लखनऊ वासियों, क्या आप जानते हैं कि, तमिल भाषा, दुनिया की सबसे पुरानी भाषाओं में से एक है। इसकी उत्पत्ति, लगभग 300 ईसा पूर्व में हुई थी। तमिल भाषा, न केवल भारत में, बल्कि, विश्व स्तर पर भी, अपनी समृद्ध सांस्कृतिक एवं भाषाई विरासत के लिए, एक विशेष स्थान रखती है। तो आइए, आज तमिल भाषा और इसकी उत्पत्ति के बारे में, विस्तार से जानें। इसके अलावा, हम इस बारे में बात करेंगे कि, अतिरनचंदा गुफ़ा मंदिर, ब्राह्मी लिपि से तमिल लिपि के विकास को, कैसे दर्शाता है। आगे, हम तमिल लिपि और उसकी विशेषताओं के बारे में चर्चा करेंगे। साथ ही, हम तमिल वर्णमाला की संरचना को समझने का प्रयास करेंगे। हम तमिल लिपि के व्यंजन, स्वर और संख्याओं के बारे में भी सीखेंगे। अंत में, हम इस लिपि के स्वरों की जटिलताओं पर भी, कुछ प्रकाश डालेंगे।
तमिल, द्रविड़ भाषा परिवार से संबंधित एक भाषा है। ये मुख्य रूप से, दक्षिण भारत और श्रीलंका के कुछ हिस्सों में बोली जाती है। द्रविड़ भाषा परिवार में, तमिल के अलावा, तेलुगु, कन्नड़ और मलयालम जैसी अन्य भाषाएं शामिल हैं। यह भाषा परिवार, उत्तरी भारत में बोली जाने वाली इंडो-आर्यन भाषाओं से अलग है। इस भाषा परिवार की अपनी अनूठी भाषाई विशेषताएं, व्याकरण और शब्दावली है।
तमिल की उत्पत्ति का पता, प्राचीन संगम काल से लगाया जा सकता है, जो लगभग 300 ईसा पूर्व से 300 ईस्वी तक चला था। यह युग, अपने समृद्ध साहित्य के लिए, जाना जाता है; जहां तमिल कविताओं और महाकाव्यों की रचना की गई थी, और उन्हें लिखे जाने से पहले, मौखिक रूप से प्रसारित किया गया था।
प्राचीन तमिल साहित्य, जिसे ‘संगम साहित्य’ के नाम से जाना जाता है, इस भाषा के प्रारंभिक चरणों में, अमूल्य अंतर्दृष्टि प्रदान करता है। इन ग्रंथों में कविताएं, महाकाव्य और दार्शनिक रचनाएं शामिल हैं, जो प्राचीन तमिल समाज के सामाजिक, सांस्कृतिक एवं राजनीतिक जीवन को दर्शाती हैं। गुफ़ाओं की दीवारों, मंदिरों और स्मारकों पर पाए गए शिलालेख, सदियों से ही, तमिल लिपि और भाषा के उपयोग के विकास पर प्रकाश डालते हैं।
इसके अतिरिक्त, क्या आप जानते हैं कि, अतिरनचंदा गुफ़ा मंदिर, ब्राह्मी लिपि से तमिल लिपि के विकास को दर्शाता है। यदि, आप इस स्मारक की ओर मुंह करके खड़े हैं, तो, आपके बाईं ओर का शिलालेख, संस्कृत में पल्लव-ग्रंथ में लिखा गया है। जबकि, दाहिनी ओर का शिलालेख, संस्कृत में नागरी लिपि में लिखा हुआ है। यह शिलालेख तमिलनाडु का, सबसे पुराना नागरी शिलालेख माना जाता है।
तमिल लिपि, ब्राह्मी लिपि से विकसित हुई है। लगभग 200 ईसा पूर्व में, तमिल, ‘ब्राह्मी वट्टा एज़ुथु’ नामक लिपि में विकसित हुई थी। बाद में, वट्टा एज़ुथु, आधुनिक तमिल लिपि में विकसित हुई। इस प्रकार, पल्लव काल के दौरान, संस्कृत के लिए पल्लव-ग्रंथ लिपि, तमिल के लिए वट्टा एज़ुथु लिपि के साथ, सह-अस्तित्व में थी।
आपको, गुफ़ा के सामने एक तीसरा शिलालेख भी दिखेगा। यह दरअसल, 10वीं शताब्दी का है, जब चोल राजाओं ने इस क्षेत्र पर शासन किया था। यह तमिल में लिखा गया है, तथा इसमें चोल राजा द्वारा इस मंदिर को दिए गए, दान का विवरण दर्ज है। इससे पता चलता है कि, 10वीं सदी तक, तमिल भाषा, कई वर्षों तक बदलने के बाद फिर से, यहां की अदालती भाषा बन गई थी।
अभिलेखशास्त्री अब जानते हैं कि, संस्कृत और तमिल, दो अलग-अलग जड़ों से विकसित हुईं हैं। लेकिन, तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व के आसपास, ये भाषाएं, ब्राह्मी लिपि में लिखी गईं थीं । ब्राह्मी, उत्तर भारत में नागरी लिपि में विकसित हुई थी, और बाद में, देवनागरी एवं अन्य उत्तर भारतीय लिपियों में विकसित हुई, जो आज उपयोग में हैं। इस बीच, दक्षिण भारत में, ब्राह्मी, आज प्रयोग में आने वाली तमिल लिपि में विकसित हुई।
तमिल लिपि (தமிழ் அரிச்சுவடி), एक अबुगिडा लिपि है। इसका उपयोग, तमिल भाषा लिखने के लिए, भारत, श्रीलंका, मलेशिया, सिंगापुर, इंडोनेशिया और अन्य जगहों पर किया जाता है। यह भारतीय गणराज्य की आधिकारिक लिपियों में से एक है। इसके अलावा, कुछ अल्पसंख्यक भाषाएं, जैसे सौराष्ट्र, बड़गा, इरुला और पनिया भी, तमिल लिपि में लिखी जाती हैं।
आज, तमिल लिपि में 12 स्वर (உயிரெழுத்து, “आत्म-अक्षर”); 18 व्यंजन (மெய்யெழுத்து, “शरीर-अक्षर”); तथा, एक विशेष वर्ण – ஃ (ஆய்த எழுத்து, आयथा एउत्तु) हैं। ஃ को “அக்கு” या ‘अक्कू’ कहा जाता है, और इसे तमिल शब्दावली में, न तो व्यंजन और न ही स्वर के रूप में, वर्गीकृत किया गया है। हालांकि, यह स्वर, वर्णमाला के अंत में सूचीबद्ध है। इस प्रकार, तमिल लिपि वर्णानुक्रमिक न होकर, अक्षरात्मक है, और यह बाएं से दाएं लिखी जाती है।
तमिल वर्णमाला के स्वर और व्यंजन मिलकर, 216 मिश्रित वर्ण बनाते हैं। इससे, कुल 247 वर्ण (12 + 18 + 1 + (12 × 18)) मिलते हैं। अन्य भारतीय लिपियों की तरह, इस लिपि के सभी व्यंजनों में एक अंतर्निहित स्वर होता है। इस अंतर्निहित स्वर को, व्यंजन चिह्न में ‘पुल्ली’ नामक शीर्षक जोड़कर हटा दिया जाता है। उदाहरण के लिए, ‘ன’, ‘ना’ है, और ‘ன்’, ‘न’ है। कई भारतीय लिपियों में, एक समान संकेत होता है, जिसे आम तौर पर, ‘विराम’ कहा जाता है। लेकिन, तमिल लिपि कुछ अलग है, क्योंकि, यह ‘मृत व्यंजन’ (स्वर के बिना एक व्यंजन) को इंगित करने के लिए, लगभग हमेशा ही, एक दृश्य पुल्ली का उपयोग करती है।
तमिल लिपि को तीन मुख्य श्रेणियों में व्यवस्थित किया गया है – पहली, व्यंजन, दूसरी, स्वर और तीसरी संख्या । प्रत्येक श्रेणी, शब्द और वाक्य बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
1. व्यंजन (உயிரெழுத்துக்கள்): तमिल में, व्यंजन, ध्वनि का प्रतिनिधित्व करने वाली मूल इकाइयां हैं, जिन्हें, आमतौर पर, किसी शब्दांश को पूरा करने के लिए, एक स्वर की आवश्यकता होती है। इनके उदाहरणों में, க (क), ச (च), ட (त) इत्यादि शामिल हैं।
2. स्वर (மெய்யெழுத்துக்கள்): तमिल में, स्वर, अलग-अलग स्वर ध्वनियों का प्रतिनिधित्व करने वाले वर्ण हैं। इनका स्वतंत्र रूप से, या व्यंजन के साथ जोड़कर, शब्दांश बनाने के लिए, उपयोग किया जा सकता है। इनके उदाहरणों में, அ (ए), இ (ई) इत्यादि शामिल हैं।
3. संख्या (எண்கள்): तमिल लिपि में, तमिल अंकों के लिए, अद्वितीय अक्षर शामिल हैं, जो संख्यात्मक मूल्यों के प्रतिनिधित्व को सक्षम करते हैं। इनके उदाहरणों में, ௧ (1), ௨ (2), ௩ (3) इत्यादि शामिल हैं।
तमिल स्वर प्रणाली: तमिल स्वर, अनूठे वर्ण हैं, जो विशिष्ट स्वर ध्वनियों का प्रतिनिधित्व करते हैं। कुछ अन्य लिपियों के विपरीत, जहां स्वरों को विशेषक या संशोधक के साथ दर्शाया जा सकता है, तमिल स्वर स्वतंत्र इकाइयां हैं।
इसके अलावा, तमिल स्वरों को, उनकी अवधि के आधार पर, लघु और दीर्घ स्वरों में वर्गीकृत किया जाता है। जबकि, लंबे स्वरों को, इन स्वर वर्णों को दुगना करके दर्शाया जाता है। साथ ही, तमिल लिपि में, संयुक्त स्वर भी शामिल होते हैं। ये एक ही शब्दांश में उच्चारित, दो स्वरों का संयोजन होते हैं।
उदाहरण और चित्रण:
लघु स्वर:
அ (अ) – जैसे – அம்மா (अम्मा),
இ (इ) – जैसे कि, இல் (इल), एवं
உ (उ) – जैसे कि, உடை (उड़ाई)।
दीर्घ स्वर:
ஆ (अ) – जैसे – ஆடு (अडू),
ஈ (इ) – जैसे कि, ஈர் (ईर), एवं
ஊ (उ) – जैसे कि, ஊடு (उड़ू)।
संदर्भ
https://tinyurl.com/rec5e7ss
https://tinyurl.com/mr434a5m
https://tinyurl.com/3w9cmbed
https://tinyurl.com/24cxp3a9
चित्र संदर्भ
1. अतिरनचंदा गुफ़ा मंदिर को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. तमिलनाडु के विल्लुपुरम ज़िले में, प्रारंभिक तमिल संगम युग (लगभग 400 ईसा पूर्व) के तमिल ब्राह्मी शिलालेख को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. तमिलनाडु के मदुरई ज़िले के एक गाँव, मंगुलम, में स्थित, तमिल ब्राह्मी शिलालेख को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. तमिल भाषा के विकास को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)