रामपुर एक समय में रोहिलखंड की राजधानी हुआ करता था। परन्तु रामपुर के रोहिलखंड की राजधानी होने के पहले भी रोहिलखंड वजूद में था। रामपुर से करीब 72 किलोमीटर दूर बरेली जिले में स्थित आवंला रोहिलखंड की राजधानी हुआ करती थी। इस स्थान का नाम अधिक संख्या में पाए जाने वाले आवंले के पेड़ों के कारण ही आवंला पड़ा। रोहिलखंड के निर्माण के पहले भी यहाँ का एक ऐतिहासिक महत्व था। यह अहिक्षेत्र जो कि पंचाल की राजधानी थी के अत्यंत समीप बसा हुआ है जिससे यहाँ का ऐतिहासिक महत्त्व और भी प्राचीन हो जाता है।
आवंला में दिल्ली सल्तनत की टकसाल भी थी जो कि यहाँ की महत्ता को प्रदर्शित करती है। 500 वर्षो तक रुहेलों के आने से पूर्व आँवला कठेरिया राजपूतों का गढ़ हुआ करता था। दिल्ली के सुल्तान नासिरुद्दीन महमूद ने सन् 1254, बलवन और जलालुद्दीन खिलजी ने सन् 1291 और फिरोजशाह तुगलक ने सन् 1379 से 1385 के मध्य यहाँ पर बड़ी सेनाओं के साथ आक्रमण किया था। दुर्जनसिंह यहाँ के अन्तिम राजा थे। सन् 1730 में रुहेलों ने आँवला पर अधिकार किया। रुहेलों के अली मोहम्मद खाँ, बख्शी सरदार खाँ और अहमद खाँ यहाँ के नवाब हुए।
रुहेलों के शासन काल (1730-1774) में यहाँ 1700 मस्जिदें व 1700 कुएँ हुआ करते थे। उस समय दुनिया के सबसे खूबसूरत शहर बुखारा से इसकी तुलना की जाती थी। सन् 1774 में अंग्रेजों व अवध के नवाब ने मिलकर आँवला पर आक्रमण किया और पूरी तरह से इसे नष्ट कर दिया। सन् 1801 के बाद खण्डहरों पर वर्तमान शहर फिर से बसाया गया। सन् 1730 से 1774 तक आँवला रुहेलखण्ड रियासत की राजधानी रहा। यहाँ पर आज भी रोहिल्ला नवाबों की कब्रों को देखा जा सकता है।
1. https://www.royalark.net/India/rampur2.htm
2. http://shodhganga.inflibnet.ac.in/bitstream/10603/60796/12/12_chapter%206.pdf
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