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प्रत्येक वर्ष 7 अप्रैल को दुनिया भर के लोगों में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता उत्पन्न करने के लिए ‘विश्व स्वास्थ्य दिवस’ (World Health Day) मनाया जाता है। आधुनिक युग में तकनीक और विज्ञान की प्रगति के कारण मूलभूत बुनियादी सुविधाएं जैसे-जैसे सुलभ होती जा रही हैं, वैसे वैसे मानव स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं भी बढ़ती जा रही हैं। जिसके कारण मानसिक स्वास्थ्य एक चिंताजनक मुद्दा बन गया है। तो आइए आज विश्व स्वास्थ्य दिवस के इतिहास और महत्व के विषय में जानते हैं। इसके साथ ही आज की दुनिया में सबसे बड़े मानसिक स्वास्थ्य मुद्दों में से एक अवसाद, इसके लक्षण, कारण और इलाज के बारे में भी जानते हैं जो आज अधिकांशतः लोगों की जान ले रहा है।
प्रत्येक वर्ष 7 अप्रैल को ‘विश्व स्वास्थ्य संगठन’(World Health Organization (WHO) की स्थापना के उपलक्ष्य में ‘विश्व स्वास्थ्य दिवस’मनाया जाता है। वैश्विक स्वास्थ्य मुद्दों के बारे में जागरूकता बढ़ाने और स्वास्थ्य तथा कल्याण के महत्व पर प्रकाश डालने के कारण इस दिन को अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। 1948 में विश्व स्वास्थ्य संगठन की स्थापना के बाद, 1950 से विश्व स्वास्थ्य दिवस लगातार मनाया जा रहा है। तब से, WHO का उद्देश्य दुनिया भर की सरकारों, संगठनों और व्यक्तियों को, स्वास्थ्य और कल्याण को प्राथमिकता देने तथा स्वास्थ्य में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित करना है। इसके साथ WHO द्वारा इस दिन कई कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं। इसका मुख्य उद्देश्य स्वस्थ जीवन को बढ़ावा देना और विभिन्न स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों के बारे में जागरूकता बढ़ाना है।
WHO के अनुसार, हमारे समग्र स्वास्थ्य पर हमारे मानसिक स्वास्थ्य का महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। मानसिक स्वास्थ्य के बिना स्वास्थ्य की कल्पना निरर्थक है। मानसिक स्वास्थ्य का तात्पर्य केवल मानसिक विकारों की अनुपस्थिति ही नहीं है। बल्कि मानसिक स्वास्थ्य, स्वास्थ्य का एक अभिन्न अंग है। पिछले कुछ वर्षों में कई व्यक्तियों द्वारा अनुभव किए गए तनाव, चिंता, अवसाद और अलगाव के कारण उनके मानसिक स्वास्थ्य पर महत्वपूर्ण असर देखा गया है। लैंसेट अध्ययन (Lancet Study) के अनुसार, 2020 में कोरोना महामारी के कारण, चिंता विकारों के 76.2 मिलियन और अवसादग्रस्तता विकारों के 53.2 मिलियन अधिक मामलों के साथ, अवसादग्रस्तता और चिंता विकारों में 35% की वृद्धि देखी गई।
अवसाद एक सामान्य मानसिक विकार है, जिसके कारण लगातार उदासी की भावना बनी रहती है और व्यक्ति की उन गतिविधियों एवं वस्तुओं में रुचि कम हो जाती है जिन्हें वह सामान्य रूप से आनंद के साथ करना पसंद करता है। साथ ही कम से कम लगातार दो सप्ताह तक दैनिक गतिविधियों को करने में कठिनाई महसूस होने लगती है।
इसके अलावा, अवसाद से ग्रस्त लोगों में आमतौर पर निम्नलिखित लक्षण देखे जा सकते हैं:
➼ थकावट महसूस करना
➼ भूख न लगना
➼ सामान्य से कम या ज्यादा सोना
➼ चिंता
➼ एकाग्रता में कमी
➼ अनिश्चितता
➼ बेचैनी
➼ मूल्यहीनता, अपराधबोध या निराशा की भावना और
➼ खुद को नुकसान पहुंचाने या आत्महत्या के विचार
आज अवसाद पूरे विश्व में सबसे व्यापक रूप से फैलने वाली बीमारी और सबसे आम मानसिक विकार है। दुनिया भर में अवसाद विकलांगता का प्रमुख कारण भी है। इसी के कारण व्यक्ति में अन्य गंभीर बीमारियां जैसे कि रक्तचाप, हृदय रोग आदि भी उत्पन्न हो जाती हैं। बीमारियों के समग्र वैश्विक बोझ में इसका प्रमुख योगदान है। इसकी सबसे बुरी स्थिति में, व्यक्ति आत्महत्या जैसा विनाशकारी क़दम भी उठा सकता है। लक्षणों की संख्या और गंभीरता के आधार पर, अवसादग्रस्तता को हल्के, मध्यम या गंभीर के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है। इसके साथ ही उन्माद से पीड़ित लोगों के इतिहास के आधार पर भी अवसाद के बीच एक महत्वपूर्ण अंतर भी किया जाता है। दोनों प्रकार के अवसाद लंबे समय तक बने रह सकते हैं, दोबारा हो सकते हैं, खासकर यदि उनका इलाज नहीं किया जाता है।
बार-बार होने वाला अवसादग्रस्तता विकार:
इस विकार में अवसादग्रस्तता की घटनाएं बार-बार होती हैं। इन प्रकरणों के दौरान, व्यक्ति उदास मनोदशा, रुचि और आनंद की हानि और ऊर्जा में कमी का अनुभव करता है जिसके परिणामस्वरूप कम से कम दो सप्ताह तक उसकी गतिविधि कम हो जाती है। अवसाद से ग्रस्त बहुत से लोग चिंता, नींद की कमी और भूख से भी पीड़ित होते हैं और उनमें अपराध बोध या आत्मसम्मान की कमी, एकाग्रता की कमी और यहां तक कि चिकित्सकीय रूप से अस्पष्ट लक्षण भी हो सकते हैं। लक्षणों की संख्या और गंभीरता के आधार पर, इस अवसादग्रस्तता विकार को हल्के, मध्यम या गंभीर के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है। हल्के अवसादग्रस्तता वाले व्यक्ति को सामान्य काम और सामाजिक गतिविधियों को जारी रखने में कुछ कठिनाई होती है, लेकिन संभवतः वह पूरी तरह से कार्य करना बंद नहीं करता है। एक गंभीर अवसादग्रस्तता विकार के दौरान, पीड़ित व्यक्ति सामाजिक या घरेलू गतिविधियों से अधिकांश विरक्त हो जाता है।
द्विध्रुवी भावात्मक विकार:
इस प्रकार के अवसाद में आम तौर पर उन्माद और अवसादग्रस्तता दोनों प्रकार की घटनाएं सामने आती हैं जो सामान्य मनोदशा से अलग होती हैं। उन्माद प्रकरणों में चिड़चिड़ापन, अति-सक्रियता, बोलने का दबाव, बार बार आत्म-सम्मान आगे लाना और नींद की कमी जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। यह अवसाद एक बहु-कारकीय नैदानिक घटना है। यह सामाजिक, मनोवैज्ञानिक और जैविक कारकों से उत्पन्न होता है। इसका सबसे प्रमुख कारण तनावपूर्ण जीवन होता है जो व्यक्ति को बाद की घटनाओं के प्रति अधिक संवेदनशील बना देता है।
हालांकि अवसाद के सटीक कारण अभी तक अज्ञात हैं, लेकिन शोधकर्ताओं के अनुसार इसके विकास में कई कारक योगदान करते हैं, जिनमें प्रमुख रूप से निम्नलिखित शामिल हैं:
➼ मस्तिष्क रसायन: सेरोटोनिन (serotonin) और डोपामाइन (dopamine) सहित तंत्रिका संचारकों का असंतुलन, अवसाद के विकास में योगदान देता है।
➼ आनुवंशिकी: यदि परिवार में पहली श्रेणी के रिश्तेदार अर्थात जैविक माता-पिता या भाई-बहन को अवसाद की समस्या होती है, तो व्यक्ति में इस स्थिति के विकसित होने की संभावना लगभग तीन गुना अधिक होती है। हालाँकि, पारिवारिक इतिहास न होने पर भी अवसाद हो सकता है।
➼ तनावपूर्ण जीवन: कठिन अनुभव, जैसे किसी प्रियजन की मृत्यु, आघात, तलाक, अलगाव और समर्थन की कमी, अवसाद का कारण हो सकते हैं।
➼ चिकित्सीय स्थिति: दीर्घकालिक दर्द और मधुमेह जैसी दीर्घकालिक स्थितियाँ अवसाद का कारण बन सकती हैं।
➼ दवाएँ: कुछ दवाओं के दुष्प्रभाव के परिणामस्वरूप भी अवसाद हो सकता है। शराब सहित मादक द्रव्यों का सेवन भी अवसाद का कारण बन सकता है या इसे बदतर बना सकता है।
हालांकि, सबसे अधिक व्याप्त बीमारी होने के बावजूद अवसाद सबसे अधिक इलाज योग्य मानसिक स्वास्थ्य स्थितियों में से एक है। अवसाद से पीड़ित लगभग 80% से 90% लोग, जो अपना उपचार कराना चाहते हैं उनमें अंततः उपचार के प्रति सकारात्मक प्रतिक्रिया देखी जाती है।
इसके विभिन्न उपचार के विकल्पों में शामिल हैं:
➼ मनोचिकित्सा: मनोचिकित्सा जिसे बातचीत थेरेपी भी कहते हैं, में मानसिक स्वास्थ्य पेशेवर से बात करना शामिल है। आपका चिकित्सक आपको अस्वस्थ भावनाओं, विचारों और व्यवहारों को पहचानने और बदलने में मदद करता है। मनोचिकित्सा कई प्रकार की होती है जिसमे संज्ञानात्मक व्यवहार थेरेपी (Cognitive Behavioral Therapy (CBT) सबसे आम है। कभी-कभी, आपको संक्षिप्त चिकित्सा की ही आवश्यकता होती है। जबकि कई लोगों को कई महीनों या वर्षों तक उपचार जारी रखना पड़ता है।
➼ दवा: निर्धारित अवसादरोधी दवाओं से मस्तिष्क रसायन को बदलने में सहायता मिल सकती है जो अवसाद का कारण बनती है। अवसादरोधी दवाएं कई अलग-अलग प्रकार की होती हैं, और एक व्यक्ति के लिए सबसे उपयुक्त कौन सी दवा है, इसका पता लगाने में समय लग सकता है। कुछ अवसादरोधी दवाओं के दुष्प्रभाव भी होते हैं, जो अक्सर समय के साथ बदतर हो जाते हैं।
➼ पूरक चिकित्सा: पारंपरिक पश्चिमी चिकित्सा के साथ हल्के अवसाद या मौजूदा लक्षणों वाले लोग एक्यूपंक्चर (acupuncture), मालिश, सम्मोहन और जैव प्रतिपूर्ति जैसे उपचार भी करा सकते हैं।
➼ मस्तिष्क उत्तेजना चिकित्सा: मस्तिष्क उत्तेजना चिकित्सा उन लोगों की मदद कर सकती है जो गंभीर अवसाद या मनोविकृति से पीड़ित होते हैं। मस्तिष्क उत्तेजना चिकित्सा के प्रकारों में इलेक्ट्रोकन्वल्सिव थेरेपी (Electroconvulsive Therapy (ECT), ट्रांसक्रानियल चुंबकीय उत्तेजना (Transcranial Magnetic Stimulation (TMS) और वेगस तंत्रिका उत्तेजना (Vagus Nerve Stimulation (VNS) शामिल हैं।
अवसाद के लक्षणों को सुधारने के लिए आप घर पर भी कुछ उपाय कर सकते हैं, जिनमें शामिल हैं:
➼ नियमित व्यायाम करना।
➼ अच्छी नींद लेना (बहुत कम या बहुत अधिक नहीं)।
➼ स्वस्थ आहार लेना।
➼ मादक पदार्थों से परहेज करें, जो अवसाद जनक है।
➼ उन लोगों के साथ समय बिताना जिनकी आप परवाह करते हैं।
संदर्भ
https://tinyurl.com/4bsybuzs
https://tinyurl.com/3d6nsfwr
https://tinyurl.com/5e6yr8nx
चित्र संदर्भ
1. तनावग्रस्त महिला को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. अवसाद की कुंठा को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. तनाव में एक स्त्री को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. उदास महिला को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. चिकित्सा सलाह को संदर्भित करता एक चित्रण (pxhere)
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