City Subscribers (FB+App) | Website (Direct+Google) | Total | ||
3174 | 110 | 3284 |
***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions
हमारे राज्य उत्तर प्रदेश का इतिहास अत्यंत प्राचीन और बेहद रोचक है। वैदिक युग में उत्तर प्रदेश को ब्रह्मर्षि देश या मध्य देश के रूप में जाना जाता था। हमारा यह राज्य ऋषि भारद्वाज, गौतम ऋषि, ऋषि याज्ञवल्कय, महर्षि वशिष्ठ, महर्षि विश्वामित्र और महर्षि वाल्मिकी जैसे वैदिक काल के कई महान ऋषि मुनियों की कर्मभूमि रहा है। भारतीय परंपरा के दो महान महाकाव्यों रामायण और महाभारत की कहानी की शुरुआत मूलतः उत्तर प्रदेश से ही होती है। लेकिन हमारा यह राज्य हमेशा से उत्तर प्रदेश के नाम से नहीं जाना जाता था, ब्रिटिश शासन के दौरान इसे संयुक्त प्रांत कहा जाता था। और कुछ साल पहले ही उत्तर प्रदेश से एक अन्य राज्य की स्थापना भी हुई है जिसे हम उत्तराखंड के नाम से जानते हैं। तो आइए आज हम अपने राज्य उत्तर प्रदेश के इतिहास और भूगोल के बारे में जानते हैं। और इसके साथ ही उत्तर प्रदेश में से अलग राज्य बनने का कारण समझने का प्रयास करते हैं।
ब्रिटिश शासनकाल से पहले भारत उपमहाद्वीप कई छोटे छोटे राज्यों में विभाजित था। 18वीं सदी के अंत से लेकर 19वीं सदी के मध्य तक, 75 वर्षों की अवधि में धीरे-धीरे ईस्ट इंडिया कंपनी (East India Company) द्वारा वर्तमान उत्तर प्रदेश के क्षेत्र पर अधिग्रहण कर लिया गया।भारतीय उपमहाद्वीप के इस उत्तरी भाग से कई छीने गए क्षेत्र जैसे की सिंधिया नवाब का ग्वालियर (जो अब मध्य प्रदेश का हिस्सा है), और गोरखा समुदाय के नेपाल को ब्रिटिश प्रांत के 'बंगाल प्रेसीडेंसी' का हिस्सा बना लिया गया था।
लेकिन 1833 में उन्हें 'उत्तर-पश्चिमी प्रांत' के रूप में अलग कर दिया गया, जिसे बाद में 'आगरा प्रेसिडेंसी' के नाम से जाना जाने लगा। 1856 में कंपनी ने अवध साम्राज्य पर भी कब्ज़ा कर लिया और 1877 में उत्तर-पश्चिमी प्रांतों के साथ इसका विलय कर दिया। इस गठन के बाद निर्मित प्रशासनिक इकाई की सीमाएँ लगभग 1950 में बनाए गए उत्तर प्रदेश राज्य के समान थीं। 1902 में इसका नाम बदलकर आगरा और अवध का संयुक्त प्रांत कर दिया गया जिसे बाद में संयुक्त प्रांत में छोटा कर दिया गया।
1857-58 में ईस्ट इंडिया कंपनी के विरुद्ध भारत का प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम एक व्यापक विद्रोह था, जो संयुक्त प्रांत में केंद्रित था। 10 मई, 1857 को संयुक्त प्रान्त के मेरठ में सैनिकों के विद्रोह से भड़का विद्रोह कुछ ही महीनों में 25 से अधिक शहरों में फैल गया। 1858 में, ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा विद्रोह को लगभग कुचल दिया गया। लेकिन संयुक्त प्रांत और शेष ब्रिटिश भारत का प्रशासन ईस्ट इंडिया कंपनी से ब्रिटिश राज के पास चला गया। 1880 के दशक के अंत में भारतीय राष्ट्रवाद के उदय के साथ, संयुक्त प्रांत द्वारा स्वतंत्रता आंदोलन में सबसे बड़ी भूमिका निभाई गई। संयुक्त प्रांत की धरती से ही भारत को मोतीलाल नेहरू, पंडित मदन मोहन मालवीय, मोतीलाल के बेटे जवाहरलाल नेहरू और पुरूषोत्तम दास टंडन जैसे कई महत्वपूर्ण राष्ट्रवादी राजनीतिक नेता प्राप्त हुए। 1920-22 में महात्मा गांधी द्वारा चलाया गया असहयोग आंदोलन, जिसने भारत में ब्रिटिश साम्राज्य की नींव हिला दी थी, पूरे संयुक्त प्रांत में फैल गया, लेकिन चौरी चौरा कांड के बाद गाँधी जी को आंदोलन को स्थगित करना पड़ा। संयुक्त प्रान्त मुस्लिम लीग की राजनीति का भी केन्द्र था। पूरे ब्रिटिश काल में, संयुक्त प्रांत में नहरों, रेलवे और संचार के अन्य साधनों का व्यापक विकास हुआ। अंग्रेजों ने आधुनिक शिक्षा के विकास को भी बढ़ावा दिया और कई कॉलेज और विश्वविद्यालय स्थापित किए गए।
1947 में भारत की स्वतंत्रता के पश्चात संयुक्त प्रांत नव निर्मित भारत की प्रशासनिक इकाइयों में से एक बन गया। दो साल बाद संयुक्त प्रांत की सीमाओं के भीतर टिहरी-गढ़वाल (अब उत्तराखंड में), रामपुर और वाराणसी के स्वायत्त राज्यों को भी शामिल कर लिया गया। 1950 में नए भारतीय संविधान को अपनाने के साथ, संयुक्त प्रांत का नाम बदलकर उत्तर प्रदेश कर दिया गया और यह भारत गणराज्य का एक घटक राज्य बन गया। स्वतंत्रता के बाद से, राज्य ने भारत के भीतर एक प्रमुख भूमिका बनाए रखी है। देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के साथ साथ अन्य दो प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी और अटल बिहारी वाजपेयी भी हमारे इस राज्य से ही आए।
उत्तर प्रदेश के गठन के तुरंत बाद से ही, राज्य के हिमालयी क्षेत्रों में अशांति का माहौल पनपने लगा। इस क्षेत्र के लोगों द्वारा अनुभव किया जाने लगा कि राज्य की विशाल जनसंख्या और भौतिक आयामों के कारण दूर लखनऊ में बैठी सरकार के लिए उनके हितों की देखभाल करना असंभव है। व्यापक बेरोज़गारी, ग़रीबी और अपर्याप्त बुनियादी ढांचे के कारण यह असंतोष की भावना और भी अधिक तीव्र हो गई। 1990 के दशक में इस असंतोष की भावना से अलग राज्य की मांग को बढ़ावा दिया जाने लगा। लेकिन 2 अक्टूबर, 1994 को मुज़फ़्फ़रनगर में एक हिंसक घटना के बाद यह आंदोलन और भी अधिक तेज़ हो गया, जब पुलिस ने राज्य समर्थक प्रदर्शनकारियों पर गोलीबारी की; और बहुत से लोग मारे गये। अंततः, नवंबर 2000 में उत्तर प्रदेश के उत्तर-पश्चिमी भाग से अलग करके नया उत्तरांचल राज्य बनाया गया। 2007 में इसका नाम बदलकर उत्तराखंड कर दिया गया।
हालांकि एक अलग राज्य की मांग का मुख्य एवं वास्तविक कारण आर्थिक पिछड़ापन एवं बेरोज़गारी न होकर एक अलग पहचान थी। पर्वतीय क्षेत्र होने के बावजूद सच तो यह है कि कुमाऊँ और गढ़वाल क्षेत्र के जिले भी उत्तर प्रदेश के किसी भी ज़िले से अधिक समृद्ध और शिक्षित थे। 1991 की जनगणना के अनुसार, पूरे उत्तर प्रदेश में अल्मोडा सबसे अधिक साक्षर ज़िला था। जबकि उत्तर प्रदेश के आधे लोग ग़रीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर रहे थे, उत्तराखंड में, हर परिवार के पास अपना घर था। अधिकांश पहाड़ी लोग सेना में कार्यरत थे और हर परिवार में कम से कम एक व्यक्ति के पास सरकारी नौकरी थी। दरअसल, उत्तराखंड आंदोलन के पीछे मूल विचारधारा "पहाड़ी अस्मिता" थी। कुमाऊँ और गढ़वाल तथा शेष उत्तर प्रदेश की संस्कृति, परंपराओं, त्यौहारों और भाषा के बीच कोई समानता नहीं है। कुमाऊं और गढ़वाल की संस्कृति और परंपराएं उत्तर प्रदेश के किसी भी क्षेत्र की तुलना में पड़ोसी राज्य हिमाचल और यहां तक कि जम्मू और कश्मीर की परम्पराओं से अधिक मिलती-जुलती हैं।
पूर्वी उत्तर प्रदेश की संस्कृति, जातीयता और भाषा बिहार के समान है, जबकि पश्चिमी उत्तर प्रदेश की हरियाणा के समान है। लेकिन, कुमाऊं और गढ़वाल में इनमें से किसी भी क्षेत्र के साथ कोई समानता नहीं है। अतीत में, कुमाऊँ और गढ़वाल पर कई वर्षों तक पँवार, चंद, साह और कत्यूर राजवंशों का शासन था। जब उत्तर प्रदेश सहित पूरा उत्तर भारत इस्लामी मुगल शासन के अधीन था, तब भी उत्तराखंड के कुमाऊं और गढ़वाल क्षेत्र स्वतंत्र थे। पूरे इतिहास में कोई भी इस्लामी आक्रमणकारी कभी भी कुमाऊँ और गढ़वाल क्षेत्र पर विजय प्राप्त नहीं कर सका। ब्रिटिश राज के तहत, अंग्रेजों ने अपनी सुविधा के अनुसार राज्यों का गठन किया और कुमाऊं और गढ़वाल उत्तरी प्रांत के अंतर्गत थे, लेकिन टिहरी गढ़वाल तब भी एक स्वतंत्र राज्य था।
वास्तव में एक अलग राज्य की मांग के पीछे पहाड़ी क्षेत्रों में विकास की कमी, ख़राब प्रशासन, पिछड़ापन और व्यापक ग़रीबी के साथ साथ मुख्य रूप से अलग भू-सांस्कृतिक विशिष्टताओं में अंतर था।
उत्तराखंड के गठन से संबंधित इतिहास और प्रमुख बिंदुओं को संक्षिप्त रूप से निम्न प्रकार देखा जा सकता है:
• पौरव, कुषाण, कुणिंद, गुप्त, गुर्जर-प्रतिहार, कत्यूरी, रायका, पाल, चंद, परमार या पंवार और अंग्रेजों द्वारा क्रमशः उत्तराखंड पर शासन किया गया।
• मध्ययुगीन काल तक, यह क्षेत्र पश्चिम में गढ़वाल साम्राज्य और पूर्व में कुमाऊँ साम्राज्य के अधीन समेकित हो गया था।
1700 के दशक के अंत में, गोरखाओं ने इस क्षेत्र पर आक्रमण किया। उनका शासन लगभग 24 वर्षों तक चला। ब्रिटिश क्षेत्र में उनके बार-बार घुसपैठ के परिणामस्वरूप एंग्लो-नेपाली युद्ध हुआ। गोरखा हार गए और सगौली की संधि के तहत यह क्षेत्र अंग्रेजों को सौंप दिया गया।
• हालाँकि आज़ादी के बाद एक अलग राज्य के लिए चर्चा 1930 के दशक में ही शुरू हो गई थी जब 1938 में जवाहरलाल नेहरू ने श्रीनगर गढ़वाल कांग्रेस कमेटी की बैठक में सैद्धांतिक रूप से क्षेत्र की भू-सांस्कृतिक विशिष्टताओं के आधार पर इस विचार को स्वीकार किया था। आज़ादी के बाद इस क्षेत्र का उत्तर प्रदेश राज्य में विलय कर दिया गया।
• आज़ादी के बाद अलग राज्य के लिए कई छोटे-बड़े विरोध प्रदर्शन हुए, लेकिन 1994 तक आंदोलन तेज हो गया, जब पुलिस फायरिंग (रामपुर तिराहा फायरिंग केस) में दर्जनों लोग मारे गए।
• 1998 में, उत्तर प्रदेश विधान सभा और विधान परिषद ने उत्तर प्रदेश पुनर्गठन विधेयक पारित किया, जिससे एक नए राज्य के निर्माण की प्रक्रिया शुरू हुई। दो साल बाद भारत की संसद ने उत्तर प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम, 2000 पारित किया और इस प्रकार 9 नवंबर, 2000 को, भारतीय गणराज्य के 27वें राज्य, उत्तरांचल का जन्म हुआ, जिसका नाम 1 जनवरी, 2007 को जनता की आकांक्षाओं के अनुसार उत्तराखंड कर दिया गया।
संदर्भ
https://shorturl.at/NQRTY
https://shorturl.at/ipB12
https://shorturl.at/ijIO9
चित्र संदर्भ
1. उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के संयुक्त मानचित्र तथा केदारनाथ मंदिर को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia,picryl)
2. उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के संयुक्त मानचित्र को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. ब्रिटिशकालीन भारत के मानचित्र को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. रामपुर तिराहा कांड की खबर प्रदर्शित करते एक अख़बार को दर्शाता एक चित्रण (youtube)
5. कत्यूरी राजा के वंशज को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
© - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.