City Subscribers (FB+App) | Website (Direct+Google) | Total | ||
1902 | 120 | 2022 |
***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions
लखनऊ के नवाबों की नवाबी, संगीत की मधुर तानों के बिना कहां मुकम्मल होती है। आज आधुनिक संगीत यंत्रों के प्रचलन के बावजूद भी, नवाबों की इस नगरी के कई घरों की शामें पारंपरिक संगीत की धुनों से गुंजयमान रहती हैं। संगीत भी ऐसा कि शहर की गलियों से गुजर रहा मुसाफ़िर भी स्तब्ध होकर सुनता रह जाए। एक प्रसिद्ध पश्चिमी विचारक, हर्बर्ट रीड (Herbert Reed) ने एक बार कहा था, "सभी कलाएँ हमें संगीत की ओर ही ले जाती हैं।" मनुष्य अपने आस-पास के वातावरण से गहराई से जुड़े होते हैं। दिन, रात, सुबह, शाम, ऋतुएँ, प्रकृति, बादल, गरज, बिजली और चंद्रमा जैसे विभिन्न तत्व हमारी चेतना को प्रभावित कर सकते हैं और हमारी मनोदशा को निर्धारित कर सकते हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि ऊपर दिए गए तत्व एव भारतीय शास्त्रीय संगीत में प्रचलित राग बड़ी ही गहराई से आपस में जुड़े हुए हैं, तथा जीवन और अनुभव की विविधता को दर्शाते हैं। पारंपरिक रूप से भारतीय संगीत को केवल गाया नहीं जाता बल्कि इसका निर्माण किया जाता है और एक अच्छे संगीत का निर्माण "रागों" के बिना अधूरा माना जाता है। आज के इस लेख में हम इन्हीं रागों की विशेषताओं को समझेंगे।
भारतीय शास्त्रीय संगीत, रागों की अवधारणा पर आधारित है। राग हमारे मन की विशिष्ट भावनाओं और मनोदशाओं को जागृत करने के लिए डिज़ाइन(design) किए गए संगीत नोटों की अनूठी व्यवस्था है। संस्कृत में, "राग" का अर्थ “कुछ ऐसा जो आपके मन को रंग देता है।", होता है। रागों में खुशी और उदासी से लेकर प्रेम लीला और भक्ति जैसी सभी भावनाएँ पैदा कर देने की शक्ति होती है।
प्रत्येक राग के अपने नियम और विशेषताएँ होती हैं, जिनमें शामिल हैं:
- राग में केवल विशिष्ट नोटों की अनुमति होती है।
- राग अपने सबसे महत्वपूर्ण नोटों को परिभाषित करता है, जिन्हें वादी और संवादी के रूप में जाना जाता है।
- यह सुधार के लिए प्रमुख वाक्यांशों को परिभाषित करता है।
- राग अपनी मनोदशा और गति भी निर्धारित करता है, कुछ स्वाभाविक रूप से धीमे और शांत होते हैं, जबकि अन्य में तेज़ गति वाले स्वर होते हैं।
किसी भी कलाकार के लिए राग का सही ढंग से अभ्यास करने और सौंदर्यबोध पर ध्यान केंद्रित करने के लिए इन नियमों को समझना बहुत ज़रूरी है। हालांकि आम श्रोताओं के लिए इन नियमों की समझ होना ज़रूरी नहीं है, लेकिन नियमों को जान लेने से उनके सुनने का अनुभव भी बेहतर हो सकता है। भारतीय शास्त्रीय संगीत एक प्राचीन कला रूप है। हालांकि विभिन्न प्रभावों के कारण सदियों के दौरान भारतीय संगीत का रूप काफी बदल गया है। रागों की प्रणाली का विश्लेषण और दस्तावेज़ीकरण करने में कई विद्वानों ने अपना अमूल्य योगदान दिया है। हालाँकि, रागों की मौखिक परंपरा का दस्तावेजीकरण न हो सकने के कारण, कई राग हमेशा के लिए खो गए। आज हम केवल कुछ सौ रागों के बारे में ही जानते हैं, लेकिन कुछ स्रोतों से संकेत मिलता है कि प्राचीन समय में 4,840 राग हुआ करता थे।
कुछ राग खास मौसमों से जुड़े होते हैं, जो किसी विशेष मौसम के साथ जुड़कर सुनने वाले के अनुभव को बढ़ाते हैं।
भारतीय शास्त्रीय संगीत में, रागों को सदियों से ऋतुओं से जोड़ा जाता रहा है। यह संबंध फसल, संक्रांति और क्षेत्रीय देवताओं के उत्सवों के दौरान गाने और नृत्य करने की प्रथा से उत्पन्न हुआ। समय के साथ, संगीत और ऋतुओं के बीच यह संबंध गहराई से जुड़ गया।
भारतीय शास्त्रीय संगीत में छह प्राथमिक ऋतुएँ होती हैं:
1. वसंत
2. ग्रीष्म
3. वर्षा (मानसून)
4. शरद
5. हेमंत (शीत ऋतु से पहले)
6. शिशिर (शीत ऋतु)
दो महत्वपूर्ण मध्यकालीन संगीत संबंधी ग्रंथों, 'संगीत रत्नाकर' और 'संगीत दर्पण', से हमें छह मौलिक रागों के बारे में जानने को मिलता है, जो छह प्राथमिक ऋतुओं के अनुरूप थे। प्रत्येक ऋतु के साथ विशिष्ट राग जुड़े होते हैं, जो ऋतु की मनोदशा और माहौल को बढ़ा देते हैं। आसान शब्दों में समझें तो यदि आप प्रत्येक ऋतु में उन ऋतुओं से जुड़े रागों का प्रयोग करके गाए गए संगीत को सुनें तो आपके उस संगीत और उन ऋतुओं का आनंद लेने की संभावना कई गुना बढ़ जाएगी।
हालाँकि इन ग्रंथों में राग और ऋतु के बीच में अलग-अलग संबंध हैं, लेकिन सबसे व्यापक रूप से स्वीकृत प्रणाली है:
1. राग हिंडोल (वसंत) ऋतु से जुड़ा हुआ है।
2. राग दीपक (ग्रीष्म) ऋतु से जुड़ा हुआ है।
3. राग मेघ (वर्षा) ऋतु से जुड़ा हुआ है।
4. राग भैरव (शरद) ऋतु से जुड़ा हुआ है।
5. राग श्री (हेमंत) ऋतु से जुड़ा हुआ है।
6. राग मालकोस (शिशिर) ऋतु से जुड़ा हुआ है।
ये सभी राग भारतीय शास्त्रीय संगीत में गहराई से निहित हैं और कला के रूप को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उत्तर भारत में, रागों को मूड, मौसम और समय के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है। दक्षिण भारत में, उन्हें उनके तकनीकी पैमाने के लक्षणों के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है।
चलिए अब आपको बताते हैं कि इन गर्मियों में आप किन रागों को सुनकर अपनी मनोदशा को मधुर कर सकते हैं:
- राग मारवा: इसे देर दोपहर से सूर्यास्त तक गाया जाता है।
- राग सारंग: यह राग दिन की चरम गर्मी से जुड़ा हुआ होता है और इसकी धुन विशेष रूप से गर्मियों के मौसम के लिए उपयुक्त मानी जाती है।
रागों एवं संगीत की समझ के संदर्भ में हमारा लखनऊ शहर हमेशा से ही एक समृद्ध विरासत वाला शहर रहा है। इस शहर का इतिहास “इटावा घराने” से भी गहराई से जुड़ा हुआ है, जो कि सितार और सुरबहार वादकों से संबंधित एक प्रसिद्ध परिवार है। यह परिवार 400 से अधिक वर्षों से उत्तर भारतीय शास्त्रीय संगीत को आकार दे रहा है। इसका इतिहास 16वीं शताब्दी में मुगल सम्राट अकबर के दरबार से शुरू हुआ था। इमदाद खानी घराने के नाम से भी मशहूर इटावा घराने ने सितार और सुरबहार के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इनके योगदान में तरब (सहानुभूतिपूर्ण तार) और गायकी अंग (गायन की शैली में वाद्ययंत्र बजाना) जैसे नवाचार शामिल हैं। इस परिवार के सबसे प्रसिद्ध सदस्य उस्ताद वजाहत खान हैं, जो इस संगीत राजवंश की 8वीं पीढ़ी से संबंधित हैं। वजाहत खान अपने परिवार के पहले सदस्य हैं जिन्होंने सरोद बजाया था। सरोद एक ऐसा वाद्य होता है , जिसे अपनी सुंदर और जटिल ध्वनियों के लिए जाना जाता है। कुल मिलाकर उत्तर भारतीय वाद्य संगीत में इटावा घराने का योगदान बहुत गहरा और स्थायी रहा है, जिसने आज तक संगीत के पाठ्यक्रम को गहराई से प्रभावित किया है।
संदर्भ
https://tinyurl.com/2ee495ts
https://tinyurl.com/53fpfahv
https://tinyurl.com/ypu46usj
https://tinyurl.com/kp4j6tdm
https://tinyurl.com/2p9szb4r
चित्र संदर्भ
1. शास्त्रीय संगीत का प्रदर्शन करते संगीतकारों को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. एक भारतीय शास्त्रीय संगीत आयोजन को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
3. मेलाकार्ता कर्नाटक संगीत (दक्षिण भारतीय शास्त्रीय संगीत) में मौलिक रागों (संगीत के पैमाने) का एक संग्रह है। को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
4.भारतीय शास्त्रीय गायक गिरिजा देवी जी को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
© - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.