वर्तमान समय में हमारे पास ऐसे कई गीत मौजूद हैं, जिनमें हमें विभिन्न प्रकार की शैलियों का मिश्रण सुनाई देता है। लेकिन कुछ दशक पूर्व तक यह सामान्य नहीं था। कुछ ही संगीतकार ऐसे थे, जिन्होंने अपने संगीत में विभिन्न प्रकार की शैलियों का उपयोग किया और गीतों को बहुत ही मनमोहक बनाया। उन्हीं संगीतकारों में से एक नाम चरणजीत सिंह का है। चरणजीत सिंह, जो कि एक भारतीय संगीतकार थे, का जन्म 1940 में मुंबई में हुआ। उन्होंने 1960 से लेकर 1980 के दशक तक, कई बॉलीवुड साउंडट्रैक ऑर्केस्ट्रा (Bollywood soundtrack orchestras) में एक संगीतकार के रूप में कार्य किया, जिसमें उन्होंने अक्सर गिटारवादक या सिंथेसाइज़र (synthesizer) वादक की भूमिका निभाई। चरणजीत सिंह ने कई प्रसिद्ध फ़िल्म संगीतकारों जैसे शंकर-जयकिशन, आर.डी. बर्मन, एस.डी. बर्मन, लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल आदि के साथ भी काम किया। वे अपनी 1983 की एल्बम, ‘ सिनथेसाइज़िंग: टेन रागाज़ टू ए डिस्को बीट’ (Synthesizing: Ten Ragas to a Disco Beat) के लिए बहुत प्रसिद्ध हुए। इससे पहले, उन्होंने अपने संगीत में एसिड हाउस संगीत (acid house music), जो कि ‘हाउस संगीत’ की एक उप-शैली है, का भी उपयोग किया। इनमें उन्होंने, रोलेंड टीबी-303 (Roland TB-303) वाद्ययंत्र का मुख्य रूप से उपयोग किया। चरणजीत सिंह की इस एल्बम को, 2010 में, बॉम्बे कनेक्शन लेबल (Bombay Connection label) पर फिर से रिलीज़ किया गया। इस एल्बम को मूल रूप से भारतीय शास्त्रीय रागों को इलेक्ट्रॉनिक डिस्को संगीत के साथ मिश्रित करके बनाया गया था। इसमें उन्होंने, TR-808 ड्रम मशीन और TB-303 बास सिंथेसाइज़र (bass synthesizer) का उपयोग किया। कुछ संगीत पत्रकारों के अनुसार, यह शायद एसिड हाउस संगीत का सबसे पहला उदाहरण है। तो आज, आइए इस अनोखी एल्बम को सुनें और समझने की कोशिश करें कि एसिड हाउस संगीत कैसा लगता है। हम इस एल्बम से, ग्लास बीम्स (Glass Beams) द्वारा प्रस्तुत 'राग भैरव' (Raga Bhairav) का कवर भी देखेंगे। बेहतर अनुभव के लिए, हम 'राग मेघ मल्हार' का मंद गति वाला संस्करण भी सुनेंगे।
संदर्भ:
https://rb.gy/84gj3w
https://rb.gy/i2qp3r
https://rb.gy/yds40q
https://rb.gy/ra7qrz