डायनासोर जुरासिक पार्क आदि का नाम सुनते ही मन में एक अनूठा सा उत्साह दौड़ जाता है, और सामने हमारे डायनासोर पर बनी अंग्रेजी फिल्म का दृश्य कौंधिया जाता है। परन्तु यदि कहा जाए कि भारत में भी एक समय हजारों डायनासोर पाए जाते थे तो शायद ही आज की भौगोलिक स्थिति देख कोई यकीन कर पाएगा। परन्तु यह सत्य है कि भारत में कई प्रकार के डायनासोर पाए जाते थे तथा कईयों का नाम यहाँ के अनुसार ही रखा गया है जैसे राजासोरस, वृहतकायसोरस आदि। राजासोरस एक डायनासोर है जो लगभग 65-70 मिलियन वर्ष पूर्व क्रैटेसीस (Cretaceous) अवधि के दौरान पृथ्वी पर निवास करता था। यह पहली बार 1980 के दशक में भारत में नर्मदा नदी के पास खोजा गया था और बाद में 2003 में जैफ विल्सन ने इसका नामकरण किया था। इस डायनासोर का नाम "छिपकलियों का राजा" के आधार पर रखा गया था, राजासोरस लगभग 30 फीट लंबा और लगभग 10 फीट ऊँचा था तथा इसका वजन एक टन के करीब का था। यह बड़े जीवों का शिकार नहीं करता था क्यूंकि उनकी तुलना में यह काफी छोटा था परन्तु यह छोटे शावकों का शिकार किया करता था तथा पहले से ही मरे डायनासोरों को खाता था।
राजासोरस के बारे में एक दिलचस्प तथ्य यह है कि इसका सिर अलंकृत होता था। यह आकर्षक है क्योंकि उत्तरी अमेरिका में इस प्रकार के डायनासोर ने अपने सिर के ऊपर से यह अलंकरण खो दिया था क्योंकि वे अधिक उन्नत डायनासोर में विकसित हुए थे। यह उष्ण कटिबंधी शिकारियों के एक समूह का सदस्य था, जो कि उन भूमिगत स्थलों पर रहते थे जो कि अतिमहाद्वीप गोंडवाना का हिस्सा थे, जैसे अफ्रीका, भारत, मैडागास्कर और दक्षिण अमेरिका। एक समय ऐसा था जब लखनऊ व आस पास का हिस्सा राजासोरस के निवास स्थान के रूप में प्रयोग में लाया जाता था।
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