बारादरी शब्द दो शब्दों के संयोग से बना है पहला है बारा= बारह और दूसरा है दरी-द्वार अर्थात बारादरी का शाब्दिक अर्थ है बारह द्वार की इमारत। लखनऊ के कैसर बाग़ में स्थित बारादरी अपने सफेद रंग के कारण सफेद बारादरी के नाम से भी जाना जाता है, वर्तमानकाल में यह उत्सव और संगीत के लिए प्रयोग किया जाता है, जहां शहर के अभिजात वर्ग विवाह स्वागत समारोह आयोजित करता है। परन्तु शायद ही कुछ लोग को यह पता होगा की बारादरी एक शोक मानाने की ईमारत थी। इस ईमारत का नाम कसर-उल-एज़ा है। जैसा कि यह अवध के आखिरी नवाब वाजिद अली शाह द्वारा इमाम हुसैन और कर्बला में उनके अनुयायियों के शहीदी के लिए आजादारी (शोक) को मानाने के लिए इमामबारा के रूप में बनवाया गया था।
लखनऊ के प्रमुख बारादरी (सफ़ेद बारादरी) में वैसे तो कई द्वार हैं पर प्रमुख द्वार पर एक बड़ी छत की तरह है जिसपर संगमरमर पर नक्काशी की गयी है। इसके ऊपर अष्टकोणीय मीनार है। सफ़ेद बारादरी के अन्दर के भाग में अत्यंत विशिष्ट स्टको का कार्य किया गया है तथा इसके द्वारों पर भी गहन कलाकारी की गयी है। इस बारादरी में महाराजा मान सिंह और दिग्विजय सिंह बलरामपुर की प्रतिमाये लगायी गयी हैं जो की अंजुमन-ए-हिन्द के संस्थापक थे। वर्तमान काल में यह विवाह आदि उत्सवों के लिए प्रयोग में लायी जाती है, पर आज भी इसकी कलाकारी किसी का भी ध्यान आकर्षण करने में पीछे नहीं हटती।
1.इनक्रेडिबल लखनऊ: ए विजिटर्स गाइड, सैयद अनवर अब्बास
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