Post Viewership from Post Date to 24-Aug-2024 (31st Day)
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
1819 140 1959

***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions

लखनऊ की सर्दियों जैसी मौसम स्थितियां, गुलाब के पौधों के लिए होती हैं आदर्श

लखनऊ

 24-07-2024 09:46 AM
निवास स्थान

सर्दियों के समय हमारे शहर लखनऊ का मौसम, गुलाब उगाने के लिए बिल्कुल उपयुक्त होता है। दरअसल, गुलाब को अच्छी तरह से विकसित होने के लिए, दिन में कम से कम छह घंटों की उचित धूप आवश्यक होती है। कुछ गुलाब ऐसे होते हैं, जो थोड़ी छाया के साथ भी जीवित रह सकते हैं। लेकिन, फिर वे शायद ही कभी अपनी पूरी क्षमता तक उत्पादन कर पाएं। आज इस लेख में, हम गुलाबों; उनके उत्पत्तिस्थान; तथा उनके उत्तम विकास के लिए, उनकी पानी और मिट्टी की आवश्यकताओं के बारे में चर्चा करेंगे। साथ ही, हम जानेंगे कि, क्या उन्हें रेगिस्तानों में उगाया जा सकता है? आगे, हम कैक्टस के बारे में भी जानेंगे।
वास्तव में, गुलाब चीन(China) के मूल पौधे हैं। लेकिन, अब इन्हें दुनिया भर में उगाया जाता है। गुलाब अच्छी धूप व जल निकासी वाली मिट्टी में पनपते हैं। उनके लिए, विशेष रूप से, चिकनी मिट्टी सबसे अच्छी होती है । गुलाब को अन्य पौधों से दूर उगाना, एक सबसे अच्छा तरीका है, ताकि, उनकी जड़ों को मिट्टी में फैलने में कोई परेशानी न हों। यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि, गुलाब जैसे संकरित फूल, आज विभिन्न परिस्थितियों के लिए अधिक अनुकूल हो गए हैं।
मिट्टी, तापमान और आसपास के पौधे, यह प्रभावित करते हैं कि, गुलाब के पौधे को कितने पानी की आवश्यकता होगी। समशीतोष्ण जलवायु में, इन पौधों को साप्ताहिक तौर पर पानी देना, आमतौर पर पर्याप्त होता है, और प्रति सप्ताह इन्हें दो इंच पानी की आवश्यकता हो सकती है। यदि मिट्टी रेतीली है, या फिर बगीचा गर्म, शुष्क या तेज़ हवा वाला है, तो अधिक आवृत्ति पर पानी देना आवश्यक हो सकता है। परंतु, अगर मिट्टी में बहुत अधिक नमी है, तो सावधान रहें, इन पौधों को अधिक पानी न डालें, क्योंकि, बहुत अधिक पानी जड़ों के सड़न को बढ़ावा दे सकता है।
गहरी जड़ प्रणाली प्राप्त करने के लिए, आपके पौधों की सबसे अच्छी देखभाल, गहराई से पानी देना है। ऊपर से हल्के पानी देने से, जड़ें उथली हो जाएंगी, जिससे, पौधा गर्मी और सर्दी के प्रभाव के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाएगा। इसलिए, धीरे-धीरे और गहराई से पानी दें।
पानी कब देना है, यह जानने के लिए, अपनी उंगली से मिट्टी का परीक्षण करें। यदि आपकी उंगली पूरी तरह से सूखी होती है, तो आपके पौधों को अधिक पानी की आवश्यकता है। यदि उंगली गंदी है, तो वहां बहुत अधिक पानी हो सकता है, या पर्याप्त जल निकासी का अभाव हो सकता है। बहुत अधिक पानी देने का एक अन्य संकेतक, नरम पत्तियों का पीला पड़ना है। जबकि, सूखी और कुरकुरी पीली पत्तियां अपर्याप्त पानी का संकेत दे सकती हैं। यदि, मिट्टी नम है, तो यह संकेत देगा कि, पानी देना सही है।
आमतौर पर, गुलाब के पौधे अधिक ऊंचाई (1500 मीटर और अधिक) के लिए उपयुक्त है। परंतु, इन्हें मैदानी इलाकों में भी, क्षार रहित सिंचाई जल वाली, उपजाऊ दोमट मिट्टी की आदर्श स्थिति में उगाया जा सकता है। गुलाब उगाने के लिए, आदर्श जलवायु का तापमान न्यूनतम 15° सेल्सियस और अधिकतम 28° सेल्सियस होना चाहिए। जैसा कि हमने पढ़ा है, प्रकाश एक महत्वपूर्ण कारण है, जो इन पौधों का विकास निर्धारित करता है। दिन की 12 घंटों से कम लंबाई, भारी बादल छाए रहने एवं बादल या धुंध की स्थिति के कारण, इनका विकास धीमा हो जाता है। उच्च सापेक्ष आर्द्रता, पौधे को गंभीर कवक रोगों के संपर्क में लाती है।
दरअसल, गुलाब का पौधा कांटे युक्त होता है। ऐसी वनस्पतियां, ज़्यादातर रेगिस्तानों में पाई जाती है। अतः हमारे मन में प्रश्न उठ सकता है कि, क्या रेगिस्तान में गुलाब उग सकते हैं? वास्तव में इसका उत्तर ‘नहीं’ है। गुलाब रेगिस्तानी इलाकों में प्राकृतिक रूप से जीवित नहीं रहते हैं। उनकी धूप, पानी और जलवायु की आवश्यकताएं, औसत रेगिस्तानी स्थितियों से बहुत अलग हैं। ठंडी जलवायु वाली प्रजातियां होने के कारण, रेगिस्तानी गर्मी और कठोर परिस्थितियां उनके विकास और अस्तित्व में मदद नहीं करती हैं।
परंतु रेगिस्तानों में कांटो वाला एक अन्य पौधा भी पाया जाता है। वह कैक्टस(Cactus) है। इस पौधे के विभिन्न प्रकार होते हैं। अधिकतर कैक्टस पर कांटे होते हैं, और उनमें फूल व फल नहीं होते हैं। परंतु, तथ्य यह भी है कि, कैक्टस, फूल वाले पौधे हैं। लेकिन, कुछ कैक्टस के फूलों का खिलना, दूसरों की तुलना में आसान होता है। अधिकतर कैक्टस हालांकि, प्रमुख रूप से खिलते हैं, या ऐसा तब होता है, जब इन्हें बाहर या सटीक परिस्थितियों में उगाया जाए ।
नवीन विकास पर कैक्टस अच्छे से फूलता है। इसलिए, यदि आपका कैक्टस पौधा साल-दर-साल अपरिवर्तित रहता है, तो इसमें फूल आने की संभावना बहुत कम है। ऐसी स्थिति में पौधे को अपने प्राकृतिक विकास चक्र का पालन करने दें। इसे सर्दियों में सुप्त , और फिर, वसंत ऋतु में विकसित होना चाहिए। इसलिए, इसे सर्दियों में कहीं प्रकाशमान सूखी और ठंडी जगह पर रखें, और पानी देना बंद कर दें। वसंत ऋतु में इसे जितना संभव हो सके, उतनी धूप दें, और पानी देना भी शुरू करें।

संदर्भ
https://tinyurl.com/yte29yb6
https://tinyurl.com/3k6csdya
https://tinyurl.com/y448n98z
https://tinyurl.com/mr47tuxs

चित्र संदर्भ
1. लखनऊ के चारबाग रेलवे स्टेशन और एक गुलाब के पौधे को दर्शाता चित्रण (wikimedia, Pexels)
2. हीलियौगबलस के गुलाब नामक ऑइल पेंटिंग को संदर्भित करता एक चित्रण (worldhistory)
3. गुलाब के पौधे को संदर्भित करता एक चित्रण (Peakpx)
4. बगीचे में गुलाबों को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. कैक्टस को संदर्भित करता एक चित्रण (PICRYL)



***Definitions of the post viewership metrics on top of the page:
A. City Subscribers (FB + App) -This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post. Do note that any Prarang subscribers who visited this post from outside (Pin-Code range) the city OR did not login to their Facebook account during this time, are NOT included in this total.
B. Website (Google + Direct) -This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership —This is the Sum of all Subscribers(FB+App), Website(Google+Direct), Email and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion ( Day 31 or 32) of One Month from the day of posting. The numbers displayed are indicative of the cumulative count of each metric at the end of 5 DAYS or a FULL MONTH, from the day of Posting to respective hyper-local Prarang subscribers, in the city.

RECENT POST

  • गणेश चतुर्थी विशेष: गणेश जी का हाथी स्वरुप है कई संस्कृतियों में भाग्य का प्रतीक
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     07-09-2024 09:19 AM


  • मैन रे थे, यशवंत राव होलकर द्वितीय, और उनकी पत्नी संयोगिताबाई के खास फ़ोटोग्राफ़र
    द्रिश्य 1 लेंस/तस्वीर उतारना

     06-09-2024 09:26 AM


  • नगर नियोजन और लखनऊ की विक्टोरिया स्ट्रीट के डिज़ाइन में सर पैट्रिक गेडेस के विचार
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     05-09-2024 09:33 AM


  • प्राकृतिक कच्चे रत्नों से बने आभूषण पहनने से होते हैं कई लाभ
    म्रिदभाण्ड से काँच व आभूषण

     04-09-2024 09:19 AM


  • भारतीय पुलिस सेवा की भूमिका और इसकी संरचना का विस्तृत अवलोकन
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     03-09-2024 09:24 AM


  • अतिरनचंदा गुफ़ा मंदिर, कैसे दर्शाता है, वर्तमान तमिल भाषा का इतिहास व विकास
    ध्वनि 2- भाषायें

     02-09-2024 09:20 AM


  • आइए जानें, जापान के कुछ सबसे लोकप्रिय एनिमे स्टूडियोज़ के बारे में
    द्रिश्य 3 कला व सौन्दर्य

     01-09-2024 09:32 AM


  • लखनऊ व बाराबांकी ज़िलों में, रिगली कंपनी ने चलाई है, अनुबंध खेती की शुभ पुदीना पहल
    भूमि प्रकार (खेतिहर व बंजर)

     31-08-2024 09:15 AM


  • गंध की असाधारण क्षमता होती है शार्क एवं अन्य मछलियों में
    व्यवहारिक

     30-08-2024 09:19 AM


  • वातावरण को अपनी सुगंध से महका देते हैं ये फूलों वाले पेड़
    पेड़, झाड़ियाँ, बेल व लतायें

     29-08-2024 09:40 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id