फ़रहात बक्श वर्तमान काल में छतर मंजिल के नाम से जाना जाता है। फ़रहात बक्श का निर्माण रेजीडेंसी के नजदीक गोमती के किनारे के पेड़ों को कटाने की बाद फ़्रांस के जनरल, क्लॉउड मार्टिन द्वारा अपने निजी भवन के रूप में करवाया गया था। यह सन 1781 में बन कर तैयार हो गयी तथा इसमें मार्टिन सन 1800 तक रहे। इस कई मंजिली ईमारत में दो मंजिल जमीनी सतह के नीचे बनाये गए थे जो की बारिश के दौरान पानी में डूबे रहते थे। पर मानसून के जाने के बाद ये कमरे प्रयोग में लाये जाते थे। ये कमरे बेहतर ठंडी हवा प्रदान करते थे जिससे गर्मियों में ये किसी वातानुकूलित घर से कम नहीं थे। इस महल के छत पर 2 दूरबीनों को खगोलीय अध्ययन के लिए लगाया गया था जो की इंग्लैंड से मंगायी गयी थी। इस महल में जनानाओं के लिए अलग से कमरे बनाये गए थे।
मई 1781 में जब यह महल बन कर तैयार होने वाला ही था तभी बनारस के राजा चेत सिंह की सेना की कुछ टुकड़ियों ने इस पर आक्रमण कर दिया। मार्टिन ने इस महल के प्रमुख दरवाजों पर दो बंदूकें रख इसकी रक्षा की। परन्तु इस हमले ने मार्टिन को यह बता दिया कि इस महल के चारों तरफ चाहरदीवारी बनानी पड़ेगी। इस महल के तीन तरफ दीवार व ऊँचे द्वार बनवाये गये जबकि चौथी तरफ यह नदी द्वारा सुरक्षित किया गया था। इसके अलावा महल के तीनों तरफ नहर का निर्माण किया गया।
मुख्य बरामदा एक संग्रहालय और पुस्तकालय के रूप में बनवाया गया था जिसमें मार्टिन द्वारा संगृहीत की गयी 4,000 अंग्रेजी और फ्रेंच किताबें और 500 हस्तलिखित फारसी की किताबें थी। इस महल के संग्रहालय को एक व्यवस्थित संग्रहालय के रूप में देखा जाता था तथा इसमें एक अलग कमरे में एक बड़े ऐनक का, चीनी कांच के बर्तनों, विभिन्न प्रकार के आतिश बाजी से सम्बंधित सामानों का, चीनी खिलौनों, मानव शरीर से जुडी वस्तुएं जिसमे एक महिला का कंकाल व रंगमंच से जुड़ी वस्तुओं का संग्रह था। जिसे देखने कई विदेशी यात्री आते थे।1. हिंदुस्तान टाइम्स, सिटी स्कैन, ए टाइम इन हिस्ट्री, वेडनेसडे 6.8.1997, छतर मंजिल-क्लॉउड मार्टिन्स फ्रेंच लेगसी
© - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.