क्या आप जानते हैं कि, लखनऊ में कई किसान, एक अमेरिकी कैंडी और च्यूइंग गम कंपनी(Candy and chewing gum company) – रिगली (Wrigley), के लिए, अनुबंध आधार पर, पुदीने की खेती कर रहे हैं। ‘अनुबंध खेती (Contract Farming)’, उत्पादक (किसान या किसान संगठन) और खरीदारों (निर्यातकों या प्रसंस्करण इकाइयों) के बीच, उपज की कीमत, गुणवत्ता और मात्रा पर पारस्परिक रूप से सहमत, एक समझौता होता है। फ़सल कटाई के बाद, उस उत्पाद का आदान-प्रदान किया जाता है। तो आइए, आज अनुबंध खेती और इसके महत्व के बारे में, विस्तार से जानें। आगे, हम अनुबंध खेती के विभिन्न मॉडलों पर भी चर्चा करेंगे। हम यह भी समझने की कोशिश करेंगे कि, अनुबंध खेती, भारत के किसानों के लिए फ़ायदेमंद है या नहीं है। अंत में, हम ‘शुभ पुदीना पहल’ के बारे में बात करेंगे, जो हमारे राज्य उत्तर प्रदेश के किसानों, खासकर, बाराबांकी और लखनऊ ज़िलों में, पुदीना उत्पादन के लिए, रिगली कंपनी द्वारा एक अनुबंध खेती पहल है।
अनुबंध खेती को, खरीदार और किसानों के बीच, एक समझौते के अनुसार किए गए, कृषि उत्पादन के रूप में परिभाषित किया जा सकता है। यह खेती, कृषि उत्पाद या उत्पादों के उत्पादन, और विपणन के लिए, आवश्यक स्थितियां स्थापित करती हैं। अनुबंध खेती में, किसान, आम तौर पर, एक विशिष्ट कृषि उत्पाद की मात्रा प्रदान करने के लिए, सहमत होता है। इन्हें क्रेता के गुणवत्ता मानकों को पूरा करना चाहिए, और क्रेता द्वारा निर्धारित समय पर, उत्पाद की आपूर्ति भी की जानी चाहिए। बदले में, खरीदार, उत्पाद खरीदने एवं कुछ मामलों में, कृषि साधनों की आपूर्ति, भूमि की तैयारी और तकनीकी सलाह के प्रावधान के माध्यम से, उत्पादन का समर्थन करने के लिए प्रतिबद्ध होता है।
अनुबंध खेती का महत्व:
1.) अनुबंध खेती से, कृषि-उत्पादकों के साथ-साथ, कृषि-प्रसंस्करण कंपनियों को भी लाभ होने की उम्मीद होती है।
2.) यह खेती, छोटे पैमाने की खेती को प्रतिस्पर्धी बनाती है। छोटे किसान, लेनदेन लागत को कम करते हुए, प्रौद्योगिकी, ऋण तथा विपणन मार्गों एवं जानकारी तक पहुंच सकते हैं।
3.) उत्पादकों को उनकी उपज के लिए, एक सुनिश्चित बाज़ार मिलता है। इससे विपणन और लेनदेन लागत कम हो जाती है।
4.) यह खेती, उत्पादन, कीमत और विपणन लागत के जोखिम को कम करती है।
5.) अनुबंध खेती से, नए बाज़ार खुल सकते हैं, जो अन्यथा छोटे किसानों के लिए अनुपलब्ध होंगे।
6.) अनुबंध खेती, किसानों को बेहतर गुणवत्ता का उच्च उत्पादन, नकद और/या वस्तु के रूप में, वित्तीय सहायता और तकनीकी मार्गदर्शन भी सुनिश्चित करती है।
7.) कृषि-प्रसंस्करण स्तर के मामले में, यह, गुणवत्ता, सही समय और कम लागत पर, कृषि उपज की निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित करती है।
अनुबंध खेती के विभिन्न मॉडल:
•केंद्रीकृत मॉडल
इसमें, कई छोटे किसानों से, खरीद करने वाला, एक केंद्रीकृत प्रक्रमक और/या पैकर शामिल होता है। वृक्ष फ़सलों, वार्षिक फ़सलों, मुर्गीपालन व डेयरी जैसे उत्पादों के लिए, इस मॉडल का उपयोग किया जाता है। इन उत्पादों को, अक्सर ही, उच्च स्तर के प्रसंस्करण की आवश्यकता होती है, जैसे कि, चाय या सब्ज़ियां । ऐसे उत्पादन में, प्रायोजकों की भागीदारी न्यूनतम निवेश प्रावधान से लेकर, अधिकतम निवेश तक, भिन्न होती है। यहां प्रायोजक, अधिकांश उत्पादन पहलुओं पर नियंत्रण रखता है।
•न्यूक्लियस एस्टेट मॉडल(Nucleus Estate Model)
यह केंद्रीकृत मॉडल का ही एक रूप है, जहां प्रायोजक, एक केंद्रीय संपत्ति या बागान का प्रबंधन करता है। केंद्रीय संपत्ति का उपयोग, आमतौर पर, प्रसंस्करण संयंत्र और प्रवाह क्षमता की गारंटी के लिए किया जाता है। लेकिन, कभी-कभी इसका उपयोग, केवल अनुसंधान या प्रजनन उद्देश्यों के लिए भी किया जाता है। न्यूक्लियस एस्टेट मॉडल में, सामग्री और प्रबंधन निवेश का महत्वपूर्ण प्रावधान भी शामिल होता है। इसका उपयोग, अक्सर ही, पुनर्वास या स्थानांतरण योजनाओं के साथ किया जाता है।
•बहुपक्षीय मॉडल
इस प्रकार के मॉडल में, विभिन्न प्रकार के संगठन शामिल हो सकते हैं, जिनमें, अक्सर वैधानिक निकाय भी शामिल होते हैं। यह, किसानों को सहकारी समितियों में संगठित करने या किसी वित्तीय संस्थान की भागीदारी के माध्यम से, केंद्रीकृत या न्यूक्लियस एस्टेट मॉडल में विकसित हो सकता है।
•अनौपचारिक मॉडल
इसमें व्यक्तिगत उद्यमियों या छोटी कंपनियों की विशेषता है। इस मॉडल में, आमतौर पर, मौसम के आधार पर, अनौपचारिक उत्पादन अनुबंध शामिल होते हैं। साथ ही, इसमें अक्सर, अनुसंधान और विस्तार जैसी सरकारी सहायता सेवाओं की आवश्यकता होती है। जबकि, ऐसे मॉडल में, अतिरिक्त-अनुबंधात्मक विपणन का अधिक जोखिम शामिल है।
•मध्यस्थ मॉडल
मध्यस्थ मॉडल में, किसानों से लेकर, बिचौलियों तक, उप ठेकेदारी संबंधों में, प्रायोजक शामिल होते हैं। इसमें, यह खतरा है कि, प्रायोजक, उत्पादन और गुणवत्ता के साथ-साथ, किसानों द्वारा प्राप्त कीमतों पर नियंत्रण खो देता है।
यहां प्रश्न उठता है कि, क्या अनुबंध खेती भारतीय किसानों के लिए अच्छी है? यदि अनुबंध खेती अच्छी तरह से अपनाई जाए, तो यह भारतीय किसानों के लिए एक बड़ा वरदान साबित हो सकती है। लगभग 86% भारतीय किसान, छोटे और सीमांत हैं। अनुबंध खेती, इन किसानों को एक साथ ला सकती है, और उन्हें एक विशिष्ट गुणवत्ता वाली कृषि वस्तु का उत्पादन करने का मौका देती है।
अनुबंध खेती के कुछ लाभ नीचे सूचीबद्ध हैं:
1.) यदि वस्तु, आवश्यक गुणवत्ता विनिर्देश के अंतर्गत है, तो खरीदार द्वारा, कृषि उपज की खरीदारी की गारंटी मिलती हैं।
2.) किसानों के पास प्रबंधकीय, तकनीकी और विस्तार सेवाओं की एक विस्तृत श्रृंखला तक पहुंच होती है, जो अन्यथा अप्राप्य हो सकती है।
3.) छोटे और सीमांत किसानों द्वारा भी, प्रौद्योगिकी को अपनाया जाता हैं।
4.) यह जोखिम मुक्त खेती होती है, और सभी जोखिमों को, फ़सल बीमा के अंतर्गत रखा जाता है। साथ ही, उत्पाद को वापस खरीदने की गारंटी दी जाती है।
5.) कौशल और ज्ञान हस्तांतरण से यह कृषि, अधिक वैज्ञानिक बनती है।
6.) अंततः, किसानों की आय बढ़ती है, और उनका सामाजिक-आर्थिक उत्थान हो सकता है।
हालांकि, अनुबंध खेती से संबंधित कुछ समस्याएँ भी हैं। जैसा कि कहा जाता है, एक सिक्के के हमेशा ही, दो पहलू होते हैं।
अनुबंध खेती के सभी लाभों पर प्रकाश डालने के साथ, कुछ समस्याएँ पर प्रकाश डालना भी आवश्यक है।
1.) किसानों से अनुबंध खेती कराने के लिए, कंपनी का चयन बहुत सावधानी से करना होगा। कई कंपनियां, किसानों के साथ अनुबंध करती हैं, लेकिन, कृषि उत्पाद वापस न खरीदकर, उन्हें तोड़ देती हैं।
2.) किसानों को सिखाया जाना चाहिए कि, कंपनी की विश्वसनीयता कैसे जांची जाए।
3.) यह अक्सर देखा जाता है कि, किसान कंपनियों के साथ अनुबंध के तहत आते हैं, और ऐसी वस्तु उगाने के लिए उत्तरदायी हो जाते हैं, जो उनकी विशेषज्ञता से बाहर है। उनकी विशेषज्ञता के अनुसार, फ़सल का चयन करना महत्वपूर्ण है।
4.) अनुबंध खेती तंत्र में, सरकार की भागीदारी धीरे-धीरे कम हो गई है। यह किसानों के लिए खतरा है, क्योंकि, निजी संस्थाओं द्वारा उनका शोषण किया जा सकता है।
5.) किसानों को, बौद्धिक संपदा अधिकारों के महत्व के बारे में पता होना चाहिए। किसानों को उनके द्वारा पेटेंट की गई किस्म की जानकारी होनी चाहिए।
फिर भी, हमारे पास एक सफ़ल पहल का उदाहरण है। मार्स रिगली (Mars Wrigley) द्वारा, भारत में, पुदीने के लिए, किसानों से अनुबंध खेती कराई जा रही है। हमारे उत्तर प्रदेश राज्य में, एग्रीबिज़निस सिस्टम्स इंटरनेशनल(Agribusiness Systems International), किसानों को, उनकी पुदीने की फ़सल को बेहतर बनाने में, मदद करने के लिए, मार्स रिगली कन्फेक्शनरी के साथ, साझेदारी कर रहा है। मार्स रिगली, एक्स्ट्रा च्यूइंग गम(Extra chewing gum) और अल्टोइड्स मिंट(Altoids mints) जैसे प्रसिद्ध उत्पादों का निर्माता है।
इस परियोजना को, ‘शुभ पुदीना पहल(Shubh Mint Initiative)’ के रुप में जाना जा रहा हैं। इस कार्यक्रम के तहत, एग्रीबिज़निस सिस्टम्स, किसानों को अच्छी कृषि पद्धतियों में प्रशिक्षित कर रहा है। प्रथम वर्ष की परीक्षण अवधि के दौरान, एग्रीबिज़निस सिस्टम्स ने, 68 गांवों में, 2,645 पुदीने के किसानों को प्रशिक्षित किया। इस संस्था ने, किसानों को रोपण सामग्री तक बेहतर पहुंच प्रदान की और महिला सशक्तिकरण कार्यक्रमों के माध्यम से, उनके समुदायों का समर्थन किया। किसानों को पौधे लगाने के लिए, कीट और ‘रोग-प्रतिरोधी पुदीना जड़ स्टॉक’ प्राप्त हुआ, और उचित उर्वरक उपयोग निर्धारित करने के लिए, मिट्टी का परीक्षण भी किया गया। एक साल बाद, इन किसानों ने, अपनी पुदीने की पैदावार में, औसतन 68% की वृद्धि की ।
इस पहल का लक्ष्य, बाराबांकी और लखनऊ ज़िलों में, 22,000 किसानों तक पहुंचना है, जिसमें महिला किसानों के समूहों को सुविधा प्रदान करना शामिल है। इस साझेदारी के माध्यम से, भारत के किसानों को, स्थायी और विश्वसनीय आय प्राप्त होगी, जिससे वे और उनके समुदाय, भविष्य के आर्थिक या पर्यावरणीय तनावों के प्रति अधिक लचीला बनेंगे।
संदर्भ
https://tinyurl.com/25uumtxc
https://tinyurl.com/357wne7s
https://tinyurl.com/yt2n2s68
https://tinyurl.com/mv39vmem
चित्र संदर्भ
1. पुदीने की क्यारी को संदर्भित करता एक चित्रण (Rawpixel)
2. एक महिला किसान को संदर्भित करता एक चित्रण (Rawpixel)
3. खेत जोतते किसान को संदर्भित करता एक चित्रण (PixaHive)
4. मिर्च की फ़सल के साथ महिला किसानों को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. पुदीने के पत्ते तोड़ते किसान को संदर्भित करता एक चित्रण (PixaHive)