आज नए विकास के साथ इसका स्वरूप बदल रहा है। सामुदायिक घटनाओं से लेकर राजनीतिक ख़बरों तक, हमारा शहर समाचार पत्रों में एक प्रमुख केंद्र बना हुआ है। यह बात उत्तर प्रदेश की राजधानी और एक संपन्न शहरी केंद्र के रूप में लखनऊ के महत्व को दर्शाती है। इसलिए, आज हम समाचार पत्रों के विकास का पता लगाएंगे। अख़बारों की शुरुआत, उनकी उत्पत्ति और विकास के संक्षिप्त इतिहास से हुई होगी। फिर हम अपना ध्यान, भारत में समाचार पत्रों के समृद्ध इतिहास पर केंद्रित करेंगे। हम, जनमत को आकार देने और सामाजिक परिवर्तन लाने में उनकी भूमिका पर भी प्रकाश डालेंगे। अंत में हम दुनिया के सबसे पुराने अखबारों का अध्ययन करेंगे, जो आज भी प्रचलन में है।
लिखित समाचार का इतिहास, 59 ईसा पूर्व में रोमन साम्राज्य से शुरू होता है। उस समय, रोम(Rome), पश्चिमी दुनिया और नवाचार का केंद्र था। अधिकांश इतिहासकार, नियमित लिखित समाचार के जन्म का श्रेय, रोमनों को ही देते हैं। एक्टा डायरना(Acta Diurna) तब पत्थर या धातु के पत्रों पर प्रकाशित नक्काशीदार समाचार था। इसमें राजनीति, सैन्य अभियान, रथ दौड़ और फांसी की घटनाओं को शामिल किया गया था। यह पत्र, दैनिक रूप से प्रकाशित किया जाता था और सरकार द्वारा रोमन फ़ोरम(Roman Forum) में इसे पोस्ट किया जाता था। एक्टा , जिसे मूल रूप से गुप्त रखा गया था, 59 ईसा पूर्व में जूलियस सीज़र(Julius Caesar) द्वारा सार्वजनिक किया गया था।
दूसरी ओर, मुद्रित समाचार पत्र का इतिहास, 17वीं शताब्दी के यूरोप में मिलता है। तब, जोह़ान कैरोलस(Johann Carolus) ने 1605 में जर्मनी(Germany) में ‘रिलेशन एलर फ़र्नमेन एंड गेडेनकवुर्डिजेन हिस्टोरियन(Relation aller Fürnemmen und gedenckwürdigen Historien)’ (सभी प्रतिष्ठित और यादगार समाचारों का लेखा-जोखा) नामक पहला समाचार पत्र प्रकाशित किया था। 17वीं सदी में यूरोप मुद्रित समाचार पत्रों का केंद्र था, और उनमें से कुछ अख़बारों ने जल्द ही जर्मन, फ़्रेंच(French), डच(Dutch), इतालवी(Italian) और अंग्रेज़ी में परिचालन शुरू कर दिया था।
प्रारंभिक समाचार पत्र महंगे थे इसलिए केवल कुछ विशेषाधिकार प्राप्त लोगों द्वारा पढ़े जाते थे। परंतु, 19वीं सदी में, विज्ञापन के आगमन के साथ समाचार पत्रों की लागत में काफ़ी गिरावट आई और यह व्यापक आबादी तक पहुंच पाए। तब से, प्रिंट मीडिया तेज़ी से बढ़ रहा है और हम सभी के दैनिक जीवन का एक अभिन्न अंग बन गया है। जैसे-जैसे इनका प्रसार बढ़ा वैसे-वैसे विज्ञापन राजस्व भी बढ़ा। अधिकांश प्रकाशन बेहद लाभदायक थे और धनी व्यक्तियों के स्वामित्व में थे जो अपने राजनीतिक विचारों को फैलाने हेतु इनका उपयोग करते थे।
साथ ही भारत में, मुद्रित पहला समाचार पत्र – 1780 में कलकत्ता के एक प्रिंटिंग प्रेस से ‘हिक्कीज़ बंगाल गज़ेट (Hicky’s Bengal Gazette)’ था। भारत का पहला समाचार पत्र – हिक्कीज़ बंगाल गैजेट 29 जनवरी, 1780 को ब्रिटिश राज के तहत, जेम्स ऑगस्टस हिक्की(James Augustus Hicky) द्वारा प्रकाशित किया गया था। इसे ‘कलकत्ता जनरल एडवरटाइज़र’ भी कहा जाता था और लोग इसे ‘द बंगाल गैजेट’ के नाम से भी याद करते हैं।
यह बहुत छोटा एवं दो पन्नों वाला एक साप्ताहिक समाचार पत्र था। साथ ही, यह अख़बार बहुत सारे विज्ञापनों से भरा हुआ था।
हिक्कीज़ बंगाल गैजेट के परिचालन के कुछ महीनों बाद, मेसर बी मेसिंक(Messer B Messinck) और पीटर रीड(Peter Read) ने नवंबर 1780 में ‘इंडियन गज़ेट(Indian Gazette)’ नामक अख़बार प्रकाशित किया। उसी समय कलकत्ता गज़ेट (1784) व द बंगाल जर्नल (1785) जैसे कुछ अन्य समाचार पत्र भी शुरू किए गए।
- 1785 में, मद्रास में रिचर्ड जॉनसन(Richard Johnson) ने अंग्रेज़ी भाषा में ‘मद्रास कूरियर’ प्रकाशित किया। 1795 में, आर. विलियम(R. William) का ‘मद्रास गज़ेट’ और 1796 में हम्फ्री(Humphrey) का ‘इंडिया हेराल्ड’ भी परिचालित हुआ।
- बॉम्बे(वर्तमान मुंबई) में पहला अख़बार, 1789 में प्रकाशित, ‘बॉम्बे हेराल्ड’ था। जबकि इसी शहर के कुछ अन्य अख़बार 1789 में बॉम्बे कूरियर और 1791 में ‘बॉम्बे गैजेट’ थे।
- ब्रिटिश शासन के दौरान, भारतीय समाचार पत्र अस्तित्व में आए और उन्होंने देश के स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वास्तव में, अख़बारों ने राष्ट्रीय और क्षेत्रीय स्तर पर स्वतंत्रता संग्राम के ‘मुखपत्र’ के रूप में काम किया।
- बाल गंगाधर तिलक ने ‘केसरी’ और ‘मराठा’ नामक अखबार प्रकाशित किए। महात्मा गांधी जी ने ‘यंग इंडिया’ और ‘हरिजन’ अख़बार भी शुरू किए। वहीं, पंडित जवाहरलाल नेहरू ने ‘नेशनल हेराल्ड’ की शुरुआत की।
- फिर आज़ादी के बाद भारतीय समाचार पत्र ‘निगरानी करने’ की भूमिका निभाने लगे और देश में सामाजिक और आर्थिक विकास की प्रक्रिया को तेज़ करने के लिए उत्प्रेरक एजेंट की भूमिका भी निभा रहे थें।
17वीं शताब्दी से समाचार पत्र और पत्रिकाएं ज्ञान व ख़बरों के प्रसार के प्राथमिक माध्यमों में से एक रहे हैं। अंग्रेज़ी पैम्फलेट(Pamphlets) डच ‘कोरैंटोस(Corantos)’, प्राचीन रोमन ‘एक्टा डायरना’ और फ़्रेंच ‘जर्नल्स(Journals)’ के रूप में प्रसारित होने वाले अख़बार में पिछले कुछ वर्षों में काफ़ी बदलाव आया है। समाचारों का प्रसार, ऑनलाइन प्रकाशनों पर अधिक निर्भर होने लगा है |
दुनिया भर में अभी भी कुछ ऐसे समाचार पत्र हैं जिन्होंने बड़े पैमाने पर डिजिटलीकरण और सदियों से चली आ रही टूट-फूट के बावजूद अपनी पकड़ बनाए रखी है।
यहां नीचे, दुनिया के कुछ सबसे पुराने समाचार पत्रों की सूची है, जो आज भी प्रचलन में हैं:
पोस्ट-ओक इनरिकेस टिडनिंगर(Post-och Inrikes Tidningar) (1645)
ओप्रेगटे हार्लेम्सचे कूरेंट(Opregte Haarlemsche Courant) (1656)
द गज़ेट डि मंटोवा(The Gazzetta di Mantova) (1664)
द लंदन गज़ेट (The London Gazette) (1665)
वीनर ज़ितुंग(Wiener Zeitung) (1703)
हिल्डेशाइमर अल्गेमाइने ज़िटुंग(Hildesheimer Allgemeine Zeitung) (1705)
बेलफ़ास्ट न्यूज़-लेटर(The Belfast News-Letter) (1737)
बर्लिंग्स्के टिडेन्डे(Berlingske Tidende) (1749)
द हार्टफ़ोर्ड कूरेंट(The Hartford Courant) (1764)
बॉम्बे समाचार(Bombay Samachar) (1822)
संदर्भ
https://tinyurl.com/m7pffsx6
https://tinyurl.com/44w6s988
https://tinyurl.com/yyp552k3
चित्र संदर्भ
1. अपनी दुकान पर अखबार पढ़ते बुजुर्ग को संदर्भित करता एक चित्रण (pexels)
2. मोंटेवलो विश्वविद्यालय, यू एस ए के परिसर में समाचार पत्र की कतरनों के संग्रह को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. द बंगाल गज़ेट के पहले संस्करण के चौथे पृष्ठ को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. इंडियन एक्सप्रेस नामक समाचार पत्र को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)