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गुंबद, जिसे अंग्रेज़ी भाषा में डोम (Dome) कहा जाता है, इस अंग्रेज़ी शब्द की उत्पत्ति ग्रीक और लैटिन पद “डोमेस डेई(Domes Dei)” से हुई है, जिसका अर्थ “भगवान का घर” है। पूरे इतिहास और सभी संस्कृतियों में, गुंबदों को पवित्र या स्वर्गीय प्रतीकवाद से जोड़ा गया है। उन्हें “ छतों का राजा” भी कहा जाता है, क्योंकि, उनमें कोई कोण या मोड़ नहीं होता है। साथ ही, गुंबदों को स्थिर करने के लिए किसी एकल स्तंभ की आवश्यकता नहीं होती है। फिर भी, वे सबसे मज़बूत और टिकाऊ वास्तु संरचनाओं में से एक हैं।
कहने की ज़रुरत नहीं है कि, हमारा शहर लखनऊ भारत के कुछ सबसे आश्चर्यजनक गुंबदों, जैसे कि – बड़ा इमामबाड़ा, आसफी मस्जिद और किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी की सफेद छतरियों, का घर है। अतः इस लेख में, हम गुंबदों के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व, उनके निर्माण में प्रयुक्त सामग्री, उनकी वास्तु शैली और प्रकारों को समझेंगे। साथ ही, हम लखनऊ व दुनिया के कुछ सबसे प्रसिद्ध गुंबदों पर भी नज़र डालेंगे।
गुंबद एक वास्तुशिल्प रचना ही नहीं, बल्कि, धार्मिक विश्वास के प्रतीक भी थे। ‘स्वर्ग का प्रतिनिधित्व’ करने के लिए बनाए गए गुंबदों को, अक्सर उसके अनुसार सजाया जाता था। उनका गोलाकार अनंत काल का प्रतिनिधित्व करता था, जबकि उनका शीर्ष, स्वर्ग की ओर इशारा करता था। सरल अर्थ में, गुंबद आध्यात्मिक क्षेत्र से भौतिक दुनिया के संबंध और अंतर का प्रतिनिधित्व करता है।
हमारे शहर लखनऊ के गुंबदों को अक्सर ही, ‘प्याज़नुमा गुंबदों(Onion Domes)’ के रूप से जाना जाता है। शहर के गुंबद उत्तर भारत में पाए जाने वाले अन्य गुंबदों से अलग हैं, और कई स्थापत्य शैलियों में इनसे प्रेरणा ली गई हैं। लखनवी गुंबदों के प्रकार, अनुपात और डिज़ाइन तत्व फारसी, ग्रीक, फ्रांसीसी, नव शास्त्रीय (Neo Classical), गोथिक(Gothic) और राजपूताना वास्तु प्रभाव को दर्शाते हैं। उदाहरण के लिए, ‘तेले वाली मस्जिद’, औरंगजेब द्वारा बनाई गई थी, और इसमें बड़े व चौड़े गुंबद हैं, जो विशिष्ट मुगल इमारतों का प्रतीक हैं। जबकि, अंग्रेज़ों द्वारा निर्मित ‘चारबाग रेलवे स्टेशन’ के गुंबदों में छज्जे और मेहराब हैं, और ये राजस्थान की छतरियों से प्रेरित हैं। एक तरफ, भव्य ‘आसफ़ी मस्जिद’ है, जो फ़ारसी शैली की तरह, अपनी आकृति, जटिल अलंकरण और तांबे के पंखुड़ियांपंखों के साथ, प्याजनुमा गुंबदों को दर्शाती है। माना जाता है क शेखज़ादों – भारतीय मुसलमान, जो मुगल कुलीनता का हिस्सा थे – ने लखनऊ में पहला गुंबद बनाया था। मुगलों ने यहां भारतीय-इस्लामिक शैली के गुंबद बनवाए। जबकि, नवाबों ने यहां, पश्चिम से प्रेरित छोटे और अधिक जटिल गुंबद बनवाए।
जबकि, पहले के अधिकांश गुंबद ध्वस्त हो गए हैं, नवाबी गुंबद आज भी लखनऊ में मजबूत तौर पर खड़े हैं। सदियों से ही, जैसे-जैसे हमारा शहर विकसित हुआ है, इसके गुंबद भी विकसित हुए हैं और शहर की वास्तुकला का एक अपूरणीय हिस्सा बने हुए हैं।
पुराने लखनऊ के गुंबद सौंदर्य तत्वों से परिपूर्ण थे, जो शासकों की सुंदर शहर के निर्माण की इच्छा को पूरा करते थे। लेकिन उनके निर्माण के पीछे कुछ उद्देश्य भी थे। गुंबदों ने ईमारत की गर्म हवा को ऊपर उठने, और वायु-प्रवाहक के माध्यम से, इसे बाहर निकलने में मदद कर इमारतों को ठंडा रखा। उन्होंने ध्वनि को दूर तक पहुंचाने में भी मदद की, जो मस्जिदों, इमामबाड़ों और महलों जैसी जगहों के लिए आवश्यक होती है।
ऐसे ही गुंबद आज भी दुनिया भर की आधुनिक वास्तुकला में दिखाई देते हैं।
दरअसल, वे निम्नलिखित कारणों से वास्तुकला में प्रकट हुए हैं:
१.कोई गुंबद विभिन्न प्रकार की, परंतु आसानी से उपलब्ध सामग्रियों से बनाया जा सकता है। इग्लू(Igloo) बर्फ की ईंटों से बनाए जाते थे। मध्य पूर्व देशों में मिट्टी की ईंटों और पत्थर से गुंबदों का निर्माण किया जाता था। जबकि, रोमन गुंबद पत्थर और गारे के मिश्रण से बनाए जाते थे, और आज वे कंक्रीट और स्टील सरिया से बनाए जाते हैं।
२.प्राचीन गुंबदों के निर्माण में प्रयुक्त सामग्री आवश्यक रूप से मजबूत नहीं थी। हालांकि, आधुनिक निर्माण सामग्री मजबूत हैं। एक गुंबद प्राकृतिक संपीड़न बल के माध्यम से, तनाव वितरण प्रदान करता है, जो इसे सबसे मज़बूत निर्माण विधियों में से एक बनाता है।
३.पाषाण युग में, स्थायी ईश्वरीय आश्रय के प्रतीक के रूप में, मृतकों के लिए एक गुंबद के आकार का मकबरा बनाया गया था। साथ ही, गुंबद अपने आकार के कारण, रोमन दुनिया में पूर्णता, स्वर्गीय क्षेत्र और अनंत काल का प्रतीक हैं।
एक तरफ, अधिकांश प्राचीन रोमन इमारतें आयताकार थीं, और अतः उनकी भारी छत को सहारा देने के लिए, स्तंभों के सुदृढीकरण की आवश्यकता होती थी। 100 ईसवी तक, वास्तुकारों ने नई तकनीकों के साथ प्रयोग करना शुरू कर दिया। रोमन वास्तुकारों ने पाया कि, जब किसी मेहराब को 360º घुमाया जाता है, तो इससे एक त्रि-आयामी गोलाकार आकृति बनती है। यह सिद्धांत रोमनों के लिए क्रांतिकारी था।
इसके बाद, वास्तुकारों ने छतों की ऊंचाई और वजन जैसी कठिनाइयों का सामना करने के लिए, कंक्रीट गुंबद वास्तुकला में सुधार किया। और, तब से आज तक, गुंबद एक लोकप्रिय वास्तुशिल्प तत्व बन चुके हैं ।
आइए, अब गुंबदों के कुछ प्रकारों के बारे में जानते हैं।
१.मधुमक्खी छत्तानुमा गुंबद(Beehive Dome)
ये गुंबद, मधुमक्खी के छत्ते के आकार जैसे दिखते हैं। अक्सर प्राचीन वास्तुकला से जुड़े हुए, ये गुंबद खड़ी व क्षैतिज परतों की एक श्रृंखला की विशेषता रखते हैं, जो गोल या शंक्वाकार आकार बनाते हैं। इन गुंबदों का निर्माण कॉर्बेलिंग(Corbelling) नामक तकनीक का उपयोग करके किया गया था। इनका ऐतिहासिक उपयोग, पर्यावरणीय दक्षता को ध्यान में रखते हुए, स्थिर और सौंदर्य की दृष्टि से मनभावन संरचनाएं बनाने में प्राचीन निर्माताओं की संसाधनशीलता को भी उजागर करता है।
२.दीर्घवृत्ताकार गुंबद
इन गुंबदों की विशेषता इनका अंडाकार है। इनकी लंबी आकृति सुंदरता और दृश्य रुचि की भावना पैदा कर सकती है। इससे ये गुंबद धार्मिक इमारतों, कार्यक्रम स्थलों या प्रदर्शनी हॉल सहित विभिन्न अनुप्रयोगों के लिए उपयुक्त हो जाते हैं। इनकी लंबी आकृति एक विस्तृत छत संरचना भी प्रदान करती है।
३.जियोडेसिक गुंबद(Geodesic Dome)
वास्तुकार और इंजीनियर आर. बकमिनस्टर फुलर(R. Buckminster Fuller) ने 1948 में, जियोडेसिक गुंबदों को लोकप्रिय बनाया। इसमें परस्पर जुड़े त्रिकोणों का ढांचा होता है, जो एक गोलाकार या अर्धगोलाकार आकार बनाते हैं। त्रिभुजों के विभिन्न संयोजन, संख्याएं और उनकी व्यवस्थाएं गुंबद का आकार और रूप निर्धारित करती हैं। जियोडेसिक गुंबदों के विभिन्न अनुप्रयोग हैं, इनमें आवास, ग्रीनहाउस, प्रदर्शनी स्थल, मनोरंजक सुविधाएं और यहां तक कि आपदाग्रस्त क्षेत्रों में अस्थायी आश्रय भी शामिल हैं।
४.क्रॉस्ड-मेहराब गुंबद(Crossed-arch Dome)
इन गुंबदों में संरचनात्मक या सजावटी तत्व के रूप में, अन्तर्विभाजक मेहराब शामिल होते हैं। मेहराबों की यह शैली तारे, क्वाट्रेफिल्स(Quatrefoils) या अन्य सममित आकृतियां बना सकती है, जो संरचना की सौंदर्यवादी अपील में योगदान करती है। गॉथिक वास्तुकला में असधारण कैथेड्रल की छतों में क्रॉस-मेहराबदार गुंबद आम थे।
५.अर्धगोलाकार गुंबद
ये अर्ध-गोलाकार वास्तुशिल्प संरचनाएं होती हैं। यह गुंबद शैली, एक गोले की तिरछी काट वाली संरचना का प्रतिनिधित्व करती है, जो एक गोल और सममित संरचना बनाती है। अर्धगोलाकार आकार स्वाभाविक रूप से स्थिर होता है। अधिक जटिल गुंबद डिज़ाइनों की तुलना में, इसमें कम संरचनात्मक समर्थन की आवश्यकता होती है। अर्धगोलाकार गुंबदों में धार्मिक इमारतों, सरकारी संरचनाओं और वास्तुशिल्प स्थलों सहित विभिन्न ऐतिहासिक अनुप्रयोग थे।
आइए, अब विश्व के कुछ सबसे प्रसिद्ध गुंबदों के बारे में जानते हैं।
१.सेंट बेसिल कैथेड्रल(Saint Basil’s Cathedral): मॉस्को(Moscow) में प्रसिद्ध रंगीन सेंट बेसिल कैथेड्रल का निर्माण 1534 और 1561 के बीच, इवान द टेरिबल(Ivan the Terrible) द्वारा कज़ान(Kazan) और अस्त्रखान(Astrakhan) के तातार(Tatar) गढ़ों पर कब्जा करने की याद में किया गया था। इसमें 9 प्याज़नुमा गुंबद हैं।
२.ताज महल: विश्व के सात अजूबों में से एक, ताज महल की सबसे शानदार विशेषता मकबरे के ऊपर बना संगमरमर का गुंबद है। इसकी ऊंचाई लगभग 35 मीटर (115 फीट) है, जो इसके आधार की लंबाई के बराबर है। इस गुंबद के शीर्ष को कमल के डिज़ाइन से सजाया गया है।
३.हाजीया सोफिया: छठी शताब्दी से, इस्तानबुल(Istanbul) में हाजीया सोफिया, मूल रूप से कॉन्स्टेंटिनोपल(Constantinople) का गिरजाघर था। लेकिन, 15 वीं शताब्दी में इसे एक मस्जिद बना दिया गया, जब ओटोमन्स(Ottomans) ने इस शहर पर विजय प्राप्त की। हाजीया सोफिया अब एक संग्रहालय है। रोमन गुंबद का एक उत्कृष्ट नमूना माना जाने वाला यह विशाल गुंबद (31 मीटर या 102 फीट व्यास) 1000 से अधिक वर्षों तक दुनिया में सबसे बड़ा संलग्न स्थान था।
संदर्भ
https://tinyurl.com/pwm78jcu
https://tinyurl.com/bde499mk
https://tinyurl.com/3t45mxje
https://tinyurl.com/2c8t5mmy
https://tinyurl.com/mrzxyeb
चित्र संदर्भ
1. बड़ा इमामबाड़ा लखनऊ को संदर्भित करता एक चित्रण (प्रारंग चित्र संग्रह)
2. लखनऊ की जामा मस्जिद के गुंबद को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. चारबाग रेलवे स्टेशन को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. विविध प्रकार के गुम्बदों को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. मधुमक्खी छत्तानुमा गुंबद को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
6. लास्कर नेशनल सेंटर फ़ॉर द परफ़ॉर्मिंग आर्ट्स को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
7. जियोडेसिक गुंबद को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
8. क्रॉस्ड-मेहराब गुंबद को संदर्भित करता एक चित्रण (Peakpx)
9. अर्धगोलाकार गुंबद को संदर्भित करता एक चित्रण (flickr)
10. सेंट बेसिल कैथेड्रल को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
11. ताजमहल को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
12. हाजीया सोफिया को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
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