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आज भले ही विज्ञान एवं तकनीक ने कितनी भी प्रगति क्यों ना कर ली हो, लेकिन आज भी विज्ञान का मानना है कि मनुष्य अपने भविष्य के विषय में नहीं जान सकता। लेकिन प्राचीन काल से ही हमारे भारत में एक ऐसी विद्या प्रचलित है जिसके माध्यम से किसी भी व्यक्ति के हाथ की रेखाओं को देखकर और पढ़कर उसका भविष्य बताया जा सकता है। इस विद्या को हस्तरेखा विज्ञान के नाम से भी जाना जाता है। और इस विज्ञान से जुड़े हस्तरेखा शास्त्र को हस्त समुद्र शास्त्र के नाम से जाना जाता है।
ऐसा माना जाता है कि यह शास्त्र प्रारंभ से ही वैदिक ज्योतिष का एक हिस्सा है। मान्यता है कि यदि हस्तरेखा शास्त्र का अध्ययन वैदिक दृष्टिकोण से किया जाए तो व्यक्ति अपने जीवन का बेहतर तरीके से आत्ममंथन कर सकता है। न केवल हमारे देश भारत में बल्कि दुनिया भर में हस्तरेखा विज्ञान का अभ्यास किया जाता है। तो आइए आज हम समझते हैं कि हस्तरेखा शास्त्र वास्तव में क्या है, यह कैसे काम करता है और इसका इतिहास क्या है। इसके साथ ही हस्तरेखा विज्ञान में शुभ और अशुभ संकेतों की धारणा के विषय में भी जानते हैं और समझते हैं कि क्या ये संकेत वास्तव में हमारे जीवन को प्रभावित करते हैं?
हस्तरेखा विज्ञान एक प्राचीन प्रथा है जिसने सदियों से लोगों को आकर्षित किया है। इसके तहत व्यक्ति के हाथ की भौतिक विशेषताओं का विश्लेषण करके व्यक्तित्व लक्षणों की व्याख्या और भविष्य की घटनाओं की भविष्यवाणी की जाती है। इस विज्ञान में हथेली की रेखाओं से लेकर, हाथ के आकार तक, हर पहलू की एक अनोखी व्याख्या होती है जिसके द्वारा बताया जाता है कि भविष्य में क्या होने वाला है। हस्तरेखा विज्ञान अति प्राचीन काल से ही विभिन्न संस्कृतियों और महाद्वीपों तक फैला हुआ है। हालांकि इसकी उत्पत्ति प्राचीन भारत में मानी जाती है, जहां से यह चीन (China), तिब्बत, फ़ारस (Persia), मिस्र (Egypt) और ग्रीस (Greece) सहित दुनिया के अन्य हिस्सों में फैल गया। अरस्तू जैसे प्रसिद्ध दार्शनिकों द्वारा भी अपने कार्यों में इसके बारे में लिखा गया है। यद्यपि मध्य युग के दौरान हस्तरेखा विज्ञान का प्रचलन कम हो गया, लेकिन जादू-टोने में लोगो की बढ़ती रुचि के कारण 19वीं शताब्दी में इसका पुनरुत्थान हुआ। हस्तरेखा विज्ञान समितियों की स्थापना की गई और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कीरो (Cheiro) जैसे प्रभावशाली हस्तरेखा विशेषज्ञ उभर कर आए। यह विज्ञान आज भी लोगों को अपने जीवन के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए आकर्षित करता है।
हस्तरेखा विज्ञान के तहत हाथ का आकार, हथेली की रेखाएं और हाथ के पर्वतों जैसे विभिन्न मूलभूत तत्वों का बारीकी से अध्ययन किया जाता है:
हाथ का आकार: हस्तरेखा विज्ञान में हाथ की आकृति की एक महत्वपूर्ण भूमिका होती है। हाथ की आकृति चार प्राथमिक तत्वों - पृथ्वी, वायु, अग्नि या जल - में से एक के साथ जुड़ी होती है। जिस तरह से एक व्यक्ति के राशि चक्र में कई ज्योतिषीय चिन्ह एक साथ मौजूद हो सकते हैं, उसी तरह एक ही हथेली में कई तात्विक प्रभाव भी हो सकते हैं।
पृथ्वी हाथ: पृथ्वी तत्व से जुड़ें हाथों की विशेषता चौकोर हथेलियाँ और छोटी उंगलियाँ होती हैं। ऐसे हाथ छूने में दृढ़, ठोस और मांसल होते हैं। पृथ्वी तत्व वाले हाथ वाले लोग व्यावहारिक, तार्किक और ज़मीन से जुड़े व्यक्ति होते हैं जो अपने जीवन में स्थिरता को प्राथमिकता देते हैं।
अग्नि हाथ: अग्नि तत्व से जुड़ें हाथों की हथेलियाँ लंबी और उंगलियाँ छोटी होती हैं। अग्नि हाथ वाले लोगों की हथेलियों पर बहुत सारी गहरी रेखाएं होती हैं, और वे अत्यधिक रचनात्मक होते हैं। अग्नि हाथ वाले व्यक्ति अपने जुनून, आत्मविश्वास और मेहनत के लिए जाने जाते हैं।
वायु हाथ: वायु तत्व से जुड़ें हाथों में चौकोर हथेलियाँ और लंबी उंगलियाँ होती हैं। वायु हाथ वाले व्यक्तियों में जन्मजात विश्लेषणात्मक क्षमता, बौद्धिक जिज्ञासा और उत्कृष्ट संचार कौशल होते हैं। ऐसे व्यक्तियों की व्यंग्य क्षमता अद्भुत होती है। साथ ही वे निष्पक्षता को महत्त्व देते हैं।
जल हाथ: संकीर्ण हथेलियों और उंगलियों वाले जल तत्व से जुड़े हाथों में हल्की उकेरी हुई रेखाएं होती हैं। उनमें नरम और चिपचिपा स्पर्श होता है, जो उन्हें एक संकीर्ण रूप देता है। जल हाथ वाले लोग अत्यधिक सहज, भावनात्मक रूप से संवेदनशील और रचनात्मक व्यक्ति होते हैं।
हस्तरेखाएं:
हस्तरेखा विज्ञान के सबसे प्रसिद्ध पहलुओं में से एक है हस्तरेखाओं की व्याख्या। ये रेखाएं किसी व्यक्ति के जीवन, रिश्तों और भाग्य के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करती हैं। हस्तरेखा पढ़ने में उपयोग की जाने वाली प्राथमिक रेखाओं में जीवन रेखा, हृदय रेखा, मस्तिष्क रेखा, भाग्य रेखा और सूर्य रेखा शामिल हैं:
जीवन रेखा: जीवन रेखा वह रेखा है जो अंगूठे के आधार के चारों ओर घूमती है और कलाई की ओर बढ़ती है। आम धारणा के विपरीत, यह रेखा किसी व्यक्ति के जीवन की लंबाई को नहीं, बल्कि व्यक्ति की जीवन शक्ति और समग्र कल्याण को दर्शाती है। लंबी, गहरी और अखंडित जीवन रेखा मजबूत शारीरिक स्वास्थ्य और जीवन शक्ति का संकेत देती है। छोटी या खंडित जीवन रेखा स्वतंत्रता और आत्मनिर्भरता की कमी का संकेत दे सकती है। एकाधिक जीवन रेखाएं प्रचुर ऊर्जा और जीवन के प्रति उत्साह का संकेत दे सकती हैं। जीवन रेखा पर एक वृत्त या द्वीप शारीरिक चोट या स्वास्थ्य समस्याओं का संकेत हो सकता है।
हृदय रेखा: हृदय रेखा, जिसे प्रेम रेखा भी कहा जाता है, हथेली के ऊपरी भाग में, उंगलियों के ठीक नीचे, क्षैतिज रूप से होती है। यह रेखा किसी व्यक्ति की भावनात्मक क्षमता के बारे में अंतर्दृष्टि प्रदान करती है। लंबी और गहरी हृदय रेखा एक भावुक और भावनात्मक रूप से अभिव्यंजक स्वभाव का संकेत देती है। छोटी या उथली हृदय रेखा एक आरक्षित या भावनात्मक रूप से कम प्रदर्शनकारी व्यक्तित्व का संकेत दे सकती है। एक हृदय रेखा जो तर्जनी उंगली के नीचे से शुरू होती है वह रिश्तों में संतुष्टि का संकेत देती है, जबकि ऐसी रेखा जो मध्यमा उंगली के नीचे से शुरू होती है वह बेचैनी का संकेत देती है। हृदय रेखा में दरारें या कांटे महत्वपूर्ण भावनात्मक घटनाओं या परिवर्तनों का संकेत दे सकते हैं।
मस्तिष्क रेखा: मस्तिष्क रेखा, जिसे ज्ञान रेखा भी कहा जाता है, हथेली के मध्य भाग में हृदय रेखा और जीवन रेखा के बीच क्षैतिज रूप से होती है। यह रेखा व्यक्ति की बौद्धिक क्षमताओं, मानसिक प्रक्रियाओं और संचार शैली का प्रतिनिधित्व करती है। एक लंबी और गहरी मस्तिष्क रेखा मजबूत विश्लेषणात्मक और तार्किक सोच को दर्शाती है। एक छोटी या धुंधली मस्तिष्क रेखा कल्पनाशील दृष्टिकोण का संकेत दे सकती है। सीधी मस्तिष्क रेखा व्यावहारिक और यथार्थवादी मानसिकता को दर्शाती है, जबकि घुमावदार रेखा रचनात्मकता और सहजता को दर्शाती है। मस्तिष्क रेखा में दरारें या कांटे सोच में महत्वपूर्ण बदलाव या जीवन की प्रमुख घटनाओं का प्रतिनिधित्व कर सकते हैं।
भाग्य रेखा: भाग्य रेखा, जिसे करियर रेखा भी कहा जाता है, हथेली के केंद्र में लंबवत होती है जो मस्तिष्क रेखा को काटते हुए मध्यमा उंगली के आधार तक पहुंचती है। यह किसी व्यक्ति के करियर, उपलब्धियों और उनके जीवन पर बाहरी प्रभावों का संकेत देती है। एक स्पष्ट और गहरी भाग्य रेखा सफलता के लिए उद्देश्य और प्रेरणा की स्पष्ट भावना का सुझाव देती है। एक फीकी या खंडित भाग्य रेखा करियर विकल्पों के लिए अधिक अनुकूलनीय दृष्टिकोण का संकेत दे सकती है। भाग्य रेखा की अनुपस्थिति आवश्यक रूप से दिशा की कमी का संकेत नहीं देती है, बल्कि यह अधिक स्वतंत्र-उत्साही और आत्म-संचालित व्यक्ति का संकेत देती है।
सूर्य रेखा: सूर्य रेखा जिसे अपोलो रेखा भी कहा जाता है, हर किसी की हथेली में नहीं होती। यह हथेली के आधार से अनामिका की ओर लंबवत है होती है। यह रेखा सफलता, प्रसिद्धि और सार्वजनिक मान्यता का प्रतिनिधित्व करती है। एक प्रमुख और गहरी सूर्य रेखा प्रसिद्धि या सार्वजनिक मान्यता प्राप्त करने की उच्च संभावना का संकेत देती है। एक धुंधली या प्रतिच्छेदी सूर्य रेखा सफलता के लिए अधिक विनम्र या निजी दृष्टिकोण का संकेत दे सकती है। सूर्य रेखा के अभाव का अर्थ तृप्ति की कमी नहीं है; इसके बजाय, यह सार्वजनिक प्रशंसा के बजाय व्यक्तिगत संतुष्टि पर ध्यान देने की ओर इशारा करती है।
इसके अलावा व्यक्ति की हथेली पर मांसल क्षेत्र होते हैं जिन्हें पर्वत कहते हैं और जो ज्योतिष के अंतर्गत विभिन्न ग्रहों से संबंधित होते हैं। ये पर्वत विभिन्न जीवन विषयों से जुड़े गुणों और प्रवृत्तियों को प्रकट करते हैं। हस्तरेखा विज्ञान में उपयोग किए जाने वाले प्राथमिक पर्वतों में बृहस्पति पर्वत, शनि पर्वत, अपोलो पर्वत, बुध पर्वत, चंद्र पर्वत, शुक्र पर्वत और मंगल क्षेत्र शामिल हैं।
किसी भी व्यक्ति के चेहरे, हथेली और शरीर पर मौजूद सभी आकृतियों और रेखाओं का अध्ययन वैदिक सामुद्रिक शास्त्र के तहत किया जाता है जो भारतीय ज्योतिष की एक शाखा है। इस शास्त्र के अनुसार, व्यक्ति के शरीर पर मौजूद प्रत्येक निशान, हथेली, माथे और पैरों की रेखाएं व्यक्ति के अतीत, वर्तमान और भविष्य के जीवन के बारे में बताती हैं। ऐसा माना जाता है कि इस शास्त्र की रचना स्वयं इस ब्रह्मांड के निर्माता भगवान ब्रह्मा ने की थी। बाद में ऋषि समुद्रेना ने चौथी शताब्दी ईसवी के दौरान इसे संरक्षित और संकलित किया। सामुद्रिक शास्त्र के अनुसार, किसी व्यक्ति का चेहरा किसी व्यक्ति की कुंडली में प्रमुख ग्रहों के बारे में बता सकता है।और इसके विपरीत, कुंडली में उदीयमान चिन्ह या ग्रह जातक की शारीरिक बनावट के बारे में बताते हैं। सामुद्रिक शास्त्र में हस्तरेखाओं का अध्ययन इस शास्त्र के सबसे महत्वपूर्ण सिद्धांत 'हस्त सामुद्रिकम्' के अंतर्गत किया जाता है। इसके अलावा हस्तरेखा विज्ञान पर कुछ प्रसिद्ध प्राचीन हिंदू पुस्तकें हस्त सामुद्रिका, शास्त्र रावण संहिता, हस्त संजीवनी हैं।
हस्त सामुद्रिक शास्त्र में निम्नलिखित कारकों का ध्यानपूर्वक अध्ययन किया जाता है
हथेलियों पर रेखाएं और अंगुलियों के जोड़ों पर उनकी स्थिति
उंगलियों की लंबाई
अंगुलियों के पोरों पर चिन्ह: अशा...खा - शंख, चक्र - चक्र, त्रिकोण मछली, धनुष, कमल, तारा, आदि।
उंगलियों की जड़ों पर विभिन्न पर्वतो या उभरे हुए हिस्सों का विश्लेषण करें। ये पर्वत ब्रह्मांड में ग्रह से जुड़े होते हैं। वे जातक की विभिन्न मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक स्थितियों को प्रदर्शित करते हैं।
हस्तरेखा पढ़ने की यह प्राचीन पद्धति जातकों के वर्तमान, भूत और भविष्य के बारे में सटीक रूप से बताती है। और साथ ही, जन्म की तारीख और समय के बारे में भी। दिलचस्प बात यह है कि यह जातक के परिवार अर्थात माता-पिता, भाई-बहन और जीवनसाथी के बारे में भी भविष्यवाणी कर सकती है।
संदर्भ
https://tinyurl.com/wzt3pnf
https://tinyurl.com/57ramdys
https://tinyurl.com/4uuzx5je
चित्र संदर्भ
1. हस्त मुद्राज्ञान को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. हाथों की रेखाएं पढ़ती महिला ज्योतिषी को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. तत्वों से संबंधित रेखा ज्ञान को संदर्भित करता एक चित्रण (Wikimedia)
4. हस्त रेखा विज्ञान को दर्शाता एक चित्रण (rawpixel)
5. हस्तरेखा पढ़ रहे एक भविष्यवक्ता को संदर्भित करता एक चित्रण (Wikimedia)
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