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                                            1857 वह दौर था जब भारत में आजादी की लड़ाई का पहला शंखनाद हुआ था। भारत भर में जगह-जगह पर क्रांति की लड़ाई शुरू हो गयी थी। मेरठ, लखनऊ, दिल्ली, इलाहबाद, कानपुर आदि स्थानों पर स्वतंत्रता की लड़ाई ने विशाल रूप लेना शुरू कर दिया था। मुरादाबाद, बुलंदशहर आदि स्थानों पर भी विद्रोह की घटनाएँ तेज़ होने लगी थी। 1857 के समय में रामपुर में नवाब युसुफ अली खान का शासन था, नवाब युसुफ अंग्रेजों के विश्वासपात्र थे। इस कारण रूहेलखंड के स्वतंत्रता संग्राम को गहरी क्षति का सामना करना पड़ा था। कई बार यह कहा जाता है की नवाब के अंग्रेजों के विश्वासपात्र होने के कारण रामपुर रियासत में अंग्रेजों के विरुद्ध संघर्ष नहीं हुआ था जबकि रामपुर रियासत में स्वतंत्रता संघर्ष के लिए क्रांतिकारियों ने भाग लिया था। परन्तु क्रांतिकारी रामपुर शहर में क्रांति का बिगुल फूक पाने में असफल रहे।
1857 की क्रांति के दौरान रामपुर में कई प्रकार की गतिविधियाँ हुयी थी जिनकी नीवं लाल डांग संधि (17 अक्टूबर 1774) से भी जुड़ी थी। इस दौर में फैजुल्लाह खान द्वारा 17,000 रोहेल्लाओं को रियासत से बाहर निकाल दिया गया था तथा ऐसी ही कई अन्य घटनाओं ने रामपुर की स्थिति को विभिन्न स्थानों से पेचीदा बना दिया था। उपरोक्त दिए कारणों से नवाब युसूफ अली खान को रोहेलों से भय था जो उनकी रियासत में रहते थे। उपरोक्त राजनीतिक स्थितियों पर नजर डालने से पता चलता है की जिस प्रकार से फैजुल्लाह खान ने रोहेलों से रियासत बचाने के लिए सुजा-उद-दौला से अंग्रेजों की ज़मानत के साथ लाल डांग संधि की थी। इसी तरह नवाब युसुफ अली खान ने अपनी रियासत रूहेला पठानों से बचाने के लिए अंग्रेजों का साथ दिया। यह तथ्य भारत के कई रियासतों से अलग था जैसे कि झाँसी, लखनऊ आदि।
नवाब युसुफ अली खान ने कमिश्नर रूहेलखंड से मुरादाबाद की निजामत (प्रशासन) की सनद प्राप्त कर ली थी। इस सनद से रामपुर रियासत का मुरादाबाद पर अधिकार हो गया था । 1857 के स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई को कुचलने और मुरादाबाद पर अधिकार करने की कार्यवाही रामपुर रियासत ने की। इसके अलावा रामपुर के नवाब ने नैनीताल में शरण लिये अंग्रेजों की मदद की और कई सैनिक कार्यवाही कराइ जिससे अंग्रेजों की नजर में रामपुर के नवाब की वफ़ादारी साबित हो गयी। उपरोक्त घटनाओं के कारण रूहेलखंड के स्वतंत्रता संग्राम को हार का सामना करना पड़ा। इस प्रकार रामपुर में कोई विद्रोह नहीं हुआ। वहीँ मुरादाबाद में ब्रितानी सरकार के खिलाफ काफी विद्रोह हुए। रामपुर के सन्दर्भ में मौजा गिनतीपुतरिया, जो कि भावर के क्षेत्र में है, में खूनखराबा हुआ था जो कि उल्लेखनीय है।
1. रूहेलखंड 1857 में, ज़ेबा लतीफ़