अंतर्राष्ट्रीय मूर्तिकला दिवस की उत्पत्ति कैसे हुई? व जानें इतिहास और महत्व

दृष्टि III - कला/सौंदर्य
27-04-2024 09:38 AM
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अंतर्राष्ट्रीय मूर्तिकला दिवस की उत्पत्ति कैसे हुई? व जानें इतिहास और महत्व

आज 27 अप्रैल के दिन को पूरी दुनिया में अंतर्राष्ट्रीय मूर्तिकला दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। आज का दिन हमें हमारे जीवन में मूर्तिकला की अहमियत को समझने के लिए प्रेरित करता है। आज इस अवसर का लाभ उठाते हुए हम भी यह जानने की कोशिश करेंगे कि मूर्तिकला वास्तव में क्या है और इसकी उत्पत्ति कैसे हुई? आख़िर हर साल अप्रैल के आखिरी शनिवार को ही अंतर्राष्ट्रीय मूर्तिकला दिवस के रूप में मनाया जाता है? इस अवसर को पूरी दुनिया में मनाया जाता है, और इस दिन हमारे समाज में प्रतिमाओं की भूमिका को समझने का प्रयास किया जाता है। मूर्तियां, त्रि-आयामी कलाकृतियां (Three-Dimensional Artworks) होती हैं, और अक्सर अमूर्त अवधारणाओं को दर्शाती हैं! इन्हें आमतौर पर पत्थर या लकड़ी जैसी सामग्री को तराश कर बनाया जाता है। मूर्तियों ने मानव इतिहास की विभिन्न संस्कृतियों की धार्मिक प्रथाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। आज के दिन को अंतर्राष्ट्रीय मूर्तिकला दिवस मनाने की पहल पहली बार 2015 में अमेरिका स्थित गैर-लाभकारी संगठन इंटरनेशनल स्कल्पचर सेंटर (International Sculpture Center (ISC) द्वारा की गई थी। आईएससी का लक्ष्य मूर्तियों के निर्माण और समझ को बढ़ावा देना है। इस दिन की स्थापना समाज में मूर्तिकला कला के प्रति जागरूकता बढ़ाने और लोगों को इसके विभिन्न रूपों की खोज करने तथा उन खोजों को महत्व देने के लिए प्रेरित करने के अनुरूप की गई थी। यह अनोखा अवसर हमें मौक़ा देता है किं हम केवल प्रतिमाओं की सुंदरता को न निहारकर उनके राजनीति, धर्म, इतिहास और मानव अस्तित्व के कई अन्य पहलुओं को भी समझने का प्रयास करें। मूर्तियाँ बनाने के लिए मूर्तिकार, चार मुख्य तकनीकों का उपयोग करते हैं, जिन्हें या तो सबट्रैक्टिव (Subtractive) यानी घटाव (जहां सामग्री हटा दी जाती है) या एडिटिव (Additive) यानी योगात्मक (जहां सामग्री जोड़ी जाती है!) के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है।
1. नक्काशी: नक्काशी में पत्थर, लकड़ी या अन्य कठोर सामग्री के द्रव्यमान से किसी आकृति को काटना या अलग करना शामिल है। नक्काशी एक सबट्रैक्टिव प्रक्रिया है, जिसके तहत अतिरिक्त सामग्री को छेनी और हथौड़े की मदद से व्यवस्थित रूप से बाहर निकाला जाता है।
2. कास्टिंग (Casting): कास्टिंग एक योगात्मक विधि है, जिसके तहत एक सामग्री, आमतौर पर एक धातु, को पिघलाया जाता है और एक सांचे में डाला जाता है। एक बार जब सांचा ठंडा हो जाता है, तो धातु सख्त हो जाती है, और इस प्रकार हमें एक जीवंत प्रतिमा प्राप्त हो जाती है।
3. मॉडलिंग (Modeling): मॉडलिंग भी एक योगात्मक विधि है, जिसके तहत मिट्टी जैसी नरम या लचीली सामग्री को मिलाकर मूर्ति को बनाया जाता है। इसे कभी-कभी, ढांचे पर निर्मित किया जाता है, जिसे आर्मेचर (Armature) के रूप में जाना जाता है।
4. संयोजन: संयोजन भी एक योगात्मक विधि है, जिसके तहत एक मूर्तिकला बनाने के लिए विभिन्न सामग्रियों का संयोजन किया जाता है। इस तकनीक से निर्मित प्रतिमाओं का एक उदाहरण मार्टिन प्यूरीयर (Martin Puryear) की कलाकृति, "दैट प्रोफाइल (That Profile)" है। पाषाण युग के विशाल मोनोलिथ (Monolith) से लेकर प्राचीन ग्रीस में परिष्कृत संगमरमर की मूर्तियों तक, और शक्तिशाली पुनर्जागरण कांस्य आकृतियों से लेकर आधुनिक अमूर्त प्रतिष्ठानों तक, मूर्तिकला मानव सभ्यता के साथ-साथ विकसित होती है। अपने शुरुआती दिनों में, मूर्तियां धार्मिक और आध्यात्मिक अनुष्ठानों से निकटता से जुड़ी हुई थीं। प्राचीन यूनानियों ने कठोर शैलियों से हटकर मानव शरीर के अधिक यथार्थवादी प्रतिनिधित्व को अपनाकर मूर्तिकला में क्रांति ला दी। इस युग में कॉन्ट्रापोस्टो (Contrapposto) की शुरुआत हुई, जो कि एक ऐसी तकनीक थी, जिसने मूर्तियों को गति और यथार्थवाद की भावना दी। पुनर्जागरण काल में माइकल एंजेलो और डोनाटेलो (Michelangelo And Donatello) जैसे कलाकारों ने प्रसिद्ध रचनाएँ बनाईं, जिन्होंने मानवतावाद पर प्रकाश डाला और मूर्तिकला के लिए कांस्य के लचीलेपन का प्रदर्शन किया। आधुनिक युग में पारंपरिक मूर्तिकला के बजाय अमूर्त रूपों और प्रतिमा निर्माण के लिए विभिन्न प्रकार की सामग्रियों का आगमन हुआ। कॉन्स्टेंटिन ब्रैंकुसी (Constantin Brancusi) जैसे कलाकार, अपनी सरलीकृत आकृतियों के साथ, और भावनाओं से भरी स्थापनाओं के साथ, आधुनिक मूर्तिकला की असीमित रचनात्मकता दिखाते हैं। प्रत्येक मूर्ति, चाहे छोटी मूर्ति हो या बड़ा स्मारक, एक कहानी कहती है। इतिहास की भूलभुलैया में पाई गई ये कहानियाँ अपनी रचना करने वाले समाजों की संस्कृतियों, मूल्यों और लक्ष्यों की मूल्यवान समझ प्रदान करती हैं।

संदर्भ
https://tinyurl.com/mszbxma2
https://tinyurl.com/4cfu5h8m
https://tinyurl.com/y2d8ux7m

चित्र संदर्भ

1. जटायु अर्थ सेंटर, जिसे जटायु नेचर पार्क या जटायु रॉक के नाम से भी जाना जाता है, केरल के कोल्लम के चदयामंगलम में एक पार्क और पर्यटन केंद्र है। को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. अंतर्राष्ट्रीय मूर्तिकला दिवस लेखन को दर्शाता एक चित्रण (प्रारंग चित्र संग्रह)
3. एक भारतीय मूर्तिकार को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. लकड़ी के मूर्तिकार को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. मोनोलिथ को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
6. कॉन्ट्रापोस्टो एक ऐसी तकनीक थी, जिसने मूर्तियों को गति और यथार्थवाद की भावना दी। को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)