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हमारे पूर्वज अपने पूरे जीवन के गहरे अनुभव को "संक्षेप" में बयां करने का अनोखा हुनर रखते थे। अपने अनुभव या ज्ञान को छोटे-छोटे वाक्यांशों में समेट लेने के इसी हुनर को ही 'कहावत' कहा जाता है। कहावतें हमें बहुत ही कम शब्दों में, जीवन के गहरे अनुभवों को समझा देने की क्षमता रखती हैं। चलिए आज कुछ दिलचस्प उदाहरणों से कहावतों की क्षमता को आंकने की कोशिश करते हैं।
कहावत छोटे-छोटे वाक्यांश होते हैं, जो सामान्य ज्ञान या अनुभव के आधार पर पीढ़िगत सच्चाई या ज्ञान को व्यक्त करती है। क्योंकि लोग इन्हें एक-दूसरे के साथ साझा करते आ रहे हैं, खासकर तब, जब विभिन्न संस्कृतियों के लोग एक दूसरे के संपर्क में आते हैं। पश्चिमी देशों में, बाइबिल और पुराने लैटिन लेखन से कई कहावतें प्रचलित हुई हैं। दिलचस्प बात यह है कि लगभग हर संस्कृति की अपनी अनूठी कहावतें होती हैं। भारतीयों के लिए, हिंदी कहावतें केवल चालाकी से कहे गए वाक्यों या साहित्यिक वाक्यांशों तक ही सीमित नहीं हैं। हम बचपन से ही अपने दादा-दादी और माता-पिता से इस पीढ़ीगत ज्ञान को सुनते आ रहे हैं। इन कहावतों का उपयोग करने और सुनने से भी हम अपने बचपन के दिनों में वापस लौट जाते हैं।
दैनिक जीवन में भी कहावतों का सही समय और उचित ढंग से उपयोग करने से आपको कई लाभ मिल सकते हैं, और आप भीड़ में सबसे अलग दिख सकते हैं।
चलिए अब कुछ दिलचस्प हिंदी कहावतों पर एक नज़र डालते हैं:
🗯️जब जागो तभी सवेरा: अपनी गलती का अहसास होने के बाद, आप कभी भी नई शुरुआत कर सकते हैं।
🗯️अधजल गगरी छलकत जाये: जिस प्रकार आधा भरा हुआ बर्तन अधिक छलकता है, उसी प्रकार कम ज्ञान वाला व्यक्ति अपने ज्ञान का अधिक बखान करता है।
🗯️नाच न जाने आँगन टेढ़ा: कमी ख़ुद में होना, लेकिन उसका दोष अपनी परिस्थितियों या दूसरों पर मढ़ देना।
🗯️जान है तो जहान है: चाहे काम कितना ही ज़रूरी हो, उसे अपने स्वास्थ से अधिक ज़रूरी नहीं समझना, जो कि उचित है।
🗯️जिसकी लाठी उसकी भैंस: ताकतवर व्यक्ति हमेशा परिस्थतियों पर हावी होता है।
🗯️अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत: लोग इस कहावत का उपयोग तब कर सकते हैं जब कोई अपना काम पूरा करने में लापरवाही करता है, और बाद में उसे पछताना पड़ता है।
🗯️दूध का जला छाछ भी फूँक कर पीता है: जब कोई व्यक्ति किसी काम को करने में एक बार पछताया हो, तो वह व्यक्ति उस काम को दोबारा करने से पहले हज़ार बार सोचता है।
🗯️चोर-चोर मौसेरे भाई: इस कहावत का प्रयोग तब किया जा सकता है, जब दो भ्रष्ट लोग, उदाहरण के तौर पर दो भ्रष्ट नेता, एक साथ मिलकर भ्रष्टाचार करने का विकल्प चुनते हैं।
🗯️जैसी करनी वैसी भरनी: इस कहावत का प्रयोग यह बताने के लिए किया जाता है कि आप जैसे कर्म करेंगे, उसी के अनुरूप आपको फल मिलेगा।
🗯️ऊंट के मुंह में ज़ीरा: आपके योगदान या मेहनत की तुलना में आवश्यकता से बहुत कम राशि या लाभ मिलना। जैसे ऊँट जैसे बड़े जानबर को खाने के लिए यदि ज़ीरे का एक दाना दिया जाए, तो वह ऊँट की आवश्यकता से बहुत कम होगा। इस कहावत को उदाहरण के तौर पर समझें तो: पूरी क्रिकेट टीम को खाने के लिए 100 ग्राम मूँगफली ऊँट के मुँह में ज़ीरे के समान है।
🗯️अंत भला तो सब भला: इस कहावत को भी आप उदाहरण के तौर पर इस प्रकार समझ सकते हैं कि ''भले ही क्रिकेट में भारतीय टीम को पूरे मैच में काफ़ी मुश्किलें झेलनी पड़ी, लेकिन आख़िर में मैच को भारत ने जीता।" इस प्रकार अंत भला तो सब भला।
🗯️दूर के ढोल सुहावने लगते हैं: इस कहावत का प्रयोग उन लोगों को संदर्भित करने के लिए किया जा सकता है, जो विदेशों की चमक धमक देखकर वहाँ जाना चाहते हैं, लेकिन इस बात से अनभिज्ञ हैं, कि विदेशों में रहने की भी अपनी चुनौतियाँ है। उन्हें तो दूर के ढोल सुहाने ही लगते हैं।
🗯️आगे कुंआ पीछे खाई: उदाहरण के तौर पर इस कहावत का प्रयोग तब किया जा सकता था, जब 500 और 1000 के नोट बंद हो गये थे, और ठीक उसी समय एटीएम में भी पैसे नहीं थे। यानी कि हर तरफ से हानि या विपत्ति होना और जब कोई सीधा सरल समाधान नज़र न आए।
🗯️डूबते को तिनके का सहारा: उदाहरण के तौर पर इस कहावत का प्रयोग उस परिस्थिति के लिए किया जा सकता है, जब आपके मित्र का बिज़नेस लगभग डूबने वाला हो और उनके मित्र थोड़ा-थोड़ा पैसा जोड़कर उसे डूबने से बचा लें। यानी कि विपदग्रस्त को थोड़ा सहारा भी बहुत होता है।
🗯️बन्दर क्या जाने अदरक का स्वाद: अज्ञानी व्यक्ति गुणवान वस्तु की कदर नहीं जानता। उदाहरण के तौर पर अनपढ़ व्यक्ति एक किताब में लिखी बातों को पढ़ ही नहीं पाता, और उस बहुमूल्य ज्ञान से वंचित रह जाता है।
🗯️सौ सुनार की, एक लोहार की: एक महत्वपूर्ण कार्य कई अनर्गल कार्यों से ज्यादा सटीक होता है, अर्थात हुनर ज़्यादा ज़रूरी माना जाता है। उदाहरण के तौर पर नेताजी ने पाँच सालों में खूब घोटाले किए लेकिन कोर्ट ने उन्हें एक ही दिन में 25 सालों की सजा सुना दी।
🗯️नेकी कर दरिया में डाल: यह कहावत हमें लोगों के प्रति अच्छे काम करके बदले में कुछ अपेक्षा न रखने के लिए प्रेरित करती है।
🗯️ घर का भेदी लंका ढाये: इस कहावत की उत्पत्ति ही रावण के भाई विभीषण के चरित्र से हुई थी, जिन्होंने प्रभु श्री राम को अपने भाई रावण की मृत्यु के भेद बताकर उसे मरवा दिया था।
🗯️ओस चाटने से प्यास नहीं बुझती: बड़े लक्ष्य प्राप्त करने के लिए अधिक मेहनत करनी पड़ती है।
🗯️कर बुरा तो होय बुरा / जैसी करनी वैसी भरनी: यदि आप ग़लत करेंगे तो आपके साथ भी ग़लत ही होगा।
🗯️एक हाथ से ताली नहीं बजती: कोई भी बड़ा विवाद केवल एक पक्ष की गलती से नहीं होता, इसमें दोनों पक्षों की थोड़ी बहुत गलती तो होती ही है।
🗯️जो गरजते हैं वो बरसते नहीं: जो ज्यादा बोलते हैं वे कुछ करते नहीं हैं।
🗯️लालच बुरी बला है: लालच के दुष्परिणाम ही होते हैं ।
🗯️जैसा राजा वैसी प्रजा: जैसा नेत्रित्व होगा वैसे ही अनुयायी भी होंगे।
🗯️मुख में राम बगल में छुरी: ऊपर से चिकनी -चुपड़ी बातें करना और अन्दर से ग़लत विचार रखना।
🗯️सांच को आंच क्या: जो सच्चा होता है, उसे किसी बात का डर नहीं होता है।
🗯️ऊंची दुकान फीके पकवान / नाम बड़े और दर्शन छोटे: देखने में अच्छा पर असलियत में सामान्य होना ।
🗯️चार दिन की चांदनी फिर अँधेरी रात: थोड़े समय के लिए ही सब कुछ बहुत ठीक होना।
🗯️भैंस के आगे बीन बजाना: किसी मूर्ख को अपनी बात समझाना।
🗯️लोहा लोहे को काटता है: शक्तिशाली व्यक्ति को शक्तिशाली व्यक्ति ही हरा सकता है।
🗯️नीम हकीम ख़तरा-ए-जान: चीजों की अधूरी जानकारी होना खतरनाक हो सकता है।
🗯️ भेड़ की खाल में भेड़िया: ऊपर से भला और अन्दर से बुरा
जल में रहकर मगर से बैर ठीक नहीं: अपने क्षेत्र के ताकतवर व्यक्ति से दुश्मनी नहीं करनी चाहिए।
संदर्भ
https://tinyurl.com/5ee3hemm
https://tinyurl.com/2vre8dyj
https://tinyurl.com/2wxwmbem
चित्र संदर्भ
1. ऊंट के मुंह में ज़ीरा कहावत को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. बाइबिल को संदर्भित करता एक चित्रण (flickr)
3. सुबह के दृश्य को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
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