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‘डी स्टिल’ नामक कलात्मक आंदोलन का प्रतीक रही, ‘रेड-ब्लू चेयर’ कितनी ख़ास थी?

लखनऊ

 31-05-2024 09:37 AM
घर- आन्तरिक साज सज्जा, कुर्सियाँ तथा दरियाँ

आज भारत के घर-घर में आपको कुर्सियां देखने को मिल जाएँगी। लेकिन हमेशा से ऐसा नहीं था। प्राचीन सभ्यताओं में कुर्सियां केवल कुलीनों और शासकों की शक्ति और अधिकार का प्रतीक मानी जाती थी। लेकिन जैसे-जैसे समाज बदला, वैसे-वैसे कुर्सियाँ भी बदलीं, और धीरे-धीरे बुनियादी स्टूल से विकसित होकर जटिल सिंहासन में परिवर्तित हो गईं। आपको जानकर हैरानी होगी कि “डी स्टिल (De Stijl)”नामक एक कलात्मक आंदोलन का प्रमुख प्रतीक भी गेरिट रिटवेल्ड (Gerrit Rietveld) द्वारा निर्मित "रेड ब्लू चेयर (Red Blue Chair)" ही रही है। डी स्टिल, जिसका डच भाषा में अनुवाद "शैली" होता है, और अंग्रेज़ी में जिसका तात्पर्य ‘द स्टाइल’ होता है, एक कला आंदोलन है, जिसकी शुरुआत नीदरलैंड के लीडेन (Leiden, Netherland) शहर में हुई थी। डी स्टिल को नियोप्लास्टिसिज्म (neoplasticism) के नाम से भी जाना जाता है। यह 1917 से 1931 तक आधुनिक कला का एक प्रसिद्ध रूप बन गया था, जिसने निर्माण में अमूर्तता और सरलता को प्रेरित किया। डी स्टिल की सौंदर्य विशेषताओं में साफ रेखाएं, समकोण और प्राथमिक रंगों का प्रयोग शामिल था। इस कला आंदोलन को वास्तुकला और पेंटिंग सहित विभिन्न माध्यमों से व्यक्त किया गया, जो इसकी अनूठी शैली को दर्शाता है। डी स्टिल कला की चार प्रमुख विशेषताओ को निम्नवत दिया गया है:
1. सीधी रेखाएं: डी स्टिल कला की प्रमुख विशेषता:- साफ, सीधी ऊर्ध्वाधर और क्षैतिज रेखाएं होती हैं, जो समकोण बनाने के लिए एक दूसरे को प्रतिच्छेद करती हैं, जिससे व्यवस्थित और संतुलन की भावना पैदा होती है।
2. प्राथमिक रंग: डी स्टिल के कलाकारों ने काले और सफेद के साथ-साथ लाल, पीले और नीले रंगों का भी उपयोग किया।
3. मोटे स्ट्रोक: डी स्टिल कलाकृतियों में सीधी रेखाएं अक्सर मोटे, काले स्ट्रोक में प्रस्तुत की जाती हैं। यह तकनीक रंगों और ज्यामितीय आकृतियों के बीच विभाजन को बढ़ाती है।
4. ज्यामितीय रूप: डी स्टिल कला में आयत और वर्ग, सामान्य तत्व होते हैं। ये सरल ज्यामितीय रूप, डी स्टिल-प्रभावित वास्तुकला में भी परिलक्षित होते हैं। विभिन्न डिब्बों / बक्सों जैसी दिखने वाली इमारतें इस कला आंदोलन के वास्तविक दुनिया के उदाहरण के रूप में काम करती हैं। डी स्टिल न केवल एक कलात्मक अभिव्यक्ति थी, बल्कि एक विचारधारा भी थी। इस आंदोलन को कई कलाकारों और वास्तुकारों के एक मुख्य समूह द्वारा साझा और प्रचारित किया गया था। इस समूह में पीट मोंड्रियन (Piet Mondrian), जे.जे.पी. औड (J.J.P. Oude), बार्ट वैन डेर लेक (Bart van der Leck), जॉर्जेस वानटोंगरलू (Georges Vantongarloo), विल्मोस हुस्ज़ार (Vilmos Huszar), गेरिट रिटवेल्ड (Gerrit Rietveld), रॉबर्ट वैन टी हॉफ और कॉर्नेलिस वैन ईस्टरेन (Robert van't Hoff and Cornelis van Easteren) जैसी उल्लेखनीय हस्तियां शामिल थीं। इन सभी के सामूहिक योगदान ने डी स्टिल की विरासत को आकार दिया और परिभाषित किया। इन सभी कलाकारों में से एक डच कलाकार, पीट मोंड्रियन, 20वीं सदी की सबसे प्रभावशाली शख्सियतों में से एक माने जाते हैं। अमूर्त कला के डच स्कूल डी स्टिल (द स्टाइल) में उनके योगदान ने कला जगत पर एक अमिट छाप छोड़ी है। मोंड्रियन की अनूठी कलात्मक भाषा, (जिसकी प्रमुख विशेषता क्षैतिज और ऊर्ध्वाधर रेखाओं और लाल, पीले और नीले रंगों का प्रयोग है), आज भी उतनी ही प्रासंगिक है, जितनी कि 20 वीं शताब्दी के मध्य में अपने चरम के दौरान थी। उनके पैलेट (Palette) में विशेष रूप से काले, सफेद और भूरे रंग, जो आध्यात्मिक तत्वों का प्रतीक थे, और लाल, नीले और पीले रंग, जो सांसारिक तत्वों का प्रतीक थे, शामिल हुआ करते थे। रंग और रेखाएं एक साथ कैसे काम करती हैं, इसकी गहराई से खोज करते हुए, मोंड्रियन की कला ने सकारात्मक और नकारात्मक तत्वों के बीच संबंध को चित्रित किया। उनकी कला सृजन की बहुलता और आध्यात्मिक एकता के बीच एक गतिशील संतुलन को चिन्हित करती है।
उनकी शैली का उनका अनुसरण करने वाले कई कलाकारों और डिज़ाइनरों पर उनके डिज़ाइनो का गहरा प्रभाव पड़ा है। आज भी हम कला और डिज़ाइन के विभिन्न क्षेत्रों में उनकी शैली की गूँज देख सकते हैं। पीट मोंड्रियन के अलावा 1918 और 1923 के बीच डच फर्नीचर डिज़ाइनर और वास्तुकार गेरिट रिटवेल्ड (1888-1964) द्वारा डिज़ाइन की गई रेड-ब्लू चेयर (red-blue chair), कुर्सियों के इतिहास की सबसे प्रसिद्ध कृतियों में से एक मानी जाती है। यह कुर्सी डी स्टिल आंदोलन के विचारों को दर्शाती है, क्यूंकि रिटवेल्ड इस आंदोलन के एक प्रमुख सदस्य थे।
यह कुर्सी चार आयताकार पैनलों और तेरह बीचवुड स्लैट्स / लकड़ी की पट्टियों (beechwood slats) से बनी है। इसके सभी हिस्से तीन डंडों के ओवरलैपिंग जोड़ का उपयोग करके जुड़ते हैं, जिसे 'रिटवेल्ड जोड़ (Rietveld joint)' या कार्टेशियन नोड (Cartesian node) के रूप में जाना जाता है। यह जोड़ स्टिल आंदोलन के केंद्र में रहे सादगी और अमूर्तता के सिद्धांत को उजागर करता है।
लाल-नीली कुर्सी अपनी मूल संरचना में टुकड़ों में निर्मित एक पारंपरिक कुर्सी की तरह दिखती है, जिसमें इसके अलग-अलग तत्व दिखाई देते हैं। रिटवेल्ड के फर्नीचर को मानकीकृत आकार और फिनिश के साथ बैचों में उत्पादित करने के लिए डिज़ाइन किया गया था, जिससे उनका बड़ी मात्रा में निर्माण करना आसान हो गया। इस तरह का मास प्रोडक्शन (Mass production) के प्रति इस कुर्सी का डिज़ाइन, उस समय के औद्योगिक युग को भी चिन्हित करता है। मूल कुर्सी 1918 में बनाई गई थी, लेकिन रिटवेल्ड ने 1923 में विशिष्ट डी स्टिल रंग (लाल, पीला, नीला और काला) जोड़ा। उस वर्ष का एक पूर्ण-सफेद संस्करण भी मौजूद है। कुल मिलाकर रेड-ब्लू चेयर केवल फर्नीचर का एक उदाहरण मात्र नहीं है, बल्कि डी स्टिल के कलात्मक और दार्शनिक आदर्शों का प्रतिनिधित्व करता है, जो सादगी, अमूर्तता और व्यक्तिगत तत्वों और सामूहिक संपूर्ण के बीच सामंजस्य प्रदर्शित करता है।

संदर्भ
https://tinyurl.com/mu6xa5v9
https://tinyurl.com/yw2n762r
https://tinyurl.com/dc5fzn29

चित्र संदर्भ
1. रेड-ब्लू चेयर को संदर्भित करता एक चित्रण (flickr)
2. सामने और बगल से देखने पर रेड-ब्लू चेयर को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. डी स्टिल कला के प्रमुख डिजाइन के उदाहरण को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. डच कलाकार पीट मोंड्रियन को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. रेड-ब्लू चेयर को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
6. रेड-ब्लू चेयर के प्रोटोटाइप को दर्शाता चित्रण (wikimedia)



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