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1995 88 2083

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जानिए इंटरनेट वेब ब्राउज़र्स के बारे में

लखनऊ

 28-09-2024 01:47 PM
संचार एवं संचार यन्त्र
लखनऊ में, आज इंटरनेट के विकास ने, लोगों के ऑनलाइन जुड़ने और विभिन्न सेवाओं तक, पहुंचने के तरीके को, बदल दिया है। आज, कई स्थानीय व्यवसाय, अधिक ग्राहकों तक पहुंचने के लिए, ऑनलाइन मार्केटिंग(Online marketing) का उपयोग करते हैं। जबकि, विद्यालय और कॉलेज, छात्रों को पढ़ाने के लिए, ई-लर्निंग (e-learning) की सहायता लेते हैं। साथ ही, हमारे शहर की समृद्ध संस्कृति, जिसमें, इसका इतिहास और भोजन भी शामिल हैं, जिन्हें सोशल मीडिया और वेबसाइटों पर, साझा किया जाता है। इससे पर्यटक आकर्षित होते हैं, और स्थानीय गौरव बढ़ता है। इस कड़ी में, आज हम, वर्ल्ड वाइड वेब (World Wide Web) से जुड़े, कई महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा करेंगे। हम, इसके आविष्कार का पता लगाएंगे और जानेंगे, कि इसने कैसे, सूचना पहुंचाने में, क्रांति ला दी है। हम सबसे पहले, लोकप्रिय वेब ब्राउज़र (Web browser) – मोज़ेक (Mosaic) को भी देखेंगे, और फिर सीईआरएन(CERN) के बारे में चर्चा करेंगे। अंत में, हम इंटरनेट और वर्ल्ड वाइड वेब के बीच, मौजूद अंतर के बारे में जानेंगे।
ब्रिटिश वैज्ञानिक – टिम बर्नर्स-ली(Tim Berners-Lee) ने, सीईआरएन मे काम करते हुए, 1989 में, वर्ल्ड वाइड वेब(WWW) का आविष्कार किया था। इस वेब की कल्पना और विकास, मूल रूप से दुनिया भर के विश्वविद्यालयों और संस्थानों में, वैज्ञानिकों के बीच, स्वचालित सूचना-साझाकरण की मांग क पूरा करने के लिए किया गया था।
टिम बर्नर्स-ली ने, वर्ल्ड वाइड वेब के लिए, पहला प्रस्ताव मार्च 1989 में, और अपना दूसरा प्रस्ताव, मई 1990 में लिखा था। बेल्जियम(Belgium) के सिस्टम इंजीनियर(System engineer) – रॉबर्ट कैलीयू(Robert Cailliau) के साथ मिलकर, इसे नवंबर 1990 में, प्रबंधन प्रस्ताव के रूप में, औपचारिक रूप दिया गया था। इस प्रस्ताव में, प्रमुख अवधारणाओं को रेखांकित किया गया था और इसने वेब के संदर्भ में, महत्वपूर्ण शब्दों को परिभाषित किया था। इस दस्तावेज़ में, “वर्ल्डवाइडवेब” नामक, एक “हाइपरटेक्स्ट दस्तावेज़ (Hypertext documents)” का वर्णन किया गया है। इसमें, “हाइपरटेक्स्ट दस्तावेज़ों” का एक “वेब”, “ब्राउज़र(Browsers)” द्वारा देखा जा सकता है।
1990 के अंत तक, टिम बर्नर्स-ली ने, अपने विचारों को प्रदर्शित करते हुए, सीईआरएन में, पहला वेब सर्वर और ब्राउज़र चालू किया था । उन्होंने, नेक्स्ट कंप्यूटर(NeXT computer) पर अपने वेब सर्वर के लिए, कोड(Code) भी विकसित किया। केवल कुछ उपयोगकर्ताओं के पास ही, नेक्स्ट कंप्यूटर तक पहुंच थी, जिस पर, पहला ब्राउज़र चलता था। लेकिन, जल्द ही, एक सरल ‘लाइन-मोड(Line-mode)’ ब्राउज़र पर इसका विकास शुरू हुआ, जो किसी भी, सिस्टम पर चल सकता था। इसे, निकोला पेलो(Nicola Pellow) ने सीईआरएन में, अपने छात्र कार्य के दौरान लिखा था। फिर 1991 में, बर्नर्स-ली ने, अपना WWW सॉफ़्टवेयर जारी किया, इसमें, ‘लाइन-मोड’ ब्राउज़र, वेब सर्वर सॉफ़्टवेयर और डेवलपर्स(Developers) के लिए, एक लाइब्रेरी शामिल थी। मार्च 1991 में, यह सॉफ़्टवेयर, कंप्यूटर का उपयोग करने वाले, सहकर्मियों के लिए भी उपलब्ध हो गया था ।
इस वेब के अलावा, मोज़ेक, पहला लोकप्रिय ग्राफ़िकल ब्राउज़र था। एनसीएसए मोज़ेक(NCSA Mosaic) इस तरह से सामने आया, कि तब किसी पिछले, ब्राउज़र की शुरुआत भी नहीं हुई थी। मोज़ेक, दो समस्याओं से निपटने के लिए, श्रेय का पात्र है। पहली, पहले के ब्राउज़रों को शुरू करने और चलाने में परेशानी होती थी। जबकि, मोज़ेक बहुत आसान था। दूसरी, मोज़ेक, पहला प्रकाशित ब्राउज़र था, जो स्वचालित रूप से पढ़ने के साथ-साथ, चित्रों को भी प्रदर्शित करता था। दिसंबर 1993 तक, इस ब्राउज़र की, 5,000 से अधिक, प्रतियां डाउनलोड की जा रही थीं । साथ ही, इसे चलाने वाले केंद्र को, एक सप्ताह में, सैकड़ों–हजारों पूछताछ ई–मेल प्राप्त हो रहे थे । मोज़ेक के कई उत्साही समर्थक, इसे नेटवर्क कंप्यूटिंग(Network computing) के पहले ‘किलर ऐप(Killer app)’ के रूप में देखते हैं। यह एप्लिकेशन प्रोग्राम, इतना अलग एवं उपयोगी था, कि यह शुरुआत से ही, एक नया उद्योग बन सकता था।
आइए अब सीईआरएन – CERN, के बारे में जानते हैं। सीईआरएन, यह नाम, ‘यूरोपियन काउंसिल फ़ॉर न्यूक्लियर रिसर्च(European Council for Nuclear Research)’ के संक्षिप्त नाम स लिया गया है। यह यूरोप में 1952 में स्थापित, एक विश्व स्तरीय मौलिक भौतिकी अनुसंधान निकाय है। उस समय, शुद्ध भौतिकी अनुसंधान, परमाणु के आंतरिक बनावट को समझने पर केंद्रित था। जबकि आज, पदार्थ के बारे में, हमारी समझ, नाभिक(Nucleus) से कहीं अधिक गहरी है। इसी कारण, आज, सीईआरएन के अनुसंधान का मुख्य क्षेत्र, कण भौतिकी – पदार्थ के मूलभूत घटकों और उनके बीच कार्य करने वाली शक्तियों का अध्ययन है। इस कारण से, सीईआरएन द्वारा संचालित प्रयोगशाला को, अक्सर ही, ‘कण भौतिकी के लिए यूरोपीय प्रयोगशाला’, के रूप में जाना जाता है।
सीईआरएन में, भौतिक विज्ञानी और इंजीनियर, ब्रह्मांड की मूलभूत संरचना की जांच कर रहे हैं। वे पदार्थ के मूल घटकों – मौलिक कणों के अध्ययन करने के लिए, दुनिया के सबसे बड़े और जटिल, वैज्ञानिक उपकरणों का उपयोग करते हैं। यह प्रयोगशाला, जिनेवा(Geneva) के पास, फ्रेंको-स्विस सीमा(Franco-Swiss border) पर स्थित है। यह, यूरोप के पहले, संयुक्त उद्यमों में से एक था और अब इसके 22 सदस्य देश हैं।
आज, दुनिया भर में, लाखों कंप्यूटर, एक ही विशाल नेटवर्क से जुड़े हुए हैं, जिसे ‘इंटरनेट’ कहा जाता है। इंटरनेट, तकनीकी रूप से, नेटवर्कों का एक नेटवर्क है। इंटरनेट पर, संचार के लिए, विस्तृत प्रोटोकॉल(Protocol) होते हैं। इंटरनेट पर, सबसे बुनियादी प्रोटोकॉल, इंटरनेट प्रोटोकॉल (आईपी – Internet Protocol) है। यह निर्दिष्ट करता है, कि डेटा को, एक कंप्यूटर से दूसरे कंप्यूटर में, भौतिक रूप से कैसे प्रसारित किया जाना है। दूसरा, प्रोटोकॉल, ट्रांसमिशन कंट्रोल प्रोटोकॉल (टीसीपी – Transmission Control Protocol) है। यह सुनिश्चित करता है कि, आईपी का उपयोग करके भेजा गया डेटा, संपूर्णता और त्रुटि रहित प्राप्त हो। इन दोनों प्रोटोकॉल, जिन्हें सामूहिक रूप से टीसीपी/आईपी कहा जाता है, जो संचार के लिए, एक आधार प्रदान करते हैं।
इंटरनेट पर, सभी संचार, पैकेट(Packets) के रूप में होते हैं। एक पैकेट में, कुछ डेटा होता है, जो एक कंप्यूटर से, दूसरे कंप्यूटर पर भेजा जाता है। साथ ही, यह उस जानकारी को संबोधित करता है,जो इंगित करती है, कि इंटरनेट पर, वह डेटा कहां जाना चाहिए। इंटरनेट, इससे जुड़े कंप्यूटरों को, कई सेवाएं प्रदान करता है। ये सेवाएं, इंटरनेट पर, विभिन्न प्रकार के डेटा भेजने के लिए, टीसीपी/आईपी का उपयोग करती हैं। इसकी सबसे लोकप्रिय सेवाओं में, इलेक्ट्रॉनिक मेल या ई–मेल, एफ़टीपी(FTP) और वर्ल्ड वाइड वेब हैं।
वर्ल्ड वाइड वेब, उन पेजों(Pages) पर आधारित है, जिनमें कई अलग-अलग प्रकार की, जानकारी के साथ-साथ, अन्य पेजों के लिंक भी हो सकते हैं। इन पृष्ठों या पेज को, फ़ायरफ़ॉक्स(Firefox) या इंटरनेट एक्सप्लोरर(Internet Explorer) जैसे, वेब ब्राउज़र प्रोग्राम के माध्यम से देखा जाता है। बहुत से लोग सोचते हैं कि, वर्ल्ड वाइड वेब ही इंटरनेट है। लेकिन, यह वास्तव में, इंटरनेट का एक ग्राफ़िकल यूजर इंटरफ़ेस(Graphical user interface) है। वेब ब्राउज़र से, आप जो पृष्ठ देखते हैं, वे दरअसल, फ़ाइलें(Files) होती हैं, जो इंटरनेट से जुड़े कंप्यूटरों पर संग्रहीत होती हैं। जब आप, अपने वेब ब्राउज़र को, एक पेज लोड करने के लिए कहते हैं, तो यह उस कंप्यूटर से संपर्क करता है, जिस पर, पेज संग्रहीत है। इसके बाद, हाइपरटेक्स्ट ट्रांसफ़र प्रोटोकॉल(HTTP) नामक प्रोटोकॉल का उपयोग करके, आपके कंप्यूटर पर स्थानांतरित किया जाता है। इंटरनेट की मदद से, किसी भी कंप्यूटर में वर्ल्ड वाइड वेब पर पेज प्रकाशित कर सकता है। जब आप, वेब ब्राउज़र का उपयोग करते हैं, तो आपके पास, आपस में जुड़ी हुई जानकारी के, विशाल संग्रह तक पहुंच होती है।

संदर्भ
https://tinyurl.com/nhf95eje
https://tinyurl.com/5n76ncce
https://tinyurl.com/3dv2taxz
https://tinyurl.com/z5n3t6cf

चित्र संदर्भ
1. लैपटॉप चलाती महिला को संदर्भित करता एक चित्रण (pexels)
2. 1990 में रॉबर्ट केलियो द्वारा बनाए गए WWW के "ऐतिहासिक" लोगो को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. एन सी एस ए मोज़ेक फ़ॉर एक्स के स्क्रीनशॉट को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. 1995 में SAMS पब्लिशिंग द्वारा प्रकाशित पुस्तक "प्लग-एन-प्ले मोज़ेक" के साथ आने वाली दो डिस्कों में से डिस्क 1 को संदर्भित करता एक चित्रण (flickr)
5. लोकप्रिय इंटरनेट वेब ब्राउज़रों की सूची को संदर्भित करता एक चित्रण (flickr)


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A. City Subscribers (FB + App) -This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post. Do note that any Prarang subscribers who visited this post from outside (Pin-Code range) the city OR did not login to their Facebook account during this time, are NOT included in this total.
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