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काल्पनिक कहानियों की किताबें पढ़ने से वास्तव में हमारा जीवन बदल सकता है। इन किताबों को पढ़ना, एक तरह से अपनी कुर्सी छोड़े बिना ही दुनियाभर की यात्रा करने जैसा है। इनके माध्यम से आपको विभिन्न स्थानों, वहां के लोगों और उनके जीवन जीने के तरीकों के बारे में पता चलता है। कहानियाँ हमें दयालु और होशियार भी बनाती हैं। यदि कोई बच्चा कम उम्र में कहानियों की किताबें पढ़ना शुरू कर दे, तो संभव है, कि किसी भी घटना का आंकलन करने में उसकी समझ दूसरों की तुलना में बेहतर होगी। वास्तव में, जो बच्चे मनोरंजन के लिए पढ़ते हैं, वे गणित, शब्दावली और वर्तनी जैसे विषयों में भी अच्छा प्रदर्शन करते हैं।
जब बच्चे कथा साहित्य पढ़ते हैं, तो वे भाषा को समझने और रचनात्मक ढंग से लिखने में बेहतर हो जाते हैं। वे नए शब्द और वाक्यांश भी सीखते हैं, जिन्हें वे रोजमर्रा की बातचीत में नहीं सुन पाते। काल्पनिक पुस्तकें बच्चों को विभिन्न स्थानों, समय, और लोगों के बारे में सिखा सकती हैं। उदाहरण के लिए, यदि कोई बच्चा प्लूटो से जुड़ी किताब पढ़ता है, तो उसकी अंतरिक्ष के बारे में और अधिक जानने में रुचि बढ़ सकती है।
इसके अलावा कथा साहित्य पढ़ने से बच्चों को दूसरे लोगों को बेहतर ढंग से समझने में भी मदद मिल सकती है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि इन किताबों में वे देखते हैं, कि कहानी के विभिन्न पात्र विभिन्न परिस्थितियों से कैसे निपटते हैं। साथ ही कहानियों के माध्यम से बच्चों को सहानुभूतिपूर्ण होने, और संवेदनशील विषयों को समझने में भी मदद मिल सकती है। उपन्यास पढ़ने से बच्चों को तनाव नहीं महसूस होता है। इससे उन्हें बेहतर नींद लेने में भी मदद मिल सकती है। सोने से पहले किताब पढ़ने से, बच्चों को व्यस्त दिन के बाद आराम करने और कई अन्य मानसिक और शारीरिक चुनौतियों से निपटने में मदद मिल सकती है।
बच्चों की कल्पनाओं को पंख देने वाली, एक ऐसी ही शानदार पुस्तक 'एंड द माउंटेन्स एकोड (And The Mountains Echoed)' भी है, जिसका लेखन खालिद होसैनी नामक एक प्रसिद्ध लेखक द्वारा किया गया है। होसैनी ने 'द काइट रनर (The Kite Runner)' और 'ए थाउजेंड स्प्लेंडिड सन्स (A Thousand Splendid Suns)', जैसी कई लोकप्रिय पुस्तकें भी लिखी हैं, जिनमें अफगानिस्तान में तालिबान और चरम इस्लामी संस्कृति की आलोचना की गई है। लेकिन उनकी किताब, 'एंड द माउंटेंस इकोड' एकदम हटकर और रोचक है।
इस किताब की शुरुआत गांवों से बच्चों को उठाकर ले जाने वाले राक्षसों से जुड़ी एक लोककथा के साथ होती है, जो पाठक को शुरुआत में ही उत्सुक और भ्रमित कर देती है। यह पुस्तक लघु कहानियों का एक संग्रह है, जिनमें से प्रत्येक अध्याय, एक अलग चरित्र और उनकी व्यक्तिगत यात्रा पर केंद्रित है। लेकिन ये कहानियाँ अपने ही भीतर ओवरलैप और इंटरसेक्ट (overlap and intersect) होती हैं, जिन्हें जोड़कर एक बड़ी कहानी बनती है।
यह पुस्तक अफगानिस्तान, विशेष रूप से काबुल के इर्द-गिर्द घूमती है। हालाँकि इसमें भी चरम इस्लामी संस्कृति, और तालिबान युग की उपस्थिति को स्वीकार किया गया है। 'एंड द माउंटेन्स इकोड' का लेखन सुंदर है, और इसमें होसैनी का कहानी कहने का ढंग वाकई में उत्तम है।
पुस्तक विभिन्न दृष्टिकोणों को जोड़कर एक रोचक कहानी बताती है, जिससे पाठक प्रत्येक पात्र से जुड़ सकते हैं। कहानी का केंद्रीय कथानक परी और अब्दुल्ला नामक भाई-बहनों पर केंद्रित है। वे बचपन में ही बिछड़ गए थे, लेकिन इसके बावजूद उनका रिश्ता मजबूत बना हुआ था। परी को काबुल के धनी वाहदाती परिवार ने गोद लिया, जबकि अब्दुल्ला अपने पिता के साथ अपने गृह गांव में ही रहता है। उनका जीवन अलग-अलग मोड़ लेता है। जैसे-जैसे परी बड़ी होती है, धीरे-धीरे अब्दुल्ला को भूल जाती है। लेकिन अब्दुल्ला, एक दिन अपनी बहन को फिर से ढूंढने का दृढ निश्चय करता है।
पुस्तक को नौ भागों में विभाजित किया गया है, प्रत्येक भाग को एक अलग चरित्र द्वारा वर्णित किया गया है। पहला भाग एक अफ़ग़ान के निवासी सबूर के दृष्टिकोण से वर्णित है। वह अपने बच्चों, अब्दुल्ला और परी को सोते समय एक कहानी सुनाता है। इस कहानी में, बाबा अयूब नाम के एक किसान को अपने प्यारे बेटे क़ैस को मजबूरन दिव नामक दुष्ट आत्मा को सौंपना पड़ता है। अपने बच्चे को सौंपने के बाद खुद से परेशान होकर, अयूब फिर से दिव को खोजने का फैसला करता है। वह अंततः एक शानदार महल में पहुचंता जहाँ वह क़ैस को अन्य बच्चों के साथ खुशी से खेलते हुए देखता है। दिव, अयूब को बताता है कि उसने क़ैस को एक बेहतरीन घर और शिक्षा दी है।
भारी मन से, अयूब, क़ैस को वहीँ छोड़ने का फैसला कर देता है। जाने से पहले, दिव अयूब को एक औषधि देता है, जिससे क़ैस से जुड़ी उसकी सारी यादें मिट जाती हैं। वह एक बूढ़े व्यक्ति के रूप में, घर लौट आता है। हालाँकि अब वह क़ैस के बारे में लगभग पूरी तरह से भूल चुका है, लेकिन फिर भी उसे कभी-कभी अपने बेटे की आवाज़ सुनाई देती है, जिसे वह अब ठीक से समझ नहीं पाता है।
पुस्तक का दूसरा भाग 1940 के दशक के अंत में स्थापित किया गया है, और इसे सबूर के छोटे बेटे, अब्दुल्ला द्वारा सुनाया गया है। अब्दुल्ला और उसकी बहन, परी, सबूर के साथ काबुल जाते हैं। सबूर ने उन्हें बताया था, कि उसे शहर में एक हवेली में काम करने के लिए बुलाया गया है, जहां उसका जीजा नबी, एक नौकर के तौर पर काम करता है। उनके छोटे से गाँव शादबाग से काबुल तक की यात्रा में लगभग एक दिन लगता है। वहां पहुंचने पर, नबी उन्हें उस हवेली में ले जाता है जहाँ वह रहता है और काम करता है। वह उन्हें हवेली के मालिकों, श्री सुलेमान वाहदाती, और श्रीमती नीला वाहदाती से मिलवाता है। यात्रा के दौरान, श्रीमती वाहदाती, अब्दुल्ला और परी को अलग-अलग कर देती हैं और अब्दुल्ला से कहती हैं कि यह उन दोनों के अच्छे के लिए है। अब वाहदाती ने परी को गोद ले लिया, और अब्दुल्ला, अपने पिता के साथ शादबाग लौट आया है। उसे ऐसा लगता है कि वह अपनी प्यारी बहन को फिर कभी नहीं देख पाएगा। हालाँकि, परी के लिए अब्दुल्ला का स्नेह आज भी मजबूत होता है। एक दिन, उसे एक छोटा पीला पंख मिला, जिसे परी द्वारा इकट्ठा किया गया था। पंख को फेंकने के बजाय, वह उसे एक दिन परी को देने का वादा करते हुए अपने पास रख लेता है।
पुस्तक का तीसरा अध्याय सबूर की दूसरी पत्नी और सौतेली माँ परवाना द्वारा, सुनाया गया है। शुरुआत में, परवाना अकेली होती है और अपनी जुड़वां बहन मासूमा की देखभाल कर रही होती है, जो एक दुर्घटना के कारण चल नहीं सकती है। कहानी में आगे पता चलता है कि,
बड़े होकर परवाना को मासूमा की लोकप्रियता और सुंदरता से ईर्ष्या होने लगी। परवाना के मन में सबूर के लिए प्रेम भावनाएँ थीं, लेकिन मासूमा ने उसका दिल जीत लिया। जब मासूमा और सबूर की सगाई हो जाती है, तो ईर्ष्या के कारण परवाना, मासूमा को एक दुर्घटना में अपाहिज करा देती है। लेकिन बाद में परवाना अपराधबोध से घिर जाती है, और मासूमा की देखभाल करने लगती है। वही सबूर एक अन्य महिला से शादी कर लेता है, जो परी को जन्म देते समय मर जाती है। पुस्तक का चौथा अध्याय नबी, परवाना और मासूमा के भाई के एक पत्र पर केंद्रित है।
नबी अमीर, वाहदाती परिवार के लिए काम करता है, और सुझाव देता है कि वे परी को गोद लें। परी के बड़े होने के बाद, नीला वाहदाती उसे पेरिस ले जाती है, और नबी को सुलेमान वाहदाती की देखभाल के लिए छोड़ देती है। नबी को सुलेमान की मृत्यु के बाद उसकी संपत्ति विरासत में मिलती है और वह अपने घर में रहने वाले एक डॉक्टर से परी को ढूंढने और उसे अब्दुल्ला के बारे में बताने के लिए कहता है।
पाँचवाँ भाग अमेरिका के दो चचेरे भाइयों, तैमूर और इदरीस का परिचय देता है, जो अपने परिवार की संपत्ति की जाँच करने के लिए काबुल जाते हैं। उनकी मुलाकात रोशना नाम की एक युवा लड़की से होती है, और इदरीस उसकी आवश्यक सर्जरी के लिए धन देने का वादा करता है।
अमेरिका में काम और घर की ज़िम्मेदारियों से अभिभूत इदरीस, रोशना के ऑपरेशन की व्यवस्था करना भूल जाता है। सालों बाद, रोशना, तैमूर की मदद से पूरी तरह से ठीक हो जाती ह, और वह अपने जीवन के बारे में एक किताब लिखती है।
पुस्तक का छटा अध्याय परी के उसकी दत्तक मां, नीला वाहदाती के साथ संबंधों की पड़ताल करता है। नीला एक सफल कवयित्री होती हैं, जिनका परी के साथ रिश्ता तनावपूर्ण होता है। परी का नीला के पूर्व प्रेमी जूलियन के साथ संबंध होता है, जिसके कारण नीला ने उसे त्याग दिया।
अध्याय सात में 2009 में, शादबाग में रहने वाले एक लड़के एडेल का परिचय दिया गया है। उसके पिता, कमांडर साहब, एक शक्तिशाली सैन्य नेता हैं। अध्याय आठ, मार्कोस वरवारिस द्वारा सुनाया गया है, जिसमें ग्रीस में उनके बचपन से लेकर उनके जीवन का विवरण दिया गया है। कथन अचानक समाप्त हो जाता है, जिससे मार्कोस की कहानी अनसुलझी रह जाती है।
अंतिम अध्याय में, अब्दुल्ला की बेटी, परी, घटनाओं का वर्णन करती है। उसने अपने बीमार माता-पिता की देखभाल के लिए अपने कला विद्यालय का त्याग कर दिया है। उसके पिता, अब्दुल्ला, कई वर्षों के बाद अपनी बहन, परी से फिर मिलते हैं। प्रारंभ में, अब्दुल्ला को परी की पहचान के बारे में संदेह था, लेकिन जब वह उनके बचपन का एक गाना गाती है तो वह उसे पहचान लेता है।
संदर्भ
https://tinyurl.com/yv32wn2p
https://tinyurl.com/4ymvn59z
https://tinyurl.com/2466s96t
https://tinyurl.com/2p9nh4k8
https://tinyurl.com/44rfc97r
चित्र संदर्भ
1. एंड द माउंटेन्स एकोड पुस्तक और अफगानी बच्चों को संदर्भित करता एक चित्रण (PickPik, amazon)
2. किताब पढ़ते बच्चे को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. खालिद होसैनी को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. एंड द माउंटेन्स एकोड पुस्तक को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. अफगानी पिता पुत्री को दर्शाता एक चित्रण (Rawpixel)
6. अफगानी बच्चों को दर्शाता एक चित्रण (Rawpixel)
7. किताबें पढ़ते छोटे बच्चों को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
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