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संगीत को यूं ही नहीं कहा जाता - ‘भारतीय फ़िल्मों की आत्मा’

लखनऊ

 03-10-2024 09:18 AM
द्रिश्य 2- अभिनय कला
कहिए तो आसमान को ज़मी पर उतार लाएँ।
मुश्किल नहीं है कुछ भी अगर ठान लीजिए।
दिल चीज़ क्या है, आप मेरी जान लीजिए।।
ये पंक्तियां हैं, 1981 में अभिनेत्री रेखा द्वारा अभिनीत कालजयी फ़िल्म "उमराव जान" की। शायद आपको पता हो कि 'उमराव जान' फ़िल्म की शूटिंग हमारे अपने लखनऊ शहर में ही हुई थी। इसे बॉलिवुड के इतिहास की सबसे लोकप्रिय फ़िल्मों में से एक माना जाता है। इस फ़िल्म को, ख़ासतौर पर, अपने बेजोड़ संगीत के लिए जाना जाता है। इन जादुई गानों को सुनने के बाद पत्थर दिल इंसान भी प्रेम में डूब जाए। हालांकि उमराव जान के अलावा भी बॉलिवुड की कई ऐसी फ़िल्में हैं, जिन्होंने अपने संगीत के दम पर न केवल भारत बल्कि वैश्विक स्तर के संगीत प्रेमियों के दिल में घर कर लिया। इसलिए आज का हमारा लेख, उन संगीतमय फ़िल्मों को समर्पित है, जिनका संगीत ही उनकी आत्मा है। इस लेख में हम, भारतीय फ़िल्मों के साथ-साथ, पश्चिमी संगीतमय फ़िल्मों के बारे में भी जानेंगे।
फ़िल्मों में ध्वनि का आगमन 1920 के दशक के अंत में हुआ। ध्वनि के आगमन के साथ ही संगीत को दर्शकों के बीच एक नई पहचान मिल गई। इसी दौरान, बसबी बर्कली (Busby Berkeley) एक प्रसिद्ध कोरियोग्राफ़र (choreographer) के रूप में उभरे। उन्हें अपने असाधारण सेट डिज़ाइन के लिए जाना जाता था। उनकी प्रतिभा, 42वीं स्ट्रीट (42nd Street), गोल्ड डिगर्स ऑफ़ 1933 (Gold Diggers of 1933), और फ़ुटलाइट परेड (Footlight Parade) जैसी उनकी फ़िल्मों में देखने को मिलती है। इन फ़िल्मों में, उन्होंने प्रभावशाली और शानदार संगीतमय प्रस्तुतियां दी हैं।
1930 के दशक में, एस्टायर (Fred Astaire) और जिंजर रोजर्स (Ginger Rogers) द्वारा निर्देशित संगीतमय फ़िल्में, अमेरिका में धूम मचाने लगीं।
उनकी कुछ उल्लेखनीय फ़िल्मों में शामिल हैं:
- टॉप हैट (1935) - (Top Hat)
- फ़ॉलो द फ़्लीट (1936) - (Follow the Fleet)
- स्विंग टाइम (1936) - (Swing Time)
- शैल वी डांस (1937) - (Shall We Dance)
- विक्टर फ़्लेमिंग (Victor Fleming) द्वारा निर्देशित द विज़र्ड ऑफ़ ओज़ (The Wizard of Oz) (1939) को इस युग की एक और महत्वपूर्ण एवं क्रांतिकारी फ़िल्म माना जाता है। इस फ़िल्म में तकनीकी नवाचारों के साथ प्रयोग किया गया था। इसमें टेक्नीकलर (Technicolor) जैसी नई तकनीक का इस्तेमाल किया गया। यह फ़िल्म, म्यूज़िकल (musical) के इतिहास में बहुत महत्ववपूर्ण साबित हुई ।
1940 और 1950 के दशक में, मेट्रो-गोल्डविन-मेयर (Metro-Goldwyn-Mayer) के द्वारा कई संगीतमय फ़िल्में बनाई गईं। इन फ़िल्मों में शामिल हैं:
- मीट मी इन सेंट लुइस (1944) - (Meet Me in St. Louis)
- ईस्टर परेड (1948) - (Easter Parade)
- ऑन द टाउन (1949) - (On the Town)
- एन अमेरिकन इन पेरिस (1951) - (An American in Paris)
- सिंगिंग इन द रेन (1952) - (Singin' in the Rain)
- द बैंड वैगन (1953) - (The Band Wagon)
- हाई सोसाइटी (1956) - (High Society)
- गिगी (1958) - (Gigi)
इन फ़िल्मों ने, सिनेमा में संगीतमय फ़िल्मों की लोकप्रियता और विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
भारत में फ़िल्मों की लोकप्रियता में इनका संगीत बहुत बड़ी भूमिका निभाता है।
भारत में संगीत की लोकप्रियता का राज़ क्या है?
भावनाओं का जादू: भारतीय फ़िल्मों में दर्शकों की भावनाओं को जीवंत करने के लिए संगीत का जादू चलाया जाता है। फ़िल्म के गाने ख़ुशी के पल, प्यार की मिठास, उदासी की छाया, जुनून की लहर, या डर के साये जैसे हर दृश्य को और भी गहरा बनाते हैं। गीतों को इस तरह से तैयार किया जाता है कि वे कहानी और पात्रों के साथ, पूरी तरह से मेल खाएं। गाने, उन गहरी मानवीय भावनाओं को छूते हैं, जिन्हें शब्दों में बयां करना अक्सर मुश्किल होता है।
संस्कृति का संगम: भारतीय फ़िल्में, संगीत के माध्यम से देश की विविधता को दर्शाती हैं। फ़िल्मों के साउंडट्रैक में विभिन्न सांस्कृतिक परंपराओं का समावेश होता है। यह समावेश, पश्चिमी शास्त्रीय संगीत को भारतीय लोकगीतों और आधुनिक हिट्स के साथ जोड़ता है। इसके अलावा भारतीय फ़िल्मों में नृत्य का भी एक समृद्ध इतिहास रहा है।
कहानी की धारा: भारतीय फ़िल्मों में गाने केवल मनोरंजन के लिए नहीं जोड़े जाते। वास्तव में वे कहानी को आगे बढ़ाने में भी मदद करते हैं। ये गाने न केवल कथानक को आगे बढ़ाते हैं, बल्कि फ़िल्म के महत्वपूर्ण क्षणों को भी उजागर करते हैं। दर्शकों को लुभाने हेतु फ़िल्म की संरचना में गाने चतुराई से बुने जाते हैं।
संगीत का प्रचार: भारतीय फ़िल्मों की सफलता में संगीत की भूमिका बहुत अहम होती है। लोकप्रिय गाने, दर्शकों का फ़िल्म की ओर ध्यान खींचते हैं। इस प्रकार गाने बॉक्स ऑफ़िस में फ़िल्म की सफलता में योगदान देते हैं। दर्शकों में अक्सर उत्साह पैदा करने के लिए संगीत रिलीज़ और प्रचार कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं। इससे संगीत के मार्केटिंग टूल के रूप में महत्व का पता चलता है।
सिनेमाई भव्यता: भारतीय फ़िल्मों को अपने भव्य और दृश्यात्मक गीत-और-नृत्य दृश्यों के लिए जाना जाता है। इस तरह के संगीतमय प्रदर्शन फ़िल्म को अद्वितीय और मनोरंजक बना देते हैं।
आइए, अब हम आपको भारतीय सिनेमा की दुनिया में संगीत के जादू से भरी कुछ लोकप्रिय फ़िल्मों के सफ़र पर लिए चलते हैं।
मधुमती (1958): 1958 में बिमल रॉय द्वारा निर्देशित, "मधुमती" फ़िल्म में, पुनर्जन्म की एक अद्भुत कहानी को दर्शाया गया है। फ़िल्म में देविंदर (दिलीप कुमार), एक तूफ़ानी रात में अपनी पत्नी और बच्चे को लेने के लिए यात्रा करते हैं। लेकिन रास्ते में भूस्खलन के कारण उन्हें एक पुरानी हवेली में शरण लेनी पड़ती है। यह हवेली देविंदर को जानी-पहचानी लगती है। इस फ़िल्म का संगीत सलिल चौधरी ने तैयार किया, जिन्हें भारतीय फ़िल्म संगीत के दिग्गजों में से एक माना जाता है। "मधुमती" खोए हुए प्यार और पिछले जन्मों की गहराई को बखूबी दर्शाती है।
जानवर (1965): 1965 में भप्पी सोनी द्वारा निर्देशित "जानवर" में दो अमीर भाई, महेंद्र (रहमान) और सुंदर (शम्मी कपूर), निचली जातियों की महिलाओं से प्यार करते हैं। फ़िल्म का एक यादगार गाना "देखो अब तो किसी को नहीं है खबर" है। इस गाने में बीटल्स के "आई वांट टू होल्ड योर हैंड (I Want to Hold Your Hand)" की धुन का जादू है।
हरे राम हरे कृष्णा (1971): 1971 में आई फ़िल्म "हरे राम हरे कृष्णा" को देव आनंद ने ही लिखा, निर्देशित किया और इसमें अभिनय भी उन्होंने ही किया। इस फ़िल्म में उन्होंने 60 के दशक के हिप्पी ट्रेंड (hippie trend) को दर्शाया, जिसमें पश्चिमी युवा, भारतीय दर्शन को नशीली दवाओं के साथ जोड़ कर देखते हैं। फ़िल्म में जसबीर, जिन्हें जेनिस कहा जाता है, "दम मारो दम" गाती हैं। फ़िल्म के इस गाने को 70 के दशक का एक बड़ा हिट माना जाता है। इस गाने की अनूठी धुन वेलवेट अंडरग्राउंड (Velvet Underground) के संगीत के साथ मेल खाती है। बाद में इसे मेथड मैन (Method Man) ने अपने ट्रैक " वॉट्स हैपनिंग (What's Happenin')" में भी शामिल किया था।
रॉकस्टार (2011): 2011 में इम्तियाज़ अली द्वारा निर्देशित "रॉकस्टार (Rockstar)" ने, न केवल फ़िल्म प्रेमियों का दिल जीता, बल्कि कई लोगों को प्रेरित भी किया। यह फ़िल्म, जनार्दन (रणबीर कपूर) की कहानी कहती है। वह एक महत्वाकांक्षी संगीतकार होता है। जब उसकी प्रेमिका किसी और से शादी करने का फैसला करती है, तो उसका दिल टूट जाता है। अब वह, जॉर्डन (Jordan) नामक एक संगीतकार के रूप में अपने असली मकसद को खोजता है। यह फ़िल्म, जॉर्डन को एक आवारा लड़के से एक चहेते सितारे में बदलने की कहानी है।
रॉक ऑन।। (2008): 2008 में रिलीज़ हुई "रॉक ऑन।। (Rock On।।)" एक और शानदार म्यूज़िकल हिट (musical hit) है। आज भी यह फ़िल्म कई भारतीय युवाओं के दिलों पर राज करती है। इस फ़िल्म में चार दोस्तों की कहानी बताई गई है, जिसमें फ़रहान अख़्तर, मुख्य भूमिका में हैं। इस फ़िल्म में दोस्ती, रिश्तों और सपनों की अहमियत को उजागर किया गया है। इसे भारत के पहले रॉक और पॉप म्यूज़िकल (rock and pop musical) में से एक माना जाता है।
भारतीय सिनेमा की तरह, पश्चिमी संगीत भी वहां की अवाम के दिलों में बसा हुआ है। आइए अब हम भी कुछ लोकप्रिय संगीत आधारित पश्चिमी फ़िल्मों पर एक नज़र डालते हैं:
सेवन ब्राइड्स फ़ॉर सेवन ब्रदर्स (Seven Brides for Seven Brothers) - 1954 में स्टेनली डोनन (Stanley Donen) द्वारा निर्देशित "सेवन ब्राइड्स फ़ॉर सेवन ब्रदर्स (Seven Brides for Seven Brothers)" को फ़िल्म इतिहास में सबसे बेहतरीन नृत्य दृश्यों (dance scenes) में से एक माना जाता है। इस फ़िल्म की कहानी में कुछ ऐसे विषय शामिल हैं, जो आज के समय में विवादास्पद माने जा सकते हैं। लेकिन इसका संगीत और नृत्य की कोरियोग्राफ़ी अद्भुत है। फ़िल्म की मुख्य किरदार, मिली (Millie) - जेन पॉवेल (Jane Powell), जंगल में रहने वाले पुरुषों के एक समूह की देखभाल करती है। वह उन्हें, सज्जनों की तरह व्यवहार करना सिखाती है।
ओक्लाहोमा। (Oklahoma।) - 1955 में फ़्रेड ज़िनेमैन (Fred Zinnemann) द्वारा निर्देशित "ओक्लाहोमा। (Oklahoma।)" इसी नाम के स्टेज म्यूज़िकल (stage musical) पर आधारित है। इस फ़िल्म में रोजर्स (Rodgers) और हैमरस्टीन (Hammerstein) का संगीत है। इस फ़िल्म में लॉरी (Laurey) - (शर्ली जोन्स (Shirley Jones)) और कर्ली (Curly) - (गॉर्डन मैकरे (Gordon MacRae)) के बीच की केमिस्ट्री को फ़िल्म की सफलता का मुख्य कारण माना जाता है। इस फ़िल्म का रंगीन सेट और शानदार म्यूज़िकल नंबर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर देते हैं। इसके गाने भावनाओं से भरे हैं, जो लॉरी और कर्ली को एक-दूसरे के प्रति अपनी भावनाएं व्यक्त करने के लिए प्रेरित करते हैं। 1955 की यह फ़िल्म, आज भी एक क्लासिक बनी हुई है।
द वन एंड ओनली, जेनुइन, ओरिजिनल फ़ैमिली बैंड (The One and Only, Genuine, Original Family Band) - 1968 में माइकल ओ'हर्लिही (Michael O'Herlihy) द्वारा निर्देशित "द वन एंड ओनली, जेनुइन, ओरिजिनल फ़ैमिली बैंड (The One and Only, Genuine, Original Family Band)" एक राजनीतिक मोड़ के साथ एक पश्चिमी कहानी को पेश करती है। यह फ़िल्म, राजनीति में निष्पक्षता और अमेरिका के गठन के विषयों की खोज करती है।
द अनसिंकेबल मौली ब्राउन (The Unsinkable Molly Brown) - 1964 में चार्ल्स वाल्टर्स (Charles Walters) द्वारा निर्देशित "द अनसिंकेबल मौली ब्राउन (The Unsinkable Molly Brown)" उस महिला मौली (Molly) की कहानी है, जिसे टाइटैनिक (Titanic) फ़िल्म में दिखाया गया था। यह फ़िल्म, मौली के शुरुआती जीवन को दर्शाती है और बताती है कि कैसे वे और उनके पति गरीबी से उभरकर डेनवर के उच्च समाज का हिस्सा बन गए।
द बैलड ऑफ़ बस्टर स्क्रग्स (The Ballad of Buster Scruggs) - 2018 में जोएल और एथन कोएन (Joel and Ethan Coen) द्वारा निर्देशित "द बैलड ऑफ़ बस्टर स्क्रग्स (The Ballad of Buster Scruggs)" एक अनोखी संगीतमय फ़िल्म है। यह फ़िल्म, पश्चिम में हिंसा और कठोर व्यक्तिवाद जैसे परिचित विषयों की खोज करती है। इसकी कहानी को पुराने पश्चिम के समय में सेट की गई छोटी कहानियों के माध्यम से बताया गया है।

संदर्भ
https://tinyurl.com/23w9lnza
https://tinyurl.com/2xrgafzu
https://tinyurl.com/29cybnhb
https://tinyurl.com/2de2v3mv
https://tinyurl.com/nn2hclz

चित्र संदर्भ
1. अभिनेत्री रेखा द्वारा अभिनीत कालजयी (Timeless) फ़िल्म "उमराव जान" के संगीतमय नृत्य के दृश्य को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. बसबी बर्कली को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. एन अमेरिकन इन पेरिस फ़िल्म के पोस्टर को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे फ़िल्म के एक दृश्य को संदर्भित करता एक चित्रण (flickr)
5. रॉकस्टार फ़िल्म के नायक रणबीर कपूर और गायक मोहित चौहान को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)


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